RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
करण-अरे आ रेहान. तू तो रह ही गया था. ये है तुम्हारी भाभी रीत.
रेहान-नमस्ते रीत भाभी. तो आपका नाम रीत है.
करण-तुझे बताया तो था मैने.
रेहान-ओह हां भैया मैं भूल गया शायद.
मुझे हैरत हो रही थी कि रेहान बिल्कुल नॉर्मल बिहेव कर रहा था या शायद ये भी हो सकता था कि उसने मुझे पहचाना ना हो....
मैं हैरान थी क्योंकि रेहान बिल्कुल नॉर्मल बिहेव कर रहा था या शायद उसने मुझे पहचाना ही नही था.
अब विदाई की तैयारी हो चुकी थी. मेरे परिवार वालों की आँखें नम हो गई थी क्योंकि उनकी 2 बेटियाँ एक साथ जो जा रही थी. पहले गुलनाज़ दीदी को विदाई दी गई. दीदी सब के गले लग कर मिली और उदास चेहरा लिए जीजू के साथ विदा हो गई. फिर मुझे विदा करने का टाइम आया और मैं सबसे मिली और ख़ास तौर पे करू भाभी और मिक्कुो से इनसे मिलते वक़्त तो मेरी आँखों ने सबर का बाँध तोड़ दिया और आँसू बरसने लगे. आख़िरकार नम आँखों के साथ मुझे भी विदा कर दिया गया.
30 मिनिट के सफ़र के बाद हम करण के घर पहुँच गये. उनका घर बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था. काफ़ी देर तक मैं, मम्मी जी और कोमल बैठ कर बातें करते रहे. मम्मी जी और कोमल दोनो दिल की बहुत अच्छी थी उनकी बातों से ही उनका प्यार और खुशी झलक रही थी. मम्मी जी भी उठ कर अपने रूम में चली गई और अब मैं और कोमल दोनो बैठे थे. कोमल ने मुझे बाहों में समेट कर कहा.
कोमल-भाभी सच में आप तो बहुत खूबसूरत हो.
मे-मेरी ननद रानी जी अब मक्खन लगाना छोड़ो और अपने भैया को भेजो जल्दी.
कोमल-ओये होये मैं मर जावां इतनी जल्दी भी क्या है सारी रात पड़ी है.
मे-कोमल आप भी ना मेरा ये मतलब थोड़े था.
कोमल-तो और क्या मतलब था आपका.
मे-प्लीज़ कोमल जा भेज ना मुझे बात करनी है उनसे.
कोमल-बात करनी है या...?
मे-तू जाती है या नही.
कोमल ने झट से उठते हुए कहा.
कोमल-अब जाती हूँ भाभी. और वो रूम से बाहर निकल गई. उसके जाने के बाद मैने सोचा ये लड़की बहुत नटखट है. जैसे कुछ इंसान होते है जो पहली मुलाक़ात में ही दिल में घर कर जाते हैं ऐसा ही कुछ कोमल में भी था.
मैने रूम में चारो तरफ नज़र दौड़ाई तो रूम बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था. हर तरफ फूल ही फूल और उनकी महक. शादी में मैने लहंगा पहना था मगर अब घर आकर रेड कलर का सलवार कमीज़ पहन लिया था. मैं बेड के उपर सिमट कर बैठी थी. तभी दरवाज़े के उपर आहट हुई. मैने थोड़ा सा नज़र उठा कर देखा तो वो करण थे. मैं नज़रें झुका कर बिस्तेर की तरफ देखने लगी और आगे होने वाली हरकतों को सोच कर मेरे शरीर में मस्ती से भरी लहरे दौड़ने लगी. करण अब मेरे पास आते जा रहे थे उन्होने डोर अंदर से लॉक कर दिया था. वो आकर मेरे सामने बिस्तेर के उपर बैठ गये और एक टक मुझे देखने लगे. मैने शरमाते हुए कहा.
मे-ऐसे क्यूँ देख रहे हो करण मुझे शरम आ रही है.
करण-मैं अपनी वाइफ को देख रहा हूँ किसी और को तो नही.
मे-ये तो है फिर भी ऐसे मत देखो मुझे.
करण ने बिस्तर पे चढ़ते हुए मुझे बाहों में थाम लिया और मेरी चुनरी गले में से उतार कर साइड पे रख दी. मेरे उरोज रेड कमीज़ में तन कर बिल्कुल सामने की ओर खड़े थे और करण की छाती में घुसने को जैसे तैयार थे. कमीज़ का गला काफ़ी बड़ा था जिसकी वजह से मेरे उरोजो के बीच की दरार भी काफ़ी दिखाई दे रही थी और उस दरार में मेरी गोलडेन चैन का लॉकेट जिसके उपर 'के' लिखा था घुस करा था. ये चैन आज ही मुझे इनके मम्मी पापा ने पहनाई थी. करण अब मेरे उपर झुकने लगे थे और अब मैं बिस्तेर के उपर पीठ के बल लेट गई थी और करण मेरे उपर थे और मेरे चेहरे को हाथों में पकड़ कर मेरी गालों को चूमते जा रहे थे. मैने उन्हे अपने उपर से थोड़ा उठाते हुए कहा.
मे-थोड़ा सबर तो कीजिए. टेबल पे दूध पड़ा है कोमल रख कर गई थी उसे पी लो पहले.
करण-अगर कोमल रख कर गई थी तब तो मैं बिल्कुल नही पीऊंगा.
मे-क्यूँ.
करण-अरे तुम नही जानती उस नटखट को दूध पीने के बाद पता चले उसमे नींद की गोलियाँ थी और मैं बिना कुछ किए ही सो जाउ.
मे-अच्छा जी ऐसी नही है वो.
करण-अरे डार्लिंग ऐसी ही है वो. थोड़े दिन में पता चल जाएगा तुम्हे.
कहते हुए करण मेरे उरोजो पे अपने होंठ फिराने लगे.
मे-अब मान भी जाओ चलो जल्दी से दूध पियो अगर कोमल ने कुछ ऐसा वैसे किया होगा तो मैं सुबह देखूँगी उसे.
करण ने गिलास उठाते हुए कहा.
कारण-तुम भी ना ज़िद्दी हो पूरी.
उन्होने आधा दूध पीकर फिर गिलास मेरे होंठों पे लगा दिया और मैं आधा गिलास पी गई. गिलास को साइड पे रखते ही करण फिर से मेरे उपर टूट पड़े और अब उनके होंठ मेरे चेहरे के उपर घूमने लगे. जैसे ही हम दोनो के होंठ मिले तो मैने अपने होंठ वापिस खींचते हुए कहा.
मे-ये क्या आपने ड्रिंक की है.
करण-डार्लिंग अब दोस्तो ने पिला दी यार बोले इतनी सुंदर बीवी मिली है एक पेग तो बनता है. बस फिर एक-एक करते-2 आधी बोटल खाली कर दी.
मैने उन्हे अपने उपर से एक साइड को बिस्तेर के उपर गिरा दिया और खुद दूसरी और करवट लेकर लेट ते हुए बोली.
मे-जाओ मुझे नही आपसे बात करनी जब-2 शराब पीकर आओगे तब-2 ऐसे ही होगा आपके साथ.
वो भी मेरे पीछे करवट लेकर लेट गयी और अपनी एक टाँग उठाकर मेरी दोनो टाँगों के आगे रख दी और अपने हाथ से मेरे उरोज दबाने लगे और बोले.
करण-प्लीज़ डार्लिंग आज मूड मत खराब करो आगे से नो शराब ओन्ली रीत नाम की शराब की बोतल पीऊंगा मैं.
मैने उनका हाथ झटकते हुए कहा.
मे-दूर हटो मुझसे.
करण-डार्लिंग अब मान भी जाओ. अच्छा तुम्हारे पैर कहाँ है उन्हे पकड़ कर माफी माँगता हूँ.
और वो उठ कर मेरे पैरों के पास जाकर बैठ गये.
वो उठे और मेरे पैरों के पास जाकर बैठ गये. उन्होने मेरे दोनो पैर पकड़े और उन्हे अपनी गोद में रख लिया अब मैं भी पीठ के बल बिस्तेर पे लेट गई. उन्होने मेरे दोनो पैरों को इकट्ठा करते हुए पकड़ लिया और फिर उपर उठाकर उन्हे चूमते हुए कहा.
करण-डार्लिंग प्लीज़ माफ़ कर दो ना.
वो लगातार मेरे पैर चूम रहे थे और माफी माँग रहे थे.
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