Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
07-16-2017, 10:09 AM,
#60
RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
55

अगला दिन .....

सुबह नाजाने क्यों नींद नहीं खुली| मन कर रहा था बस सोते रहो| मैं बाईं करवट लेटा था, और तभी अचानक मेरे गालों पे नरम-नरम होंठ स्पर्श हुए| उन होठों की नरमी और गीलेपन के कारन मेरी नींद खुली और मैंने आँखें खोल के देखा तो सामने भौजी खड़ीं थी|

भौजी: Good Morning जी!

मैं: Good Morning .... आपके इस Kiss ने वाकई morning good कर दी|

भौजी: (प्यार से मुस्कुराईं) अब आप की तबियत कैसी है?

मैं: जी कल रात के बाद तो अच्छी है...और आगे भी यही प्यार और देखभाल मिली तो और अच्छी हो जाएगी|

भौजी: प्यार तो आपको इतना मिलेगा की आप उसे माप नहीं पाओगे!

मैं: हाय!!!!

खेर मैं उठा...और अब मुझे पहले से बहुत अच्छा लग रहा था| कमजोरी नहीं थी..बुखार नहीं था...जुखाम और खांसी लघभग ठीक हो चुके थे| पर फिर भी भौजी मेरा इतना ध्यान लग रहीं थी जैसे किसी बहुत बीमार इंसान का ख्याल रखा जाता है| दोपार का समय हुआ तो भौजी फिर से जिद्द करके मुझे खाना अपने हाथ से खिलाने लगी| खाना खाने के बाद बाकी सब तो खेत चले गए अब घर पे केवल मैं, नेहा और भौजी ही बचे थे| मैं तखत पे लेटा हुआ था जबकि मैं लेटना नहीं चाहता था, परन्तु भौजी के जोर देने पे मान गया था| भौजी को लगा की मैं सो गया हूँ तो वो अपने धुले-हुए कपडे लेके अपने घर चलीं गईं और मैं भी उनके पीछे-पीछे घर में घुस गया| भौजी ने कपडे चारपाई पे रखे और अपनी साडी को तहाने लगीं उन्होंने साडी को दोनों हाथों से हवा में लटका रखा था जिससे मुझे पूरा मौका मिल गया था| मैं भौजी के पीछे चुप-चाप खड़ा हुआ और अपने हाथ उनकी बगल से ले जाते हुए उनके पेट पे रख के खुद से चिपका लिया| आज बहुत दिनों बाद उनके शरीर की मादक खुशभु ने दिल में हल-चल पैदा कर दी| दिल की धड़कनें तेज हो गईं...धक-धक....धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक…

भौजी भी मेरे आगोश में कसमसाने लगीं और मेरे सर पे अपने हाथ पीछे रख के उँगलियाँ चलाने लगीं| मेरे हाथ उनके नंगे पेट पे तेजी से चलने लगे थे...और मैं किसी भी समय सीमा लांघने को तैयार था| मैंने भौजी को अपनी ओर घुमाया और उनके माथे को चूमा| भौजी मेरे शरीर से एक दम बेल की तरह लिपट गईं| मन ही नहीं कर रहा था की उन्हें छोड़ूँ| नीचे लंड ने पेंट में तगड़ा सा उभार बना दिया था और जिस तरह भौजी मुझसे चिपटी हुई थीं मेरा लंड उनकी योनि में गड़ा जा रहा था| भौजी को उभार साफ़ महसूस हो रहा था और उनके मुंह से :सी....सी...." की आवाजें निकलने लगीं थी| दोनों ही बहुत प्यासे थे...पर कुछ तो कारन था की भौजी ने अब तक पहल नहीं की और न ही मुझे पहल करने का कोई अवसर दिया| ऐसा लग रहा था मानो जैसे वो खुद को रोक रहीं हो! पर क्यों? ऐसा क्या था जिसने हमें एक दूसरे से दूर कर दिया था? ये सभी सवाल दिमाग में दौड़ने लगे पर मन अब भी कह रहा था की कुछ कर...कुछ कर ...जिससे वो तेरे करीब आएं...और ये सारी दूरियां मिट जाएँ| भौजी के स्तन मेरे सीने में गड़े जा रहे थे और वासना मुझपे बुरी तरह हावी हो चुकी थी| पर एक मर्यादा थी जो मुझे रोक रही थी... मैं कुछ भी जबरदस्ती से नहीं करना चाहता था...मैं उन्हें दुःख या ग्लानि का आभास तक नहीं करना चाहता था| मैं चाहता था जैसे अब तक होता आया है....जिसमें उनकी पूरी रजामंदी होती थी...वैसे ही सब कुछ हो| मैं अपनी दिमागी ओर जिस्मानी उधेड़-बुन में लगा था की तभी अचानक भौजी बोलीं;

भौजी: मेरे पास आपके लिए एक सरप्राइज है! आप जरा आँखें बंद करिये....

मैं: ठीक है!

तभी मुझे प्लास्टिक की कचर-पचर आवाज सुनाई दी.. और उसके कुछ क्षण बाद भौजी की आवाज सुनाई दी;

भौजी: अब आँखें खोलिए|

जब मैंने आँखें खोली तो देखा भौजी के हाथों में एक सफ़ेद गोल गले की टी-शर्ट है.... जिसपे लिखा था “LOVER”.

मैं: वाओ !!! ये आप ...कैसे?

भौजी: मैं भाई के साथ शहर गई थी विदाई का सामान लेने तब वहाँ एक के बाद एक दूकान छान मारी और आखिर ये टी-शर्ट पसंद आई| इसे पहन के दिखाओ ना!

मैं: लो अभी लो...

मैंने तुरंत एक झटके में अपनी टी-शर्ट उतार फेंकी और भौजी की टी-शर्ट पहनने लगा| ये टी-शर्ट स्किन फिट थी| जब मैंने पहनी तो ये मेरे शरीर से बिलकुल चिपक गई| Biceps पे तो बिलकुल टाइट थी और टी-शर्ट पे लिखा LOVE ठीक मेरे दोनों nipples के बीच आता था| अगर मेरी बॉडी-बिल्डर टाइप बॉडी आती तो Biceps फुलाते ही टी-शर्ट फट जाती! पीछे से टी-शर्ट ने मेरी पीठ और कमर को एक दम परफेक्ट V का अकार दिया था|

मैं: वाओ... Awesome यार! आपको मेरा साइज कैसे पता? और कितने पासी फूके आपने?

भौजी: कुछ ज्यादा नहीं आठ सौ|

मैं: क्या? वापस कर दो ये .... इतनी महंगी टी-शर्ट लेने से पहले पूछ तो लेते?

भौजी: मैं मजाक कर रही थी... और आप पैसों की बात करते हो... मैंने आपको अपना दिल दे दिया...अपनी आत्मा समर्पित कर दी| खबरदार जो इसे उतार तो.... बड़े सोणे लग रहे हो! SEXY !!!

मैं: तो बताओ न कितने में ली?

भौजी: कहा ना ज्यादा महँगी नहीं है|

मैं: अच्छा अब एक return गिफ्ट तो बनता है|

भौजी: return गिफ्ट कैसा?

मैं: अच्छा आओ..पहले गले तो लगो|

भौजी मेरी ओर बढ़ीं ओर मुझे कस के गले लगा लिया|

मैं: पिछले दिन मैं इतना नहाया हूँ की आपकी खुशबु अब मेरे शरीर में नहीं बसती!

भौजी: ह्म्म्म्म्म....

फिर अचानक पांच सेकंड बाद भौजी मुझसे एक दम अलग हो गईं और सामने वाली दिवार पे पीठ लगाके खड़ी हो गईं|

भौजी: नहीं..... हम सम्भोग नहीं कर सकते! आप अभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो...आज जाके आपका ब्ंउखार उतरा है...कमजोरी कुछ कम हुई है... ऐसे में आप सम्भोग करने से और थक जाओगे और आपको फिर से बुखार चढ़ जाएगा|

मैं: ओह! तो आप मेरी कही पुरानी बात का बदला ले रहे हो? (जब वो बेल्ट वाला कांड हुआ था तब भौजी की पीठ जख्मी थी तब मैंने उन्हें यही बात बोली थी|)

भौजी: नहीं...नहीं... ऐसा नहीं है|

मैं कुछ नहीं बोला और भौजी के घर से निकल बड़े घर आ गया, और आँगन में खड़ा हो के सोचने लगा! नजाने क्यों मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा KLPD हो गया हो!!! अब KLPD क्या होता है ये तो आप सभी जानते हैं| (खड़े लंड पे धोका)

फिर अगले ही पल मुझे एक एहसास हुआ, की भौजी ने जो कहा वो गलत तो नहीं था| अगर मैं उनकी जगह होता तो मैं भी यही करता| मैं सर झुका के खड़ा था ओर सोच रहा था की तभी मुझे किसी के आने के क़दमों की आहट सुनाई दी| मैं पीछे नहीं मुदा क्योंकि मैं जानता था की ये भौजी ही होंगी| उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुमाया ओर मेरे गले लग गईं;

भौजी: प्लीज मुझे माफ़ कर दो! मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहती थी...पर मेरे लिए आपकी सेहत सबसे पहले है| प्लीज....प्लीज....

इतना कहके वो रोने लगीं;

मैं: अरे बाबा मैं आपसे नाराज नहीं हूँ... हाँ एक पल के लिए थोड़ा बुरा लगा था पर यकीन मानो मैं समझ सकता हं आप क्या कह रहे हो ओर आपकी बात की इज्जत करता हूँ| जबतक आप नहीं कहोगे मैं कुछ नहीं करूँगा| अब ठीक है?

भौजी: नहीं.....

मैं: तो?

भौजी कुछ नहीं बोलीं बस मुझसे लिपटी खड़ी रहीं| वो कुछ नहीं बोल रहीं थी बस चुप-चाप मुझे जकड़े खड़ीं थी| मुझे ये डर था की कहीं कोई आ गया तो हमें ऐसे खड़ा देख शक करेगा|

मैं: देखो नेहा आ गई... अब तो छोड़ दो| (मैंने जानबूझ के जूठ बोला|)

भौजी: नहीं

मैं करीब पांच मिनट तक खड़ा रहा फिर मुझे भी जोश आगया;

मैं: तो आप ऐसे नहीं मानोगे?

भौजी ने ना में गर्दन हिलाई| मैंने उन्हें गर्दन पर कूल्हों पर से अपनी गॉड में उठा लिया और अपने कमरे में ले जाकर चारपाई पर लेटा दिया| पर अब भौजी ने अपने दोनों हाथों से मेरी गर्दन को लॉक कर दिया और उसे छोड़े ही नहीं रही थी| मैंने उनके मुख की ओर देखा तो वो गंभीर लग रहीं थीं|

मैं: क्या हुआ?

भौजी ने ना में सर हिला के ये बताना चाहा की कोई बात नहीं है...पर मेरा दिल कह रहा था की उन्होंने मुझे सम्भोग करने के लिए रोक था उसको लेके उन्हें ग्लानि हो रही है| इधर भौजी ने अब तक अपने हाथों का लॉक नहीं खोला था तो मैंने बिना कुछ सोचे उनके ऊपर लेट गया और उनके वक्ष में अपना सर रख दिया| उनकी धड़कनें खूब तेज थीं.... मैं उनकी धड़कनें महसूस करने लगा था| उनका भी वही हाल था जो कुछ क्षण पहले मेरा था| मैंने भौजी की आँखों में झाँका तो कुछ समझ नहीं आया...

पर पता नहीं क्यों मन ने कहा की "Kiss Her" ... इसलिए मैं उनके ऊपर झुकने लगा और फिर उनके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया| जो वासना कुछ देर पहले शांत हो चुकी थी वो एक दम से भड़क उठी और मन बेकाबू हो गया| मैं भौजी को बेतहाशा चूमने लगा... और भुाजी भी मेरी हर Kiss का जवाब दे रहीं थीं| जल्दी-जल्दी में मैंने उनकी साडी ऊपर खींची...अपनी जीन्स की ज़िप खोली लंड बहार निकला और भौजी की टांगों के बीह में आ गया| फिर मैंने नीचे से एक जोर दार धक्का मारा और लंड उनकी योनि में प्रवेश हो गया| मैं हैरान था की भौजी की योनि अंदर से गीली थी और मुझे डर था की कहीं घर्षण के कारन उन्हें तकलीफ ना हो| जैसे ही लंड अंदर दाखिल हुआ भौजी ने अपनी गर्दन को ऊपर की ओर झटका दिया और उनके मुंह से "आह!" निकला| मैंने बिना रुके जल्दी-जल्दी झटके देना शुरू कर दिया और इधर भौजी भी बड़े मजे से मेरा साथ दे रहीं थीं| हम सम्भोग में इतने मशगूल हो गए की ये भी भूल गए की प्रमुख द्वार खुला हुआ है|

बीस मिनट के बाद मैं झाड़ा और मेरे साथ ही भौजी भी झड़ीं ...हम दोनों की आँखें बंद थी और मैं भौजी के ऊपर ऐसे ही पड़ा हुआ था| भौजी की साडी जाँघों तक ऊपर थी और पैर घुटनों से मुड़े हुए थे| तभी अचानक वहाँ नेहा आ गई! उसे देख हम दोनों हड़बड़ा गए पर अगर हम हिलते तो उसे हमारे यौन अंगों की झलक अवश्य मिल जाती और ये अच्छा नहीं होता| इसीलिए हम ऐसे ही पड़े रहे ताकि उसे सब सामान्य लगे... उसने हमें इस स्थिति में देखा और कुछ समझ ना पाई; नासमझी में उसने मुझसे सवाल किया;

नेहा: पापा ....आप ये मम्मी केसाथ क्या कर रहे हो|

उसके इस सवाल से हम दोनों बुरी तरह झेंप गए .... पर जवाब देना अनिवार्य था तो मैंने जवाब कुछ इस प्रकार दिया;

मैं: बेटा मैं आपकी मम्मी को प्यार कर रहा हूँ| (अब इससे उपयुक्त जवाब क्या होता|)

इतना कहते हुए मैंने भौजी की नंगी जाँघ को साडी से ढकने की पूरी कोशिश की और किसी तरह उन्हें थोड़ा बहुत ढक भी दिया|

नेहा: पर वो (चन्दर भैया) तो कभी मम्मी को ऐसे प्यार नहीं करते?

भौजी: बेटा क्योंकि मैं उनसे प्यार नहीं करती....और आप भी तो इन्हें (मुझे) ही पापा कहते हो? उन्हीने थोड़े ही कहते हो!

अब मुझे डर था की अगर कोई और आगया तो सब खत्म हो जाएगा, इसलिए मैंने नेहा से कहा;

मैं: बेटा आप प्रमुख दरवाजा बंद करके आओ फिर बैठ के बातें करते हैं|

नेहा तुरंत दरवाजा बंद करने गई और उसी मौके का फायदा उठा के मैं और भौजी अलग हुए और अपने-अपने कपडे ठीक करके पुनः लेट गए| मुझे भौजी की आँखों में मेरे प्रति चिंता साफ़ दिख रही थी| इतने में नेहा भी आ गई;

मैं: आपको चिंता करने की कोई जर्रूरत नहीं और न ही खुद को दोष देने की कोई जर्रूरत है...मैं बिलकुल ठीक हूँ....

भौजी अब भी थोड़ी परेशान थीं और मैं मन ही मन ये दुआ कर रहा था की मैं बीमार न पड़ जाऊं नहीं तो भौजी का दिल टूट जायेगा और वो इसी तरह खुद को दोष देंगी| अब चूँकि नेहा हमारे पास थी तो तो मैंने माहोल को हल्का करने के लिए नेहा को हमारे बीच में सोने को कहा| 


नेहा मुझसे कुछ ज्यादा ही दुलार करती थी, इसलिए बजाय हमारे बीच में लेटने के वो सीधा मेरे पेट पे बैठ गई और मेरे सीने पे सर रख के लेट गई|

भौजी: नेहा बेटा...यहाँ सो जाओ...पापा को आराम करने दो!

पर नेहा नहीं मानी और आखिर कर मुझे ही उसका पक्ष लेना पड़ा|

मैं: कोई बात नहीं सोने दो, वैसे भी बहुत दिन हुए मुझे इसको लाड किये|

भौजी: सर पे चढ़ा रखा है आपने इसे!

मैं: तो चढाउँ नहीं... एक ही तो बेटी है मेरी!

भौजी: बहुत जल्द कोई और भी आने वाला है!

मैं: हाँ!!!

भौजी: मैं आपके लिए दूध लेके आती हूँ|

मैं: नहीं रहने दो...आप यहीं लेटे रहो|

भौजी: आपको जर्रूरत है....

मैं: (बीच में बात काटते हुए) नहीं बाबा...अगर होगी तो मैं आपको बता दूँगा| खेर अब आप (नेहा) ये बताओ की क्या किया इतने दिन नानू के घर? (मैंने बात बदल दी)

भौजी: क्या किया ...पहले दिन तो बस रोती रही की पापा के पास जाना है.... फिर अगले दिन इसे कुछ दोस्त मिल गए और उनके साथ खेलती रही| हाँ दिन में एक बार पूछती थी की हम वापस कब जायेंगे?

मैं: aww !!! बेटा आपने मुझे miss किया?

नेहा ने हाँ में सर हिलाया|

मैं: और आप (भौजी) ....आपका क्या हाल था?

नेहा: मम्मी छुप-छुप के बहुत रोती थी|

मैं: (एकदम से भौजी की ओर देखते हुए) मैंने आपको शादी अटेंड करने भेजा था...रोने नहीं! क्या सोचते होंगे पिताजी (ससुर जी) और माँ (सासु जी)?

भौजी: वो तो ये कह रहे थे की आपने कैसा जादू कर दिया उनकी लड़की पे जो अपने आगे कभी किसी की नहीं सुनती थी वो आपकी बात मान के शादी अटेंड करने आ गई|

मैं: तो साले साहब ने सब कुछ बोल दिया?

भौजी: हाँ... माँ और पिताजी तो आपसे मिलना चाहते थे पर आप हैं की.....

मैं: कोई बात नहीं...मिल लेंगे!

नेहा: पापा .....मैं एक बात पूछूं?

मैं: हाँ बेटा पूछो?

नेहा: पापा आप मुझसे ज्यादा प्यार करते हो या मम्मी से?

मैं: आपसे

नेहा भौजी को अपने जीभ दिखा के चिढ़ाने लगी और बदले में भौजी भी उसे जीभ दिखा के चिढ़ाने लगी| और इधर भौजी मेरी और देख के अपना प्यार भरा गुस्सा दिखाने लगीं;

भौजी: अच्छा जी...तो आप इससे बहुत प्यार करते हो? और हम...हम गए तेल लेने!

मैं: अब क्या करें...हमारी बिटिया है ही इतनी प्यारी!!!

भौजी: और मैं?

मैं: भई आखिर वो है तो आपकी ही बेटी...तो अगर शोरूम शानदार होगा तो जाहिर है की कंपनी भी मशल्ला खूबसूरत होगी|
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RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन - by sexstories - 07-16-2017, 10:09 AM

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