Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 12:02 PM,
#16
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
दीदी के जाने के बाद मैं अपनी क्लास में आ गई और पहला पीरियड अटेंड किया. आज मैने ध्यान से रिसेस तक के पीरियड लगाए और रिसेस होते ही मैं महक को ज़बरदस्ती खीच कर बाहर ले गई और हम ग्राउंड में जाकर बैठ गये. हम दोनो ने खाना खाया और फिर इधर उधर की बातें करते रहे. एक बात जो मेरे दिल में काफ़ी देर से आ रही थी आख़िरकार वो ज़ुबान पर भी आ ही गई.
मे-मिक्कु क्या तूने आकाश के साथ सेक्स किया है.
महक थोड़ा झिझक कर बोली.
महक-यस. पर क्यूँ पूछ रही है.
मे-बस ऐसे ही कल तुम दोनो क्लास में जो कर रहे थे क्या तुषार के सामने भी ऐसे ही करते हो.
महक मेरी बात सुनकर परेशान सी हो गई और बोली.
महक-हां रीत. अगर गुस्सा नही करोगी तो एक बात कहूँ.
मे-हां बता ना.
महक-देख रीत तू मेरी बेस्ट फ़्रेंड है तुझसे मैं कोई बात नही छुपाती.
मे-बता तो बात क्या है.
महक-रीत तुषार ने मेरे साथ सेक्स भी किया है.
मे-क्या...?
महक-हां रीत प्लीज़ गुस्सा मत होना मगर ये सच है.
मे-और तूने उसे करने दिया.
महक-अकटुल्ली यार आकाश मुझे अपने किसी दोस्त के फार्महाउस पे लेकर गया था और तुषार भी साथ में था. पहले तो मैं और आकाश ही रूम में थे लेकिन फिर आचनक तुषार भी अंदर आ गया और मेरे साथ छेड़-छाड़ करने लगा. पहले तो मैने उसे बहुत रोका लेकिन फिर अपने जिस्म के हाथों मज़बूर हो गई और मैने विरोध करना छोड़ दिया. उस दिन बस दोनो ने मेरे साथ किया.
मे-आकाश ने कुछ नही कहा उसे.
महक-नही यार आकाश ने तो उसे बुलाया था.
मे-और तू अब भी आकाश के साथ मज़े ले रही है उसने कितना बड़ा धोखा दिया तुझे.
महक-दिल के हाथों मज़बूर हूँ रीत. तू नही जानती मैं आकाश को किस कदर चाहती हूँ. बस मैं उसे हर वक़्त खुश देखना चाहती हूँ चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े. मुझे पता है वो मुझे सिर्फ़ एंजाय्मेंट का खिलोना समझता है लेकिन मैं इसी में खुश हूँ कि वो कम से कम एक बात के लिए तो मुझे याद करता है चाहे वो सेक्स के लिए ही क्यूँ ना करता हो.
महक की बातें सुनकर मेरी आँखों के किनारों से पानी निकल आया और महक तो लगभग रो ही पड़ी थी.
मैने उसे अपने सीने से लगाया और चुप करने के लिए कहा.
मे-ओये मिक्कुल यार रो मत तू क्यूँ रो रही है यार. रोना तो उस आकाश को पड़ेगा एक दिन जो तुम्हारे प्यार को समझ नही रहा है.
महक उसी तरह रोए जा रही थी.
मे-मिक्कु देख रोना बंद कर नही तो एक लगाउन्गी. ब्स अब चुप कर मेरी बिल्लो.
महक ने खुद को तोड़ा संभाला और सीधी होकर बैठ गई. तभी सामने से तुषार आता दिखाई दिया. तुषार को देखते ही महक ने अपने आँसू पोंछे और उसके बैठते ही मुस्कुरा कर बोली.
महक-अच्छा रीत मैं चलती हूँ तुम दोनो बात करो.
महक के जाते ही तुषार बोला.
तुषार-कहाँ थी मेरी सरकार आज सुबह से बात तक नही की.
मे-वो दीदी आई थी तुषार आज.
तुषार-तुम्हारी दीदी तो तुमसे भी बड़ी सेक्स बॉम्ब थी.
मे-शट अप. तुम्हारी ये बकवास सुन ने के लिए नही बैठी हूँ मैं.
तुषार-सॉरी यार ग़लती हो गई बस. अछा कल हम घूमने जा रहे हैं ओके. मैं बस स्टॉप पे से ही तुम्हे उठा लूँगा.
महक की बातों को सुन कर पहले तो दिल किया इसे मना कर दूं. लेकिन नही शायद मैं भी उसे प्यार करने लगी थी और दिल के हाथों मज़बूर होकर मुझे उसे हां करनी ही पड़ी.
तुषार-ओके तो पक्का रहा. कल मैं अपने दोस्त की गाड़ी लेकर आउन्गा. तुम वहाँ बस स्टॉप पे ही वेट करना ओके.
मैने जवाब में सिर्फ़ मुस्कुरा दिया और तुषार वहाँ से उठ कर क्लास की तरफ चला गया.

आज का पूरा दिन स्कूल में उदासी के साथ गुज़रा क्योंकि महक की बातें सुनकर मुझे दुख हुआ था. सच में वो एक बहादुर लड़की है जो इतना कुछ सहन कर रही है सिर्फ़ प्यार के लिए लेकिन उसका प्यार सिर्फ़ एक तरफ़ा है. मेरे दिल मे आकाश के लिए नफ़रत पैदा हो रही थी. क्योंकि उसे महक का प्यार दिख नही रहा था.
आख़िरकार स्कूल टाइम ख़तम हुआ और मैं घर पे आ गई. घर आते ही मम्मी मुझ पे बरसने लगी. शायद गुलनाज़ दीदी ने उन्हे बता दिया था स्कूल की प्रोग्रेस के बारे में.
मम्मी गुस्सा होते हुए बोली.
मम्मी-आज से तुम गुल बेटी के पास जाओगी पढ़ने समझी.
मे-ओके मम्मी. अब खाना तो दो.
मम्मी-बैठ अभी देती हूँ. फिर मैने खाना खाया और कुछ देर अपने रूम में आराम किया और फिर शाम को गुलनाज़ दीदी के पास ट्यूशन के लिए गई और दीदी ने बहुत ही अच्छे तरीके से मुझे पढ़ाया और ट्यूशन के बाद मैं वापिस घर आ गई. रात को खाना खाया और सोने के लिए अपने रूम में चली गई. कुछ देर बाद तुषार की कॉल आई और उसने सुबह रेडी रहने को कहा. उसकी कॉल के बाद आकाश के 2-3 कॉल्स आए मगर मैने उसकी कॉल नही उठाई मेरा मन उसके साथ बात करने का नही हो रहा था. उसके कुछ मेसेज भी आए मगर मैने कोई जवाब नही दिया. मैं बेड पे पड़ी पड़ी महक की बातें सोचने लगी और सोचती-2 सो गई.
.................
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