RE: kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया
अब तो सासूजी भी मुझसे फ्री होकर बातें करने लगी थीं। शाम को जब मैं घर आया तो सासूजी ने मेरे लिए चाय बनाई और हम दोनों चाय पीने लगे।
चाय पीते-पीते सासूजी ने मुझसे कहा- आपने जो विधि की.. उसकी वजह से मुझे पूरा यकीन है कि अब ज्योति के ससुराल वाले उसे यहाँ से ले जाएंगे.. क्योंकि आज उनकी सास का फोन आया था और अगले हफ्ते उसे ले जाने की बात कर रही थीं, लेकिन…
“लेकिन” कह कर सासूजी चुप हो गईं.. तब मैंने कहा- लेकिन क्या..?आपको जो भी कहना है बेहिचक कह सकती हो..।
तब सासूजी थोड़ा शर्मा कर बोलीं- मुझे जानना है कि ऐसी कोई विधि है कि जो करने से ज्योति और उसके पति और पास आएं और जल्द से जल्द ज्योति माँ बन जाए.. अगर उसे बच्चा हो जाएगा तो उन दोनों के बीच मन-मुटाव नहीं होंगे और उनके ससुराल वाले भी ज्योति से खुश रहेंगे।
मैं समझ गया कि सासूजी क्या कहना चाहती हैं.. वो मुझसे चुदवाने के लिए बेताब हो चुकी थीं और मुझसे विधि के नाम पर चुदवाना चाहती हैं।
लेकिन मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं.. इसलिए मैंने कुछ देर सोचने का नाटक किया और बोला- सासूजी विधि तो है.. लेकिन बहुत कठिन है.. शायद आपसे नहीं हो पाएगा..।
तब सासूजी बोलीं- कितनी भी “कठिन” विधि क्यों ना हो… मैं ‘करवाने’ के लिए तैयार हूँ.. आप बताइए तो सही..
तब मैंने सासूजी को कहा- ये विधि सिर्फ़ पति-पत्नी या औरत-मर्द साथ में मिलकर ही कर सकते हैं।
तब वो बोलीं- यह तो सचमुच कठिन है क्योंकि ज्योति के पापा तो नहीं रहे और आप तो जानते हैं कि मेरा कोई देवर भी नहीं है.. जिनके साथ मिलकर विधि की जाए..।
वो अपना चुदास भरा चेहरा गंभीर बनाने का नाटक करते हुए कुछ सोचने लगीं।
तब मुझे लगा कि शायद मेरा प्लान फेल हो जाएगा.. तभी वो अचानक बोलीं-
दामाद जी.. आपने कहा ना कि औरत-मर्द साथ मिलकर भी विधि कर सकते हैं
मैंने सर को ‘हाँ’ में हिलाया।
तो वे अपने चेहरे पर शर्म के भाव लाते हुए बोलीं- क्या आप और मैं मिलकर ये विधि नहीं कर सकते..?
तब मैं भी शरमाने का नाटक करते हुए बोला- सासूजी जानती हैं.. आप क्या कह रही हो? इस काम के लिए हम दोनों को पति-पत्नी बनना होगा और अगर आप ये विधि करने का अपने मन में जब से संकल्प करती हो.. तब से लेकर विधि पूर्ण होने के 24 घंटे बाद तक आपको उन नियमों का पालन करना पड़ेगा। हम दोनों को पति-पत्नी की तरह बात करनी होगी और हर वो काम करना होगा.. जो एक पति-पत्नी करते हैं।
तब सासूजी बोलीं- मैं समझ सकती हूँ लेकिन.. ज्योति के लिए मैं इतना तो कर ही सकती हूँ ना.. और क्या आप मेरा साथ नहीं दे सकते हैं..? आप भी जानते हैं कि मैं आपके सिवा और किसी का ‘साथ’ नहीं ले सकती हूँ।
अब तो सासूजी भी मुझसे खुलकर बातें कर रही थीं।
मैंने कहा- ठीक है.. कल मैं सब सामान ले आऊँगा और कल विधि करेंगे।
वे खुश सी दिखीं।
फिर मैंने बोला- आपके पास आपकी शादी की साड़ी और चाचा जी के कपड़े तो होंगे ना?
तब वो बोलीं- क्यों?
मैंने कहा- पहले हमें शादी बनानी होगी.. तब हम विधि पूर्वक पति-पत्नी बनेंगे।
उन्होंने कहा- हाँ सब कुछ पड़ा है.. लेकिन आपके चाचा के कपड़े नहीं हैं।
तब मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं किराए से शेरवानी आदि ले आऊँगा।
‘हाँ.. ये ठीक रहेगा..’
मैंने सासूजी की चुदास को भांप लिया और कहा- अभी खाना खाने के बाद ही सब सामान ले आता हूँ।
सासूजी ने कहा- हाँ ठीक है.. जैसा आपको ठीक लगे.. और हँसते-हँसते बोलीं- कल शादी है.. तो क्या कल आप छुट्टी नहीं ले सकते?
मैंने कहा- आपका हुक्म सर आँखों पर.. कल सुबह फोन करके बोल दूँगा।
फिर वो खाना बनाने रसोई में गईं और मैं सामान लेने बाज़ार गया।
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