RE: Behen Chudai Kahani जुड़वाँ बहनों की चुदाई
सीमा बोली, “इस तरह तो आपने मेरी आग को और भड़का दिया। मेरी आग तभी ठंडी होगी जब आप हेमा की तरह ही मुझे भी खूब चोदेंगे।”
धरम बोले, “मेरा लंड तुमने देख ही लिया है। इसे अपनी चूत के अंदर ले पाओगी। तुम्हारी चूत फट जायेगी।”
वो बोली, “जब हेमा आपका इतना बड़ा लंड अपनी चूत के अंदर ले लेती है तो मैं भी इसे पूरा अंदर ले लुँगी। मैं अपनी चूत की आग में जल रही हूँ। मुझे तो बस केवल आपसे चुदवाना है भले ही मेरी चूत फट जाये। मेरी आग बुझा दो प्लीज़।”
धरम ने कहा, “अगर तू कहती हो तो मैं अगले राऊँड में तुम्हें चोद दुँगा। तुम हेमा से पूछ लो। उसको कोई ऐतराज़ तो नहीं है।”
हेमा बोली, “सीमा तैयार है तो भला मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है। आखिर ये मेरी बहन है।”
अब आगे की कहानी सीमा की ज़ुबानी:
रात के सात बजे मैंने धरम का लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। थोड़ी ही देर में धरम का लंड खड़ा हो गया। धरम ने मुझे लिटा दिया और मेरी टाँगों के बीच आ गये। उन्होंने मेरी चूत को चाटना शुरु कर दिया। मेरे सारे बदन ने सुरसुरी सी होने लगी। मैं जोश से पागल हुई जा रही थी। दो मिनट में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने धरम को अपनी बाँहों में जोर से जकड़ लिया। धरम मेरे होंठों को चूमने लगे। थोड़ी देर बाद धरम ने मुझसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा। मैं बहुत ज्यादा जोश में थी और तुरंत ही डॉगी स्टाइल में हो गयी। धरम मेरे पीछे आ गये। उन्होंने मेरी चूत की लिप्स को फैला कर अपने लंड का टोपा बीच में रख दिया। मेरे सारे बदन में गुदगुदी सी होने लगी और मैं सिसकरियाँ भरने लगी।
धरम ने मेरी कमर को पकड़ा और बोले, “सीमा, अब मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड घुसाने जा रहा हूँ। अब तुम दर्द सहने के लिये तैयार हो जाओ।”
मैंने कहा, “मुझे चाहे जितना दर्द हो मैं तो बस केवल आपका पूरा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती हूँ। आपने मेरी सैक्स की आग को भड़का दिया है। मैं आप से खूब चुदवाना चाहती हूँ।”
हेमा बोली, “अगर तू ही चुदवाती रहेगी तो मेरा क्या होगा। मैं तो चुदवाये बिना नहीं रह सकती।”
मैंने कहा, “मुझे चुदवा लेने दे फिर तू भी चुदवा लेना।”
धरम ने अपना लंड मेरी चूत के अंदर दबाना शुरु कर दिया। उसका लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर घुसता जा रहा था। पहले तो मुझे बहुत कम दर्द हुआ लेकिन जब उसका लंड और ज्यादा गहरायी तक मेरी चूत के अंदर चला गया तो मुझे दर्द होने लगा। मैंने धरम को रोका नहीं। वो अभी भी अपना लंड मेरी चूत में दबाता जा रहा था। उसका लंड मेरी चूत में और ज्यादा गहरायी तक घुसता जा रहा था। मैंने अपने होंठ जकड़ लिये जिससे मेरे मुँह से चींख ना निकले। जब मेरी चूत का दर्द बर्दाश्त से बाहर हो गया तो मैंने धरम से रुक जाने को कहा। वो रुक गया। मैंने पूछा, “कितना घुसा है तुम्हारा लंड?”
वो बोला, “अभी तो केवल पाँच इंच ही घुस पाया है!”
मैं राज के पाँच इंच के लंड से चुदवाने की आदी थी और धरम का लंड पाँच इंच तक मेरी चूत में घुस चुका था। मुझे बहुत ज्यादा दर्द इसलिये भी हुआ क्योंकि धरम का लंड राज के लंड से बहुत ज्यादा मोटा था। थोड़ी देर बाद मैंने धरम से और ज्यादा लंड चूत के अंदर ना घुसाते हुए चोदने को कहा।
उसने अपना लंड पाँच इंच तक ही मेरी चूत में डालते हुए अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। मेरी चूत ने धरम का लंड एक दम जकड़ रखा था। थोड़ी देर बाद जब मेरी चूत कुछ ढीली हो गयी तो मेरा दर्द काम हो गया।
मैं जोश में आ कर सिसकरियाँ भरने लगी। मैंने अपने चूतड़ भी आगे पीछे करने शुरु कर दिये। दो-तीन मिनट में ही मैं झड़ गयी। झड़ने के बाद मेरी चूत और ज्यादा गीली हो गयी तो धरम ने एक धक्का लगा दिया। मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और मैं चिल्लाने लगी।
हेमा बोली, “क्या हुआ। अभी तो धरम का लंड केवल छः इंच ही घुसा है और तू चिल्ला रही है। अभी तो दो इंच बाकी है। जब धरम पूरा लंड अंदर डाल देगा तो तेरा क्या हाल होगा?”
“थोड़ा सब्र कर! मैं तो जीजू का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर लुँगी, चाहे जो हो जाये।”
धरम ने हेमा से कहा, “तुम सीमा का मुँह जोर से दबा दो, जिससे मैं अपना पूरा लंड इसकी चूत में डाल दूँ। नहीं तो जैसे पहले तुम चिल्लाती थी उसी तरह ये भी बहुत चिल्लायेगी और मैं एक बार में पूरा लंड इसकी चूत में नहीं डाल पाऊँगा। पूरा लंड डालने के लिये मुझे सीमा की कई बार चुदाई करनी पड़ेगी और उसे कई बार दर्द होगा।”
हेमा ने मेरे मुँह जोर से दबा कर पकड़ लिया। धरम ने पूरी ताकत के साथ तीन-चार जोरदार धक्के और लगा दिये। मैं दर्द के मारे तड़पने लगी। मेरा बदन थरथर काँपने लगा। मुँह दबा होने की वजह से मेरे मुँह से केवल गूँ-गूँ की आवाज़ ही निकाल पा रही थी। मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीग गया। धरम का लंड अब एक दम जड़ तक मेरी चूत में समा चुका था। हेमा मेरा मुँह दबाये रही और धरम ने धक्के लगाने शुरु कर दिये। वो अभी धीरे-धीरे धक्के लगा रहे थे। चार-पाँच मिनट में ही मैं फिर से झड़ गयी तो मेरी चूत एक दम गीली हो गयी। अब धरम का लंड मेरी चूत में थोड़ा आसानी से अंदर बाहर होने लगा था। मेरा दर्द भी कुछ हद तक काम हो चुका था। अब मैं ज्यादा नहीं चिल्ला रही थी। हेमा ने अपना हाथ मेरे मुँह से हटा लिया।
हेमा ने मुझसे पूछा, “धरम का पूरा लंड अब तुम्हारी चूत के अंदर है। कैसा लग रहा है?”
मैंने कहा, “अच्छा लग रहा है लेकिन अभी भी दर्द बहुत दर्द हो रहा है।”
हेमा बोली, “अभी जब धरम की स्पीड बढ़ जायेगी तब फिर से दर्द होगा। तुम ये दर्द बर्दाश्त कर लेना। फिर बाद में तुझे बहुत मज़ा आयेगा।”
इतना कह कर हेमा ने अपनी चूत मेरे मुँह के पास कर दी और बोली, “तुम मेरी चूत को चाटो। इससे तुम्हें दर्द काम महसूस होगा!”
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