RE: non veg story वो जिसे प्यार कहते हैं
राजेश अपनी प्रेज़ेंटेशन के बाद बहुत खुश था और दो ही घूँट में कॉफी ख़तम कर गया. वो जानता था कि उससे बीच में गड़बड़ क्यूँ हुई. अब वो मिनी क्या कहती है उसका इंतेज़ार कर रहा था.
‘एक और कप कॉफी चलेगी?’ मिनी का व्यवहार एक दम प्रोटेक्टिव था. आउज़ इस वजह से उसके दिमाग़ में कुछ गड़बड़ होने का डर बैठ गया. वो बहुत अच्छी तरहा से व्यवहार कर रही थी जो किसी भी अन्य ब्रांड मॅनेजर से मेल नही ख़ाता था- जिनसे भी वो आज तक मिला.
कुछ पलों के लिए उसे शक़ हुआ कि ये अच्छापन वाकई में है या फिर एक दिखावा. ऐसे लोगो से वो शायद ही आज तक मिला हो. उसके बारे में कोई सही राय बनाना बहुत मुश्किल था.
मिनी ने ये सारे डर उसके दिमाग़ से निकाल दिए जब उसने कितने ही कॉन्फिडेन्स के साथ बोलना शुरू किया- जो बताता था कि उसकी जानकारी कितनी गहरी है.
‘ मेरा एक सवाल है- हमारी अपनी रिसर्च के हिसाब से 5 में 4 जो हमारे माल में आते हैं वो ए+ या ए इनकम ग्रूप के हैं. और इन लोगो मैं शादियाँ , जान पहचान,और अपने सर्कल में ही ज़यादा होती है. जायदातर इनकी शादियाँ भी बिज़्नेस डील होती हैं. तो मुझे नही लगता की आपकी वेबसाइट का ऐसे लोगों पे कुछ असर होगा.’
राजेश ने कुछ पल सोच कर आग्रह किया.
‘मैं मानता हूँ कि जिस क्लास के लोगों के बारे में आप कह रही हैं वो शायद हमारी वेबसाइट पे नही जाएँगे. पर हमारी वेबसाइट आपका कस्टमर बेस बढ़ा सकती है. आप को शायद अपनी प्रॉडक्ट लाइन थोड़ी बदलनी होगी या फिर कुछ नये प्रॉडक्ट्स जो कुछ सस्ते हों. मेरे ख़याल से आप भी सहमत होंगी कि इस मार्केट को छोड़ना नही चाहिए.’ शायद मिनी का असर उसपे दिखने लगा था वो बड़े ही कॉन्फिडेन्स के साथ बोला था.
मिनी की जानकारी कमाल की थी उसे अपने कॉंपिटेशन की एड फिगर्स, और राजेश की वेबसाइट के कॉंपिटेशन के बारे में पूरी जानकारी थी. एक एक फिगर उसे रॅटा हुआ था.
राजेश समझ चुका था कि वो उसे बेवकूफ़ नही बना सकता – जैसे कि मार्केटिंग के गुरु कहते हैं गंजे को कंघी बेचना. ऐसा नही था कि राजेश को अपने क्लाइंट को बेवकूफ़ बना पसंद था पर थोड़ी बहुत मनिप्युलेशन तो चलती ही है – गोबर को सोने के दमो पे बेचने के लिए.
वो जानता था कि मिनी के साथ वो ऐसा नही कर पाएगा. और वो ऐसा करना भी नही चाहता था. मिनी बहुत अच्छी है, जिससे बरगलाने की कोशिश की जाए.
‘मेडम, मैं ज़रूर कहना चाहूँगा कि आपकी पास जानकारी का पूरा ख़ज़ाना है’
‘ओह, शुक्रिया. लेकिन, विश्वास करो, रिसर्च एक बहुत ही अहम रोल प्ले करती है हमारे काम में, कम से कम मैं आज के नये खून की तरहा अपने इन्स्टिंक्ट पे काम नही करना चाहूँगी, मुझे कोई भी फ़ैसला करने के लिए पूरी जानकारी चाहिए होती है’
राजेश सोच रहा था कि अगर कोई और औरत होती तो वो उसे उपदेशक समझ ता, पर मिनी के साथ उसे ऐसा नही लग रहा था. वो चाहता था कि मिनी बोलती रहे.
उनकी बातें चलती रही , चलती रही,राजेश बीच बीच में कुछ अच्छे तर्क डाल देता और मिनी जवाब देती रहती और राजेश उसकी मिठास को महसूस करता रहता. उसके बोल राजेश के कानो में संगीत की तरहा बज रहे थे. मिनी के आस पास एक ताज़गी भरा वातावरण था.
मिनी एक पूरी प्रोफेशनल की तरहा तर्क वितर्क कर रही थी पर फिर भी उसके पास एक सादगी थी जो कभी कभी वास्तविक नही लगती थी. राजेश का सारा ध्यान उसकी आँखों और उसके लबों पे था.
राजेश सोच रहा था कि सॉनॅक्षी भी क्या मिनी की तरहा आज भी लगेगी, अगर उसे मिले का मोका मिल जाए. दोनो के व्यक्तित्व के बीच में कितनी समानताएँ हैं.
सात साल एक लंबा अरसा होता है, बहुत कुछ बदल जाता है, अनुभव बदलते हैं, हालत बदलते हैं, और कभी कभी तो लोग खुद ही बदल जाते हैं. शायद सॉनॅक्षी के पास एक ही चीज़ नही थी, वो प्रोफेशनल नही थी, घरेलू ज़यादा थी, घर का इतना अंकुश जो था उसपे. शायद ये सात साल अगर सॉनॅक्षी ने राजेश के साथ गुज़ारे होते तो वो भी आज मिनी की तरहा बातें किया करती जैसे मिनी आज कर रही है.
दो घंटे के तर्कवितर्क के बाद समय आ गया था जब मिनी को अपना फ़ैसला सुनाना था.
राजेश को जो पॉज़िटिव वाइब्स मिल रही थी, उसके हिसाब से वो आज खाली हाथ वापस नही जाएगा.
हां रकम कुछ लाख ही होगी, क्योंकि वो अपने अनुभव से ये बात जानता था कि नये क्लाइंट्स पहले ब्रांड असोसियेशन को परखते हैं फिर दिल खोल के रकम लगाते हैं.
कुछ भी हो, वो काफ़ी उत्तेजित हो रहा था,वो हमेशा सोचता था कि कुछ ना कुछ तो होगा जो हारने पर भी उसे मुँह की नही खानी पड़ेगी..चाहे आज कंपनी बंद हो जाए, पर उसे एक तस्सली ज़रूर रहेगी एक नया क्लाइंट बना लिया.
मिनी आख़िर बोल पड़ी जो वो सुनना चाहता था.
‘ह्म्म व्यवसाय हमेशा जोखिम से भरा होता है, और शायद मैं भी आज एक जोखिम उठाउंगी. बाकी ब्रॅंड्स की तरहा नही जो खुद को हर जगह मोजूद रखना चाहते हैं.
मैं लंबे समय के लिए युक्तीपूर्वक निवेश करना चाहूँगी. मैं आपके साथ एक साल लंबी डील करूँगी.'
राजेश को अपने कानो पे विश्वास नही हुआ. इतना बढ़िया रेस्पॉन्स उसे मिलेगा. उसका आश्चर्या उस पे हावी हो गया और शब्द निकालने भारी पड़ गये.
‘त..त..थॅंक यू सो मच , मा’म’
राजेश झीजक रहा था पूछने के लिए की कितनी रकम निवेश करी जाएगी. मिनी खुद बोली
‘जहाँ तक रकम का सवाल है वो इस बात पे निर्भर करेगा कि आप कैसी डील हमे दोगे, मैं अभी इस पे कुछ नही कह पाउन्गि.’
और राजेश जानता था कि कम से कम 10लाख की डील तो होगी ही और अब तक किए हुए 3 लाख को मिला के 80% टारगेट पूरा होज़ायगा. उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना था.
‘बिल्कुल मेडम, मैं कल ही आपको प्रपोज़ल मैल कर दूँगा’
‘यस गॉट इट !!!’
80% टारगेट पूरा करना से था, 100% करने का मतलब अगली बार टारगेट कई गुना बढ़ जाएगा. अब मूरती की ज़ुबान बंद हो जाएगी.
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