RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
नताशा की उम्र मुझे 18 वर्ष से ज़्यादा की नही लग रही थी. हाइट करीबन 5'4" रंग मीडियम लेकिन बॉडी बोले तो एकदम झक्कास!! उफ्फ! टाइट टी-शर्ट में च्छूपे हुए मीडियम से बड़े उसके अनार, पतली कमर और टाइट जीन्स से ढके हुई उसकी मांसल जांघे और राउंड शेप के चूतड़. हॅयियी. एस, मेरा मन उसको देख कर तड़फ़ उठा. वाकई में मेरा दिल बल्ले-बल्ले करने लगा. उसकी टी-शर्ट के टाइट होने की वजह से उसके बूब्स की नुकीली नोक मेरे कलेजे को चीरती जा रही थी. मेरे लंड में रह-रह कर तनाव पैदा हो रहा था. मन कर रहा था कि माँझा और पतंगे को छ्चोड़कर उसके मम्मो को हथेली में लेकर मसल दूं. उफ़फ्फ़! क्या कातिल जवानी थी उसकी. वो भी इतनी देर में तीन-चार बार नज़रें घुमा कर मुझे उपर से नीचे तक देख रही थी. उसकी नज़रें रह-रह कर मुझ पर टिक जाती. मेरी नज़रें तो काइट पर कम उसके उपेर ज़्यादा थी.
मेरी बहन जोकि मेरी चरखी पकड़े हुए थी अचानक बोली, "भैया, मुझे ज़रा नीचे जाना है, तुम ज़रा चरखी पकड़ लो ना."
मेरी काइट उस समय काफ़ी उपेर थी इसलिए मैने कहा, "ज़रा 10-15 मिनिट रूको, रश्मि. अभी चरखी कौन पकड़ेगा?"
लेकिन रश्मि बोली, "अर्जेंट काम है भैया. लो मैं किसी दूसरे को पकड़ाती हूँ."
सयोंग से उस समय नताशा के हाथ में कोई चरखी नही थी. मेरी बहन उसको जानती भी थी. उसने नताशा को बुलाया और कहा, "प्लीज़ यह चरखी थोड़ी देर के लिए पकड़ लो. मुझे अर्जेंट काम से नीचे जाना है."
नताशा ने मेरी चरखी रश्मि के हाथ से ले ली. अब मेरी उस समय की चाहत के हाथ में मेरी डोर हो गयी.
मैने उसे हाई हेलो किया, "हाई. आइ'म राज शर्मा."
नताशा ने जवाब दिया, "हाई. आइ'म नताशा."
फिर मैं काइट उड़ाने में लग गया. बीच-बीच में उसको देखने के बहाने सिर पीछे कर उसे कुच्छ-ना-कुच्छ बात कर लेता. इससे मुझे मालूम हुआ कि वो चार साल पहले ही अपने गाओं से मुंबई में आई है और सेकेंड एअर Bआ में है. उसके बोलने के अंदाज़ से लग गया कि वो मुंबई में काफ़ी एंजाय कर रही है. उसकी गाओं वाली शरम हैया ख़तम हो चुकी है. वहाँ उसे पतंगे कभी उड़ाने कोनही मिली थी. लेकिन उसे काइट उड़ते हुए देखना खूब पसंद है.
मैने महशूष किया कि नताशा का चरखी पकड़ना पर्फेक्ट्ली नही आता है. मैने उसे बताया की काइट उड़ाने वाले के हाथ के इशारे को समझ कर कैसे चरखी पकड़ी जाती है. कैसे उड़ाने वाले के पीछे खड़ा हुआ जाता है. इतना सब बताने से उसने चरखी पकड़ने का अंदाज़ बदला और मुझे भी काइट उड़ाने में आसानी होने लगी. मैं बार-बार पीछे देखकर उसके मम्मो का आँखों से रसवादन कर लेता था. उसका चेहरे की सुंदरता को पी लेता था. वो भी मेरी आँखों में आँखें डाल कर मुझे ताक्ति रहती. जिसे मेरा उत्साह बढ़ रहा था. मेरे कॉलेज का एक्सपीरियेन्स मेरे काम आ रहा था. तभी मुझे एक आइडिया सूझा
मैं अब अपनी उड़ती हुई पतंग को एक साइड में ले गया और पीछे की तरफ होने लगा जिससे नताशा भी मेरे साथ पीछे होने लगी. मेरे अनएक्सपेक्टेड पीछे होने से मेरा बदन उसके जिस्म से रगड़ खा जाता. इसे मेरे बदन में चिंगारियाँ पैदा होने लगी. मैं अपनी काइट को नीचे उतारने के बहाने अपनी कोहनी से उसके मम्मो को टच करने लगा. फिर वापस से ढील दे कर काइट को और आयेज बढ़ा देता. ऐसा आधे घंटे में मैने ना जाने कितनी बार किया होगा. उसके मम्मे से मेरी कोहनी के हल्के टच से मेरे जिस्म में अंगारे भर रहे थे. उसकी तरफ से कोई नाराज़गी ना देखकर मुझे लगा मज़ा तो उसे भी आ रहा है. मैं अपनी इस कोहनी की हरकत का बड़े ही अंदाज़ से लुत्फ़ उठा रहा था. इस बीच मेरी केयी पतंगे कट गयी. तुरंत ही दूसरी नयी काइट उड़ा देता. और इस लुत्फ़ का मज़ा उठाता रहा.
तभी मेरी बहन रश्मि वापस आ गयी. उसके साथ मेरी फॅमिली के दूसरे मेंबर्ज़ भी आ गये. रश्मि ने आते ही कहा, "नताशा, ला अब चरखी मुझे...."
मज़ा खराब होते हुए देख मैने तुरंत ही बीच में बोल दिया, "रश्मि, जा. तू पापा की चरखी पकड़ ले. नताशा अभी मेरी चरखी पकड़ी हुई है."
नताशा ने मोहक अंदाज़ से मुस्कराते हुए कहा, "रश्मि, मैं ठीक हूँ यहाँ. तू अपने पापा की चरखी ले ले."
अब मुझे यकीन हो गया कि मेरा तीर निशाने पर लगा हुआ है. आटा कूदी फसली. मच्चली जाल में आ रही है. मैं अपने नये शिकार को पा कर बड़ा खुश हो रहा था. उसके बड़े और नुकीले मम्मो को अब मसल्ने का उपाय खोजने लगा. तभी मेरी यह इच्च्छा पूरी होने आ गयी.
नताशा ने कहा, "राज , मुझे भी काइट उड़ाने दो ना."
मैने पूछा, "तुम्हे आता है काइट उड़ाना."
नताशा ने इनकार में सिर हिलाते हुए कहा, "नही. मैने कभी भी काइट नही उड़ाई है."
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