Chudai Kahani तड़फती जवानी
07-11-2017, 12:43 PM,
#14
RE: Chudai Kahani तड़फती जवानी
तड़फती जवानी-14

वासना एक ऐसी आग है जिसमें इंसान जल कर भी नहीं जलता और जितना बुझाना चाहो, उतनी ही भड़कती जाती है।

हम सोचते हैं कि सम्भोग कर लेने से हमारे जिस्मों में लगी आग को शान्ति मिलती है, पर मेरे ख्याल से सम्भोग मात्र आग को समय देने के लिए है, जो बाद में और भयानक रूप ले लेती है।

मैंने अपने अनुभवों से जाना कि मैंने जितनी कोशिश की, मेरी प्यास उतनी ही बढ़ती गई।

कोई भी इंसान सिर्फ एक इंसान के साथ वफादार रहना चाहता है। मैं भी चाहती थी, पर वासना की आग ने मुझे अपने जिस्म को दूसरों के सामने परोसने पर मजबूर कर दिया।

हम वासना में जल कर सिर्फ गलतियाँ करते हैं, पर हमें वासना से ऐसे सुख की अनुभूति मिलती है कि ये गलतियाँ भी हमें प्यारी लगने लगती हैं।

हम सब कुछ भूल जाते हैं, हम भूल जाते हैं कि इससे हमारे परिवार को नुकसान पहुँच रहा है, या दूसरे के परिवार को भी क्षति पहुँच रही है और खुद पर बुरा असर हो रहा है।

अंत में होता यह है कि हम इतने मजबूर हो जाते हैं कि हमें जीना मुश्किल लगने लगता है।

मेरी यह कहानी इसी पर आधारित है।

खैर कुछ लोगों ने मुझसे पूछा था कि मेरा बदन कैसा है, तो मैं बता दूँ फिलहाल मेरा जिस्म 36-32-34 का है।

यह बात तब की है जब अमर और मैं सम्भोग के क्रियायों में डूब कर मस्ती के गोते लगा रहे थे।

उन दिनों मैं और भी मोटी हो गई थी, मेरे स्तन तो तब भी इतने ही थे और कमर भी, बस मेरे कूल्हे जरा बड़े हो गए थे।

बच्चे को दूध पिलाने के क्रम में मुझे कुछ ज्यादा ही खाना-पीना पड़ता था।

इससे बाकी शरीर पर तो असर नहीं हुआ, पर जांघें और कूल्हे थोड़े बड़े हो गए, करीब 36 को हो गए थे।

मेरी नाभि के नीचे के हिस्से से लेकर योनि तक चर्बी ज्यादा हो गई थी, जिसके कारण मेरी योनि पावरोटी की तरह फूली दिखती थी।

योनि के दोनों तरफ की पंखुड़ियाँ काफी मोटी हो गई थीं।

अमर के साथ सम्भोग करके 7-8 दिनों में मेरी योनि के अन्दर की चमड़ी भी बाहर निकल गई थी जो किसी उडूल के फूल की तरह दिखने लगी थी।

मेरे स्तनों में पहले से ज्यादा दूध आने लगा था, साथ ही चूचुकों के चारों तरफ बड़ा सा दाग हो गया था जो हलके भूरे रंग का था और चूचुक भी काफी लम्बे और मोटे हो गए थे।

मैं कभी नहाने जाती तो अपने जिस्म को देखती फिर आईने के सामने खड़ी हो कर अपने अंगों को निहारती और सोचती ऐसा क्या है मुझमें जो अमर को दिखता है, पर मेरे पति को नहीं समझ आता।

मेरा चेहरा पहले से कहीं ज्यादा खिल गया था, गजब की चमक आ गई थी।

शायद यह सम्भोग की वजह से थी या फिर मैं खुश रहने लगी थी, इसीलिए ऐसा परिवर्तन हुआ है।

मैं कभी यह भी सोचती कि मेरे अंगों का क्या हाल हो गया है।

हमें मस्ती करने के लिए लगातार 16 दिन मिल गए थे। इस बीच तो हमने हद पार कर दी थी, मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि मैं इतनी इतनी बार सम्भोग करुँगी।

क्योंकि आज तक मैंने जहाँ तक पढ़ा और सुना 3-4 बार में लोग थक कर चूर हो जाते हैं।

मुझे नहीं पता लोग इससे ज्यादा भी करते हैं या नहीं, पर मैंने किया है.. इसलिए मुझे थोड़ी हैरानी थी।

एक दिन ऐसा भी आया कि मैंने अपने शरीर की पूरी उर्जा को सिर्फ सम्भोग में लगा दिया।

बात एक दिन की है, मैं और अमर रोज सम्भोग करते थे। हम लोग कम से कम एक बार सम्भोग के लिए कहीं न कहीं समय निकाल ही लेते थे।

एक दिन मेरे बेटे को स्कूल की तरफ से गाने के लिए एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए पास के स्कूल ब्रह्मपुर जाना पड़ा।

उस दिन शनिवार था वो सोमवार को वापस आने वाला था।

मैंने उसकी सारी चीजें बाँध कर उसे छोड़ आई।

पति काम पर जाने को थे, सो खाना बना कर उन्हें भी विदा किया।

फिर दोपहर को अमर आए और उनके साथ मैंने सम्भोग किया।

रात को पति जब खाना खा रहे थे तो उन्होंने बताया के उनको सुबह बेलपहाड़ नाम की किसी जगह पर जाना है, कोई मीटिंग और ट्रेनिंग है, मैं उनका सामान बाँध दूँ।

सुबह 4 बजे उनकी ट्रेन थी, सो जल्दी उठ कर उनके लिए चाय बनाई और वो चले गए। मैं दुबारा आकर सो गई।

फिर 7 बजे उठ कर बच्चे को नहला-धुला कर खुद नहाई और एक नाइटी पहन कर तैयार हो गई।

आज मेरे पास अमर के साथ समय बिताने के लिए पूरा दिन था क्योंकि रविवार का दिन था और पति अगले दिन रात को आने वाले थे।

मैंने अमर को फोन किया और ये सब बता दिया।

सुनते ही वो आधे घंटे में मेरे घर आ गए। तब 9 बज रहे थे, मैंने उनको चाय-नाश्ता दिया।

उसने कहा- कहीं घूमने चलते हैं।

मैंने कहा- नहीं, किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी।

पर उसने कहा- यहाँ कौन हमें जानता है, और वैसे भी अमर और मेरे पति की दोस्ती है तो किसी ने देख भी लिया तो कह देंगे कुछ सामान खरीदना था तो मेरे साथ हो।

मैं मान गई और तैयार होने के लिए जाने लगी, पर अमर ने मुझे रोक लिया और अपनी बांहों में भर कर चूमने लगे।

मैंने कहा- अभी नहा कर निकली हूँ फिर से नहाना पड़ेगा.. सो जाने दो।

उसने कहा- तुम नहाओ या न नहाओ मुझे फर्क नहीं पड़ता, मुझे तुम हर हाल में अच्छी लगती हो।

फिर क्या था पल भर में मेरी नाइटी उतार मुझे नंगा कर दिया क्योंकि मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना था।

मुझे बिस्तर पर लिटा मुझे प्यार करने लगे, खुद भी नंगे हो गए, एक-दूसरे को हम चूमने-चूसने लगे और फिर अमर ने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा कर दिन के पहले सम्भोग की प्रक्रिया का शुभारम्भ कर दिया।

उसका साथ मुझे इतना प्यारा लग रहा था कि मैं बस दुनिया भूल कर उसका साथ दे रही थी।

कोई हमारे चेहरों को देख कर आसानी से बता देता कि हम कितने खुश और संतुष्ट थे।

आधे घंटे की मशक्कत के बाद हम दोनों ही झड़ गए और हमारी काम की अग्नि कुछ शांत हुई, पर मुझे यह मालूम नहीं था कि यह अग्नि आज एक ज्वालामुखी का रूप ले लेगी।

खैर मैं उठकर बाथरूम चली गई फिर खुद को साफ़ करके वापस आई तो देखा अमर अभी भी बिस्तर पर नंगे लेटे हैं।

मैंने उनसे कहा- उठो और भी तैयार हो जाओ।

फिर वो भी तैयार होकर वापस आए। आते ही मुझे ऊपर से नीचे तक देखा, मैंने हरे रंग की साड़ी पहनी थी।

अमर ने पूछा- अन्दर क्या पहना है?

मैंने जवाब दिया- पैंटी और ब्रा..

वो मेरे पास आए और मेरी साड़ी उठा दी।

मैंने कहा- क्या कर रहे हो?

उहोने मेरी पैंटी निकाल दी और कहा- आज तुम बिना पैंटी के चलो।

मैंने कहा- नहीं।

पर वो जिद करने लगे और मुझे बिना पैंटी के ही बाहर जाना पड़ा।

रास्ते भर मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे कूल्हे हवा में झूल रहे हैं। हम पहले एक मार्किट में गए वह मैंने अपने श्रृंगार का सामान लिया फिर बच्चे के लिए खिलौने लिए, कुछ खाने का सामान भी लिया।

तभी अमर मेरे पास आए और एक काउंटर पर ले गए। वो लेडीज अंडरगारमेंट्स का स्टाल था, वहाँ एक 24-25 साल की लड़की ने आकर मुझसे पूछा- क्या चाहिए?

तभी अमर ने कहा- मेरी वाइफ को थोड़े मॉडर्न अंडरगारमेंट्स चाहिए।

तब उस लड़की ने मुझे तरह-तरह की ब्रा और पैंटी सेट्स दिखाने शुरू कर दिए जिनमें से 3 सेट्स अमर ने मेरे लिए खरीद लिए।

फिर हमने एक रेस्तरां में जाकर खाना खाया और वापस घर आ गए।

घर आते ही अमर ने मुझे बच्चे को दूध पिला कर सुलाने को कहा ताकि हम बेफिक्र हो कर प्यार करते रहें।

सो मैंने बच्चे को दूध पिला कर सुला दिया।

तब अमर ने मुझसे कहा- ब्रा और पैंटी पहन कर दिखाओ, तुम उनमें कैसी लगती हो?

मैंने बारी-बारी से पहन कर दिखाया, जिसमें से सफ़ेद रंग की ब्रा और पैंटी मुझे भी बहुत अच्छी लग रही थी।

अमर ने मुझे पास बुलाया और अपनी गोद में बिठा लिया फिर मुझे चूमने लगा। मैंने भी उसको चूमना शुरू कर दिया।

हमारे होंठ आपस में चिपक गए।
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