Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
06-19-2018, 12:29 PM,
#4
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
हम दोनों को नंगा देख कर वो बोली, “मैं ज्यादा लेट हो गयी क्या?” अलीशा बोली, “नहीं अभी नहीं! पर तूने तो जान ही निकाल दी थी! पहले आवाज़ नहीं दे सकती थी क्या? तेरी कार की भी आवाज़ नहीं सुनायी दी!” रज़िया मुस्कुरा दी और अलीशा को बाँहों में लेकर उसके होंठ चूम लिये। रज़िया बोली, “कार की आवाज़ कैसे सुनायी देती… तुम दोनों अपने काम में जो मसरूफ थे!” रज़िया ने अपना बुर्का उतार कर एक तरफ फेंक दिया। अब वो बहुत ही हॉट लग रही थी। उसने गहरे गले वाला हल्के नीले रंग का कमीज़ पहना था जो स्लीवलेस था और सफेद रंग की चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी।
फिर रज़िया मेरे पास आयी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। अलीशा भी मेरे पास आ गयी और रज़िया से बोली, “कपड़े उतार ओर पहले तू ही मरवा ले।” रज़िया मुस्कुराते हुए बोली, “हाय अल्लाह… आज तो कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रही है… क्या बात है? वैसे फिलहाल तो तुम दोनों ही जो कर रहे थे वो ज़ारी रखो.. मैं ज़रा बाथरूम में फ्रेश होकर आती हूँ!” अलीशा बोली, “ठीक है तेरी मरज़ी…!” मुझे देख कर रज़िया आँख मारते हुए बोली, “बस अभी आयी!” और अंदर चली गयी।
अलीशा मेरी गोद में बैठ कर फिर मेरे होंठ चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबाने लगा। रज़िया के सैंडलों की खटखटाहट सुनकर उस तरफ मेरा ध्यान गया तो देखा कि रज़िया ने अपनी कमीज़ और ब्रा दोनों उतार दी थी। हमारे पास आकर उसने मेज पर रखी व्हिस्की की बोतल उठायी और सीधे उसमें से पीने लगी। उसे देख कर अलीशा बोली, “अरे ये क्या! सीधे बोतल से ही पीने लगी! इरादा क्या है?”
रज़िया ने जवाब दिया, “बस जल्दी से तेरी ही तरह मदहोश होने का इरादा है मेरी जान!”और हंसते हुए फिर बोतल से पीने लगी। दो-तीन मिनट में ही उसने काफी शराबपी ली। फिर वो सोफे के पीछे आ कर मेरे ऊपर झुक गयी और अपने मम्मे मेरे मुँह पर रख दिये। मैं उसके मम्मे चूसने लगा। शराब की बोतल अभी भी उसके हाथ में थी और वो बीच-बीच में चुसकियाँ ले रही थी। बीच-बीच में वो थोड़ी शराब अपने मम्मों पर भी डाल देती थी जिसे मैं उसके मम्मों से चाटने लगा। कभी-कभी मेरे दाँत उसके मम्मों में गढ़ जाते तो उसके मुँह से “आआआआहहहह ऊऊऊईईईई” जैसी चुदासी आवाजें निकल जाती।
अलीशा मेरी दोनों टाँगों के आरपार अपनी टाँग फैला कर खड़ी हो गयी। उसने अब मेरे लण्ड को पकड़ कर सीधा किया ओर अपनी चूत के निशाने पर रख कर बैठ गयी। पहले वो हल्का वजन डाल कर बैठी थी और मेरे लण्ड का टोपा ही उसकी चूत में घुसा था। उसकी आँखें बंद थीं और मुँह खुला था। धीरे-धीरे उसने और वजन डालना शुरू किया और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाने लगा। जैसे-जैसे लण्ड उसकी चूत में जाने लगा तो उसके मुँह से निकलने वाली मस्ती भरी आवाजें तेज होने लगीं,उसकी आँखें और जोर से बंद हो गयीं। रज़िया ने अब अलीशा के बड़े बड़े मम्मे पकड़ लिये ओर उन्हें दबाने लगी। अलीशा की साँसें तेज चलने लगीं और उसकी मस्ती भरी आवाजें भी और बड़ गयी थी।
अलीशा ने अपना पूरा भार छोड़ दिया और मेरा लण्ड उसकी चूत मैं पूरा घुस गया। अलीशा जोर से चींखी, “आआआआहहह अल्लाऽऽहहह , ऊऊऊऊईईईईई, मेरी चूऽऽऽत…. हायऽऽऽ अम्मीईईई आँईईईईई ऊँहहह!” रज़िया उसके मम्मे और जोर से दबाने लगी। अलीशा की आँखें पूरी तरह से बंद थीं। उसका चेहरा लाल हो गया और उसके मम्मे रज़िया ने दबा- दबा कर लाल कर दिये। अलीशा के मुँह से निकलने वाली चींखें और तेज़ हो गयीं और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जो मेरे लण्ड के आसपास जमा हो गया, जिसकी गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने अलीशा की नंगी गाँड को पकड़ा ओर उसे इशारे से ऊपर-नीचे करने को कहा क्योंकि मेरे मुँह में रज़िया ने अपने मम्मे ठूँस रखे थे। अलीशा पहले धीरे-धीरे झटके मारने लगी। फिर धीरे-धीरे उसने झटकों को तेज किया ओर फिर जोर-जोर से ऊपर-नीचे उछलने लगी। मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया लेकिन अलीशा जोर-जोर से झटके मारती रही। कुछ देर बाद वो फिर एक और बार चींखते हुए झड़ गयी और मेरी गोद में से फिसल कर नीचे बैठ गयी और हाँफने लगी।
रज़िया भी अब सामने आ गयी थी। रज़िया के मम्मे भी लाल-लाल हो गये थे और उन पर मेरे दाँतों के निशान भी थे। अलीशा का बुरा हाल था। वो जोर-जोर से हाँफ रही थी और माथे पर पसीना था। उसकी चूत गीली थी पर गुलाबी थी। अलीशा घूम कर मेरे पैरों के पास आयी ओर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चाटते हुए हम दोनों के पानी का स्वाद लेने लगी। फिर धीरे-धीरे अलीशा मेरे पूरे शरीर पर किस करने लगी। ये देख रज़िया ने भी मेरे शरीर से खेलना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था। फिर वो मेरे लण्ड को जो कि निढाल हो गया था, अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरा लण्ड फिर टनटनाने लगा था। रज़िया भी अब नशे में चूर थी जिस वजह से वो अपनी सलवार का नाड़ा नहीं खोल पा रही थी। अलीशा भी उसकी मदद करने लगी और आखिर में जैसे ही नाड़ा खुला, दरवाजे पर घंटी बज गयी।
हम तीनों डर गये। अलीशा ने उठ कर वहाँ पड़ा रज़िया का बुर्का नंगे जिस्म पर पहन लिया। इतने में रज़िया ने फटाफट शराब की बोतल और ग्लास उठायीऔर मैंने सब कपड़े समेटे और हम दोनों अंदर कमरे में आ गये। रज़िया बहुत गुस्से में नज़र आ रही थी।
दो मिनट बाद ही आने वाले को सोफे पर बिठा कर अलीशा भी अंदर कमरे में आयी और फुसफुसाते हुए हमें बताया कि उसकी कोई बुजुर्ग रिश्तेदार आयी है जो एक घंटे के पहले जाने का नाम नहीं लेगी। उसने रज़िया से कहा कि मुझे पीछे के दरवाज़े से बाहर कर दे। फिर अलीशा ने बुर्का उतार कर जल्दी से कपड़े पहने और खुद को ठीकठाक करके बाहर चली गयी। लेकिन उसके कदम अभी भी लड़खड़ा रहे थे। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे लेकिन रज़िया अभी भी उसी हालत में बैठी थी और बुदबुदाती हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी।
मैंने इशारे से रज़िया को कहा कि मुझे बाहर निकलने में मदद कर दे तो वो लड़खड़ाती हुई खड़ी हुई। उसका नशा इतनी देर में पहले से काफी बढ़ गया था। उसी कमरे से घर के पीछे की तरफ दरवाजा था जिससे हम दोनों बाहर निकले। घर के पीछे ऊँची बाउन्ड्री-वाल थी और पेड़-पौधे थे और कुछ पुराना सामान मौजूद था। उसी बाउन्ड्री-वाल में छोटा सा लोहे का दरवाज़ा था जिसके ज़रिये मैं घर के पीछे मैदान में निकल सकता था। मैं जैसे ही वो दरवाज़ा खोलने के लिये आगे बढ़ा, रज़िया ने अचानक मुझे धक्का दे कर अलीशार के सहारे सटा दिया और मुझसे चिपट गयी। वो बोली, “साली अलीशा ने तो मज़े ले लिये… मेरी बारी आयी तो… खैर मैं भी तुझे ऐसे जाने नहीं दूँगी…!”और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी। कुछ देर इसी तरह हम दोनों एक दूसरे को चूमते और सहलाते रहे। फिर उसने अपनी सलवार घूटनों के नीचे सरका दी और अलीशार की तरफ मुँह करके टाँगें चौड़ी करके अलीशार के सहारे आगे झुककर खड़ी हो गयी
मैंने भी अपनी पैंट और अंडर्वीयर नीचे खिसकाये और पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा। वो बेशरम औरत ज़ोर-ज़ोर से मस्ती भरी आवाज़ें निकालने लगी। नशे में उसे इस बात की भी फिक्र नहीं थी कि कहीं उसकी ये चीखें और सितकारें कोई सुन ना ले। मेरे पानी छोड़ने से पहले उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा । जब मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वो बुरी तरह हाँफ रही थी और घूम कर मुझसे चिपक गयी।
थोड़ा संभलने के बाद मैंने अपने कपड़े ठीक किये और वहाँ से रवाना हो गया।
——-समाप्त——–
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