RE: kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया
मैं ऑफिस जाने लगा.. लेकिन सासूजी ने मुझसे बात नहीं की.. तब मुझे लगा कि शायद सासूजी मुझसे नाराज़ हो गई हैं।
मुझे इस बात से थोड़ा डर भी लगा कि कहीं वो विधि वाली बात मेरी पत्नी या मेरी सास को ना बता दें।
मैं ऑफिस चला गया उधर भी मैं ये ही सोचता रहा.. करीब 12 बज गए.. तब अचानक मेरे मोबाइल पर कॉल आई।
यह कॉल सासूजी ने की थी और उन्होंने मुझसे कहा- अगर हो सके तो आप छुट्टी ले लेना।
मेरी खुशी का मानो ठिकाना ना रहा और सोचने लगा कि कब 5 बजे और मैं घर जाऊँ। मैंने अपने लिए 3 दिन की छुट्टी ले ली और घर आया.. तब सासूजी मुझसे नज़रें चुरा कर बोलीं- क्या ऐसी विधि ज़रूरी है?
मैंने कहा- अगर ना होती तो शायद मैं आपसे कभी नहीं कहता।
तब उन्होंने कहा- अच्छा है कि ज्योति घर पर नहीं है और आपने कहीं उसे ये सब बताया तो नहीं है?
तब मैंने कहा- मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है.. जो ऐसी बात बताऊँगा.. बल्कि मैं तो चाहता हूँ कि आप भी कभी किसी को मत बताइएगा.. क्योंकि इसमें हमारी बदनामी हो सकती है।
तब सासूजी बोलीं- मैं आपकी दासी बनने के लिए तैयार हूँ।
उस वक्त उनके चेहरे पर थोड़ी चमक आई.. क्योंकि वो भी मन से तो यही चाहती थीं.. लेकिन यह सब मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं।
इस तरह मैंने चाची सास को दासी बनाने के लिए तैयार किया और मन ही मन खुश हुआ कि अब तो सासूजी मेरी दासी हैं तो मैं उनसे कुछ भी करवा सकता हूँ।
लेकिन फिर भी मैं दिल से तो यही चाहता था कि सासूजी अपने मुँह से मुझे चुदाई का न्यौता दें.. इसलिए मैं अपनी ओर से कोई पहल करना नहीं चाहता था।
फिर वो अन्दर गईं और 5000 रूपए लाईं और मुझे देने लगीं और कहा- विधि का जो भी सामान है.. आप ले लेना।
तब मैंने उनको 5000 रूपए वापिस दिए और बोला- ये तो मेरा फ़र्ज़ है.. अगर आप ज्योति की माँ हैं तो क्या ज्योति मेरी कुछ नहीं है? आप इन्हें वापिस ले लीजिए.. मैं सामान ले आऊँगा।
मेरे बहुत कहने पर उन्होंने उसमें से सिर्फ़ 3000 रूपए ही वापस लिए और मुझे कसम दी कि अब इतने तो आपको रखना ही पड़ेंगे।
मैंने कहा- ठीक है और मैं बाज़ार विधि का सामान लेने चला गया और जब वापिस आ रहा था कि मैंने ज्योति के पति को एक कॉलगर्ल के साथ देख लिया।
वो दोनों होटल में जा रहे थे.. मैं भी उनके पीछे-पीछे वहाँ गया और सीधे उनके कमरे में जाकर उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया और ज्योति के पति को दो झापड़ मारे।
तब ज्योति का पति मेरे पाँव पड़ने लगा और कहने लगा- प्लीज़ आप किसी को कुछ बताइएगा नहीं.. वरना हमारी बहुत बदनामी होगी।
तब मैंने उसके सामने एक शर्त रखी कि मैं जो भी कहूँगा.. वो तुम्हें करना पड़ेगा।
उसने राजी होते हुए कहा- आप जो भी कहोंगे.. मैं करूँगा और दोबारा ये ग़लती कभी नहीं करूँगा।
वो तो साला ऐसे गिड़गिड़ा रहा था कि मेरा पालतू कुत्ता हो..।
तब मैंने कहा- ठीक है.. मैं किसी को नहीं कहूँगा.. लेकिन जब मैं बोलूँ तब तुम ज्योति को अपने घर ले जाना और उसे कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए।
तो उसने कहा- आप जो भी कहोंगे.. मैं करूँगा।
फिर मैं उधर से बाजार गया और जो भी ज़रूरी सामान था.. वो सब सामान ले आया और सासूजी से कहा- अपनी विधि सुबह 6 बजे आरम्भ करनी है..।
सुबह सासूजी रेडी हो गई थीं.. उन्होंने सफ़ेद रंग की साड़ी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था.. और अन्दर सफ़ेद रंग की ही ब्रा पहनी हुई थी।
मैंने सासूजी से कहा- विधि शुरू करें?
तो उन्होंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
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