अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
07-08-2017, 11:55 AM,
#12
RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
भाभी कुच्छ सुसताने के बाद मेरी तरफ देखी. और मुस्कुराइ. बोली, "बहुत गीली हो गयी हूँ ……. उफफफफ्फ़ ……… कितने दिनों के बाद इतनी गीली हुई हूँ……..!" मेरे लौदे के तरफ देखकर उनकी आँखें चमकने लगी, "इसको देखो ……… कितना ज़ालिम लौदा है
तुम्हारा! …… हाऐईयइ ……… अभी चखती हूँ इसको मज़ा …………कैसा अकड़ कर खरा है ……… अभी इस बच्चू को बताती हूँ…….." और मेरी तरफ आँखों में आँख डालकर बोली, " अभी तुमको बताती हूँ…….. मैं इतनी जल्दी हारनेवाली नही! ……..
हान्न्न्न्न. ……."

अब भाभी फिर अपने चूतड़ को फिर उठाकर घोरी की तरह अपने मुँह के बैठ गयी, और मुझे इशारा किया कि मैं पीछे से चोदना शुरू करूँ. हम ड्रेसिंग टेबल के बिल्कुल सामने बिस्तर पर थे, और हुंदोनो अपनी चुदाई को आयने में सॉफ सॉफ देख रहे थे. भाभी की नज़र भी मेरी तरह आयने पर थी. मैं ने लौदा को चूत के मुँह पर अच्छी तरह से रगड़ते हुए, चोदना शुरू किया. भाभी की सुरंग वाली चूत में बिल्कुल अंदर ले जाकर, मैं ने अपने गांद को सिकुरकर लौदे को थोरा घुमाने लगा. भाभी की मस्ती इस से खूब बढ़ने लगी, और मेरे लौदे के अंदर घुमाने का जवाब उन्होने अपने चूतड़ को उल्टी तरफ से घूमकर दिया. हम इसी तरह कुच्छ धक्के देते रहे, पर आयने के सामने होने कारण, हुंदोनो की नज़र आयने पर बनी रही. चुदाई हो रही थी, पर हमारा ख्याल आयने पर था. कुच्छ देर तक तो हुमलोगो ने इस तरह चुदाई की, पर वैसा मज़ा नही आ रहा था. भाभी अपने चूतड़ को घुमाना छ्चोड़कर, अपने हाथ को पीछे लाकर मेरे लौदा को पकड़कर रोक लिया, और मुझ से कहा, "ऐसे नही मज़ा आ रहा ……..इधर आओ …….. तुम लेतो!"

मैं सर के नीचे दोनो हाथ लेकर लेट गया, और भाभी अपने टाँगों को फैलाकर मेरे सूपदे के नीचे ठीक से पकड़कर अपनी चूत के दाने को सूपदे से रगड़ती रही. फिर अपने कमर को सीधा करके, अपने चुचियों को थोरा उचकते हुए भाभी मेरे लौदे को अपनी चूत में आहिस्ते आहिस्ते, पर बिना रुके हुए, बिल्कुल गहराई में ले लिया. वो अपनी चूतड़ को थोरा इधर-उधर घुमाई , और फिर अपने सर को नीचे कर के देखी की लौदा बिल्कुल जड़ तक गया है, और अपनी चूतड़ अब चलाने लगी. मैं उनकी कमर पकड़ कर उनके थाप को थोरा सपोर्ट दे रहा था, पर भाभी का खुद का कंट्रोल ज़बरदस्त था. "फच ….फच्छ…" की आवाज़ के साथ उनका थाप चलने लगा. चूत इतनी गीली हो गयी थी हर धक्के के साथ मेरे लौदे के जड़ पर कुच्छ रस लग जाती थी. भाभी एक माहिर चक्की चलाने वाली औरत की तरह मेरे लौदे पर बैठकर अपने चूतड़ की चक्की चलाकर मसाला पीस रही थी. ऐसी पीसने वाली जो बिल्कुल महीन मसाला पीस कर ही खुश हो सकती है! मैं नीचे से उनके थाप का जवाब दे रहा था, हर थाप के बाद अपने कमर को उठाकर, थोरा अपना गांद को सिकुरकर, लौदा को पेलते हुए कुच्छ घुमाता था, और फिर भाभी की जानलेवा चक्की! इस तरह कुच्छ देर तक हुंदोनो एक दूसरे के साथ झूला झूलने के हिलोर देते रहे. पर भाभी फिर ज़ोर्से धक्के देने लगी, और चक्की भी उसी रफ़्तार में. उनकी आवाज़ भी बदल रही थी. मैं ने जब देखा कि भाभी एक बार फिर झड़नेवाली हैं, मैं ने अपने लौदा को इस तरह घुसेड़ना शुरू किया कि वो भाभी के दाने को भी रगड़ता अंदर जाए, और उसी तरह रगड़ते हुए बाहर भी आए. भाभी "हाआअंन्न ….
मैं तो फिर झाड़ रही हूवान्न्न्न.. ……!" कहते हुए मेरे छाती पर सर रखकर निढाल हो कर लेट गयी. उनकी चूत मेरे लौदे को दबा रही थी, और मैं अपने लौदे को उनका मज़ा बढ़ने के लिए चूत के अंदर घुमाता रहा. "हाआंन्न ……. ऊऊहह …. हाआऐ रे दैय्य्याआ …….ऊऊहह! ……. हाआंन्‍नणणन् ……. ऊवूवुउवूवैयीयियी ….. मेरिइईई चूऊऊओट कित्नीईईइ गिलिइीईईई हो रही है.. …..ऊऊओह ……. ह्हयाययीयीयियी रे ….. दैयया ……..ऊऊओह!"

एक गहरी साँस लेकर नीतू भाभी उसी तरह मेरी छाती को पकड़े लेटी रही. पसीना चल रहा था. बाल बिल्कुल खुल गये थे. माथे पर का टीका लिप गया था. साँस फूली हुई थी. पर कुच्छ देर के जी बाद, भाभी एक बाँह के सहारे अपना सर उठाकर
मेरी तरफ देखी, और झूठा गुस्सा दिखाते हुए पूछि," क्यूँ, तुम अपने को बहुत उस्ताद समझने लगे हो? …… मुझे उस तरह से तडपा रहे थे ……कब से मैं झड़ना चाहती थी ….. और तुम …… बार बार ….. मुझे रोक रहे थे ……..उफफफफफफफफफफफ्फ़!"

"आपको अच्छा नही लगा क्या?"

"व्हूऊऊ! …….पागल ……..बहुत मज़ा आया ………बहुत मज़ा करते हो तुम!" वो अपने सर को उठाकर मेरी तरफ देखते हुए बोली. फिर पूछि, " तुम तो नही झाडे हो अभी ना?"

मैं ने सर हिलाकर बताया कि नही.

"मस्ती से झादोगे?"

"हाँ!"

"अच्छा! ……ह्म्‍म्म्मम …….फिर आओ….. अब झड़ना चाहते हो?

मैं उसी तरह लेटा रहा, पर मैं समझ गया कि अब भाभी कुच्छ शोख अंदाज़ में कुच्छ शुरू करनेवाली हैं. वो अपने दोनो हाथ बिस्तर पर जमाए अपनी चूत को मेरे लौदे पर रखकर धीरे धीरे चूतड़ घुमा रही थी.

"बोलो ….."

"जी……."

वो अपनी शोख और शरारतवाली मुस्कुराहट के साथ पूछि, " क्यूँ ……….झड़ना चाहते हो? ……..हुन्ह ……….बोलो! मुझे तो झड़ने नही दे रहे थे …….और तुम खुद झड़ना चाहते हो! …….. हन्‍न्‍नममम ……….बोलो"

" आआहह ……. भाभी…..शायद मैं ……आहह …….समझ नही सका ……. ……..मुझे लगा कि आप को और मज़ा क़राउ!" "हान्णन्न्? ……..तो? …….. भाभी को झड़ने से रोक रहे थे……? …. बोलो!"

" …… इसी लिए …..आअहह ……आपको थोरा रोक रहा था …….आअहह!"

भाभी उपर से तो बहुत कम घूम रही थी, और अभी जोरदार थाप न्ही नही लगा रही, पर अंदर ही अंदर उनकी चूत मेरे लौदा की तरह से दबा रही थी, जैसे चूत के अंदर मेरे लौदा को दूहा जा रहा हो.

`अच्छा ? ……… "थोरा" रोक रहे थे? …… "थोरा" कितना होता है ? . ……अभी बताती हूँ …….तुमको …….!"

भाभी धीरे धीरे चक्की पीसने लगी फिर, पर अभी भी चूत के अंदर लौदे को उसी तरह दबाती रही. मुस्कुराते हुए.

"थोरा…… क्यूँ? "थोरा" कहीं ज़्यादा तो नही हो गया?"

"हो सकता है!"
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