College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 01:01 PM,
#46
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शिव किसी ख़ूँख़ार भेड़िए की तरह मुस्कुरा रहा था... शिकार करना वो जनता था... शिकार उसके सामने था.... किचन में... उसने धीरे से ओम के कान में कहा," सिर्फ़ ट्राइ करते हैं... मान गयी तो ठीक है... वरना अपना क्या बिगड़ लेगी...."
"नशे में नही होता तो ओम कभी भी उसको इश्स बात की इजाज़त नही देता... पर जाने क्या बात होती है शराब में... आदमी 2 घंटे बाद क्या होगा, ये भी भूल जाता है..," तू मरवाएगा यार..! कहकर वो फिलम देखने लगा.. हीरो की बेहन ने कुए में कूद कर जान दे दी.....

शिव सोफे से उठकर किचन की और गया...और दरवाजे पर खड़ा हो गया... अपने साथ होने जा रही वारदात से अंजान शिवानी कुछ गुनगुनाती हुई सी रोटियाँ सके रही थी... पसीने के कारण उसकी नाइटी पूरी तरह भीग गयी थी... उसके चूतदों का गड्रयापन उसकी नाइटी के नीचे पहनी हुई उसकी पनटी के किनारों के अहसास के साथ सॉफ झलक रहा था... टी.वी. का वॉल्यूम उतना ही था... जितना शिवानी ने कर दिया था... फुल! शिव उस्स पर किसी बाज की तरह से झपटा... शिवानी कसमसा कर रह गयी... शिव का एक हाथ उसके मुँह पर था... और दूसरा उसके पेट पर... शिवानी के गले से आवाज़ निकालने ही ना पाई... शिव ने उसको उठाया और उसी के बेडरूम में ले गया... दरवाजे की कुण्डी लगाई... और शिवानी को बेड पर लेजाकार पटक दिया.....

उसकी हाव भाव देखकर शिवानी की ये कहने की भी हिम्मत नही हुई की आख़िर कर क्या रहा है... वा सब समझ गयी थी.. शिव नीचे खड़ा मुस्कुरा रहा था...

अचानक ही दरवाजे पर दस्तक हुई... शिवानी उठकर दरवाजे की और भागी... पर वहाँ तक पहुँच ना पाई... शिव के हाथों में जकड़ी ज़ोर से चिल्लाई," बचाअओ!"
पर बचाने वाला कोई ना था... हां शिव को समझने वाला तो था... ओम! पर वो भी एक बार दरवाजा थपथपा कर वापस चला गया... जब दरवाजा नही खुला..!
शिव शिवानी के उपर गिर पड़ा... उसको नोचने लगा... वो चिल्लती रही... शिव ने उसकी नाइटी गले से पकड़ी और खींच दी... नाइटी चीरती चली गयी... शिवानी की चूचियाँ अब नंगी थी.. उसने अपने आप को समेटने की कोशिश करी... शिव ने उसके दोनो हाथ पकड़े और पीछे करके एक हाथ से दबा लिए...

शिवानी चिल्ला रही थी... अपने पैर चला रही थी.. खुद को बचाने के लिए... शिव उठकर उसकी जांघों पर बैठ गया...
ठीक उसकी योनि पर... हाथ शिव के काबू में होने की वजह से शिवानी असहाय हो गयी... भला 22-23 साल की 35 साल के आगे क्या बस चलती..... उसने शिव की कलाई को ज़ोर से अपने दाँतों के बीच ले लिया.. और लगभग उसकी खाल को काटकर अलग ही कर दिया...
शिव के क्रोध का ठिकाना ना रहा... उसने झुक कर शिवानी के गाल को काट खाया... उसी जालिम तरीके से... शिवानी का दिल और दिमाग़ काँप उठे... इश्स दर्द को महसूस करके.. उसने अपने दाँत हटा लिए.... समर्पण कर दिया...

पर इश्स समर्पण से शिव संत्ुस्त नही था... उसने थोड़ा पीछे होकर शिवानी की जांघों के बीच हाथ दे दियाअ....
शिवानी ने एक आखरी कोशिश और की... अपनी अस्मत बचाने की... उसने ज़ोर लगाकर निसचिंत से हो चुके शिव को पिछे धक्का दे दिया... शिव बेड से पिछे जा गिरा...

शिवानी उठने को भागी... पर उठते हुए उसकी नाइटी में उसका घुटना आ फँसा और वो मुँह के बाल आ गिरी... चोट सीधी शिव द्वारा कटे गये उसके गाल पर लगी... शिवानी दर्द से तिलमिला उठी...
शिव को उठ ने में कम से कम 1 मिनिट लगा.. पर तब तक शिवानी ना उठ पाई...
अब शिव ख़ूँख़ार हो चुका था... उसने लगभग हार चुकी शिवानी को आधा बेड पर गिरा दिया... शिवानी के घुटने ज़मीन से लगे थे... उसके दोनो हाथ पीछे शिव के हाथों में थे.. पैरों को शिव ने अपने घुटने से दबा दिया... बेड के कोने पर शिवानी का वो भाग था जिसको शिव भोगना चाहता था....

शिव ने उसकी नाइटी उपर खींच दी... और पॅंटी नीचे...
शिवानी असहाय सी हीरो की बेहन की तरह सिसक रही थी... उसकी आँखों के आगे आँधेरा छाया हुया था....


शिवानी की योनि के कटाव को देखकर शिव एक हाथ से अपने को तैयार करने लगा...

और तैयार होते ही उसने अपनी हसरत पूरी कर दी... शिवानी मानसिक दर्द से तिलमिला उठी.... उसकी चीत्कार सुनकर ओम फिर दरवाजे पर आया," शिव भाई... ज़बरदस्ती नही... तुमने बोला था....
शिव को गुस्सा आ गया अपने कुत्सित आनंद में विघन पड़ते देखकर... और ये सब शिवानी की चीखों की वजह से हो रहा था....
शिव ने अपना मोटा हाथ शिवानी के मुँह पर रख दिया... शिवानी का सब कुछ घुट गया....
शिव धक्के लगाकर अपनी वासना की पूर्ति करने लगा... धीरे धीरे शिवानी का विरोध कम होता होता बिल्कुल ही बंद हो गया... अब वो चिल्ला नही रही थी...

शिव जब अपनी कुत्सित वासना शांत करके उठा... तो शिवानी ना उठी... वा नीचे गिर पड़ी... धदाम से...

शिव ने उसकी छाती पर हाथ रखा.. वो खामोश हो चुकी थी... शिव के हाथ के नीचे उसकी साँसों ने दम तोड़ दिया...

शिव अपना सिर खुजाता हुआ बाहर आया... उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे... उसकी नज़र टी.वी. पर गयी... हीरो... उस्स सरदार को उसके कर्मों का फल दे रहा था...
शिव डर गया... उसने ओम को सब कुछ बताया... ओम के हाथ पैर फूल गये....

करीब 1 घंटे बाद उनकी कार गेट से निकली और गायब हो गयी.... शिवानी की लाश लिए.
ओर उधर
मनाली में करीब 8:00 बजे टफ ने नीचे जाकर मॅनेजर को 1000 रुपए का नोट दिया... और 8:30 बजे तक उपर खाना लगाने का आदेश दिया.... और उसके बाद किसी को भी उपर ना आने देने के लिए कहा.... मॅनेजर ने खुशी से नोट अपनी जबे में डाला और साहब को इनायत बखसने के लिए धन्यवाद दिया...उसको तो 10:00 बजे निकलना ही था... होटेल का हाउस फुल होने की वजह से कस्टमर की तो उम्मीद थी ही नही... उसने रूम सर्विस देने वेल अपने एक मात्रा वेटर को बुलाया और सब समझा दिया....
उसके बाद वा होटेल के किचेन में गया... खाना उसके कहते ही बन-ना शुरू हो गया था...
राज ने केमिस्ट की दुकान से लाई गयी कुछ नशे की दवाइयाँ उसको दे दी थी.... खाने में मिलाने के लिए... टफ ने वैसा ही किया... और 500 का नोट वेटर को दे दिया.... ," शाब! क्या मामला है... आज क्या कुछ बड़ा हाथ मारना है.."
राज ने उसके गाल पर एक ज़ोर का तमाचा दिया.... कुक सब समझ गया," सॉरी, शाब! मैं तो ऐशी पूछ रहा था...

उसके बाद टफ वापस आ गया... आज वह पहली बार किसी के कहे पर चल रहा था... पता नही राज का दिमाग़ अचानक कैसे चलने लगा था....

प्यारी ने नीरू को बुलाकर कहा... आज खाना जल्दी खाना है.... उसके बाद तैयार हो जाना... सेक्स गेम के लिए...!

जैसे जैसे सबने डिन्नर शुरू किया... नशे की गोलियाँ अपना रंग दिखाने लगी... लड़कियों को आज स्वाद कुछ अजीब लग रहा था... पर आज तो सभी कुछ अजीब सा हो रहा था... इसीलिए... गेम की चिंता में डूबी लड़कियाँ.. आपस में ख़ुसर फुसर करते करते खाती रही.....

खाने के करीब 15 मिनिट बाद उनके हाव भाव में परिवर्तन आना शुरू हो गया... उनकी एक दूसरी से बात करते हुए झिझक कम होती जा रही थी... कोमल ने नीरू से कहा," क्या तू सच में गेम में हिस्सा लेगी..."
नीरू हँसने लगी," जो वाआअदाअ कियाअ है वो निभाना पदेयययगाअ.. हमनेययय बुलायाअ तुमको आआना पड़ेगाअ...!" जब सबसे ज़्यादा अपनी इमेज का ख्याल रखने वाली समझदार नीरू का ये हाल था... तो दूसरों के तो कहने ही क्या थे... अब उनमें इश्स बात पर बहस होने लगी थी की आज के कॉंटेस्ट में प्राइज़ कौन जीत सकता है...!"
"एक दूसरी लड़की अनिता सबको अपना आइडिया बता रही थी," मैं तो चार चार सूट पहन कर जवँगी... फिर कोई मुझे कैसे नंगा करेगा...!" और लड़कियाँ हंस पड़ी... उन्न पर गोलियों का शुरूर छा गया था...! सब लड़कियाँ बारी बारी से बाथरूम में जाती और देख कर आती की वो नंगी होने पर भद्दी तो नही लगेंगी... हर तरफ हँसने गाने की आवाज़ें गूंजने लगी... शरम हया होटेल से कहीं दूर जा चुकी थी... सारा होटेल ही जैसे किसी बहुत ही शानदार फेस्ट की तैयारी कर रहा था...
करीब 9:30 बजे... टफ ने ड्राइवर और कंडक्टर को बुलाया..," हां साहब! बताइए... वो अभी तक इश्स बात से अंजान थे की वहाँ क्या कुछ होने वाला है...
"ये पाकड़ो अपना किराया... और यहाँ से फुट लो!" टफ ने अपनी रौबिली आवाज़ में कहा..
"क्यूँ जनाब! हमसे कोई ग़लती हो गयी क्या?" ड्राइवर ने पूछा...
" वो हम शायद कुछ दिन और रुकेंगे! तुम चले जाओ!"
"पर जनाब! हूमें कोई काम नही है... हम रुक जाएँगे..." हसीन परियों के बाजू वाले कमरों में कौन नही रहना चाहता... धंधा अपनी मा चुडवाए...
"तुमसे कह दिया ना... अभी चल दो.. सुबह तक पहुँच जाऊगे.. या दूसरे तरीके से समझना पड़ेगा!"
" ठीक है जनाब, हमें पूरा किराया मिल गया.. हमें और क्या चाहिए..." दोनो को पता चल चुका था की ये भिवानी मैं सब इनस्पेक्टर है... वो चुप चाप वहाँ से खिसक लिए...

करीब 9:45 पर प्यारी देवी ने सभी लड़कियों को उपर डाइनिंग हाल में बुलाया," सुनो लड़कियो! इश्स खेल का नियम है की कोई भी लड़की 4 से ज़्यादा कपड़े अपने सरीर पर नही डालेगी... सिर्फ़ तुम्हारी ब्रा, पनटी, कमीज़ और सलवार के अलावा कुछ नही होना चाहिए.... हां कम चाहे तो पहन सकती हो... याद रखना... जो ग्रूप में सबसे पहले अपने कपड़े उतार देगी.. वही विजेता होगी... अभी तुम जाओ और तैयार होकर जल्दी आ जाओ....

करीब 10:15 पर राज और टफ ने डाइनिंग हाल में प्रवेश किया... लगभग सभी लड़कियाँ अपनी सीटो पर कब्जा जमा चुकी थी.... सुबह तक जो लड़कियाँ... सबसे पीछे वाली से भी पीछे बैठने की जुगत में थी.. अब उनमें आगे बैठने की कसक थी...

कुछ ही देर बाद गौरी और अंजलि ने प्रवेश किया... गौरी लड़कियों में जाकर बैठ गयी.. अंजलि टफ की बराबर में जाकर बैठ गयी... उसने भी वही भोजन किया था जो लड़कियों ने किया था... गौरी लगातार टफ को घूरे जा रही थी... पता नही क्या ढूँढ रही थी...

राज रेफ़री था... आगे आया और बोला.. इन्न पर्चियों में सबके नाम लिखे हैं... अब कोई एक लड़की आए और इनको 11-11 में बाँट कर 4 ढेरी बना दे... उसके बाद हम खेल शुरू करेंगे...
लड़कियों के बीच से नीरू उठ कर आगाई... वो राज के पास जाकर ऐसे मुस्कुराइ जैसे उसको दिन वाली बात याद दिला रही हो... जब उसने राज का हाथ अपनी छातियों पर ही पकड़ लिया था...
नीरू ने बंद पर्चियों को अलग अलग करके 4 ग्रूप्स में बाँट दिया... राज ने एक ग्रूप की पर्चियाँ उठाई... सभी लड़कियाँ अपना अपना ग्रूप जान-ने को बेचैन थी... बिना बात ही... नंगा तो सभी को होना था...
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