RE: kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया
वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं.. इसलिए वो अपना दाहिना हाथ पीछे लाईं और मेरे लण्ड को पज़ामे के ऊपर से ही पकड़ कर सहलाने लगीं, बोलीं- ऊओह.. राज आपका लण्ड कितना बड़ा है.. एक बार अपने मुँह में लेने के बाद भी.. अभी ऐसा अहसास हो रहा है कि पहली बार ही आपके लण्ड को छू रही हूँ..।
मैंने अपने दोनों हाथों को फैला कर उनकी दोनों चूचियों पर रख दिए और धीरे-धीरे दबाने लगा और वो भी अपने दोनों हाथों को पीछे लाकर मेरे लण्ड को और तेज़ी से सहलाने लगीं।
मैं धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा और सारे हुक खोल कर उनका ब्लाउज निकाल दिया। फिर मैं अपना हाथ उनके पेटीकोट पर ले गया और पेटीकोट के नाड़े को अपने हाथ में लिया.. तभी सासूजी ने भी मेरे पज़ामे का नाड़ा पकड़ लिया और हम दोनों ने एक साथ एक-दूसरे के नाड़े खींच दिए।
ऐसा लगा कि किसी दुकान का फीता काट कर उदघाटन हुआ हो।
हम दोनों ही हँस पड़े.. और इसी के साथ हम दोनों सिर्फ़ चड्डियों में रह गए थे।
मैंने थोड़ा पीछे होकर उसकी ब्रा के भी हुक खोल दिए।
फिर मैंने अपने लण्ड को सैट करके उनकी गाण्ड के छेद में लगा करके उनसे चिपक गया।
वो भी अपनी गाण्ड का दबाव मेरे लण्ड पर बढ़ा रही थीं।
मैं उनकी दोनों नंगी चूचियों पर अपना हाथ रख कर उन्हें दबाने लगा। उनके मस्त मम्मे दबाते-दबाते मैं अपना हाथ नीचे ले गया और उनकी चूत पर रख दिया।
तब सासूजी ने एक लंबी साँस ली और अपने दोनों पैरों के बीच में मेरे हाथ को ज़ोर से दबा लिया।
मैं अपना एक हाथ उनकी चूत पर और एक हाथ उनकी चूचियों पर रख कर करीब 10 मिनट तक दबाता रहा।
सासूजी ने भी अपने दोनों हाथों को पीछे लाकर.. मेरे लण्ड को दबाना चालू कर दिया।
मुझे लगा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो शायद हम दोनों ही झड़ जाएँगे। इसलिए मैं दूर हट गया और सासूजी को उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।
अब हम पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। फिर मैं अपना मुँह सासूजी के पैरों के पास ले गया और उनके पैरों को चूमने लगा और चूमते-चूमते उनकी जाँघों तक आ गया। मैं उनकी दोनों मुलायम जाँघों को बारी-बारी से चूमता रहा।
सासूजी भी छटपटा रही थीं और अपने दोनों पैरों को ऊपर-नीचे कर रही थी।
फिर मैं 69 की अवस्था में आ गया और अपने दोनों पैरों को फैला कर उनके सर को बीच में ले लिया। अब मैंने उनकी दोनों जाँघों को पकड़ कर उनकी चूत को थोड़ा सा ऊपर किया और उनकी चूत पर जीभ को रख दिया।
जीभ के चूत पर पाते ही सासूजी का पूरा शरीर कांप उठा और सासूजी ने मेरे दोनों पैरों को पकड़ लिए, मैंने ऊँगली से सासूजी की चूत को थोड़ा फैलाया और उनकी चूत में जीभ को अन्दर तक डाल दी।
अब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो सासूजी ने भी एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया लेकिन मेरा लण्ड इतना मोटा और लंबा था कि सासूजी के मुँह में समा नहीं रहा था फिर भी सासूजी मेरे लण्ड को तेज़ी से अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थीं वे मुझसे चुदासी हो कर कह रही थीं- ऊऊहह राज्जजज.. अब्ब्ब्ब.. सहहन.. नहीं होता.. प्प्प्ल्ल्लीज..
करीब 5 मिनट तक सासूजी मेरे लण्ड को और मैं उनकी चूत को अपनी-अपनी जीभ से चोदते रहे।
फिर मैं उठा और सासूजी के दोनों पाँवों को फैला कर बैठ गया, सासूजी समझ चुकी थीं कि अब उनकी सूनी चूत को लण्ड का स्वाद चखने को मिलेगा।
तब मैंने तकिया लिया और उनकी गाण्ड के नीचे रख दिया जिसकी वजह से उनकी चूत थोड़ी ऊपर आई और सासूजी की चूत का दाना मेरे लण्ड को दावत देने लगा, मैं लण्ड को हाथ में पकड़ कर सासूजी के चूत के दाने पर रगड़ने लगा.. तब वो पूरी तरह से लण्ड लेने को बेताब हो चुकी थीं, वो अपनी गाण्ड को उठा-उठा कर मेरे लण्ड को चूत में अन्दर लेने की कोशिश कर रही थीं।
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