Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 01:48 PM,
#22
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
“चलो अबकी तो मान जाती हूँ पर ये शरम वरम का चक्कर छोड़ो, अगली बार से मेरे सामने ही चुदवाना पड़ेगा…” चन्दा बोली। 


“ये साली, शरम छोड़… वरना तुम्हारी गाण्ड में डाल दूंग…” 

सुनील पूरी तरह नशे में लगा रहा था।

वह चन्दा को लेकर दूसरे कोने में चला गया, पुआल के पीछे, जहां वो दोनों नहीं दिख रहे थे। 

अब रवी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। मैं अपने घाघरे को ऊपर करने लगी पर “उंह” कहकर उसने सीधे घाघरे का नाड़ा खोल दिया और उसके बाद साये को भी। उसने दोनों को उतारकर उधर ही फेंक दिया जहां मेरी चोली पड़ी थी, और अब उसने मेरे प्यासे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। उसे कोई जल्दी नहीं लगा रही थी। पहले तो वो धीरे-धीरे मेरे होंठों को चूमता रहा, फिर उसने अपने होंठों के बीच दबाकर रस ले-लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसके हाथ प्यार से जोबन को सहला रहे थे और मैं अपना गुस्सा कब का भूल चुकी थी। 


मेरे निपल खड़े हो गये थे। उसके होंठ अचानक मेरे जोबन के बेस पे आ गये और उसने वहां से उन्हें चूमते हुए ऊपर बढ़ना शुरू किया। मेरे निपल उसका इंतजार कर रहे थे, पर उसकी जुबान मुझे, मेरे खड़े चूचुक को तरसाती, तड़पाती रही। अचानक जैसे कोई बाज चिड़िया पर झपट्टा मारे उसने अपने दोनों होंठों के बीच मेरे निपल को कस के भींच लिया और जोर से चूसने लगा। 


“ओह… ओह… हां बहुत… अच्छा लगा रहा है, बस ऐसे ही चूसते रहो। हां हां…” मैं मस्ती में पागल हो रही थी।


थोड़ी देर के बाद उसने मेरी दोनों चूंचियां कस के सटा दीं और अपनी जीभ से दोनों निपल को एक साथ फ्लिक करने लगा। मस्ती में मेरी चूचियां खूब कड़ी हो गयी थीं। वह तरह-तरह से मेरे रसीले जोबन चूसता चाटता रहा। जब मैं नशे में पागल होकर चूतड़ काटक रही थी, वह अचानक नीचे पहुँच गया और मेरी दोनों जांघों को किस करने लगा। 

मेरी जांघें अपने आप फैलने लगी और उसके होंठ मुझे तड़पाते हुये मेरी रसीली चूत तक पहुँच गये। बगल से सुनील और चन्दा की चुदाई की आवाजें आ रहीं थीं। उसकी जीभ मेरे भगोष्ठों के बगल में चाट रही थी। मस्ती से मेरी चूत एकदम गीली हो रही थी। धीरे से उसने मेरे दोनों भगोष्ठों को जीभ से ही अलग किया और अपनी जुबान मेरी चूत में डालकर हिलाने लगा। मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को उसकी जीभ ऐसे सहला, रगड़ रही थी कि मैं मस्ती से पागल हो रही थी।

मेरी आँखें मुंदी जा रही थीं, मेरे चूतड़ अपने आप हिल रहे थे, मैं जोश में बोले जा रही थी- “हां रवी हां… बस ऐसे ही चूस लो मेरी चूत और कस के… बहुत मज़ा आ रहा है…” 


और रवी ने एक झटके में मेरी पूरी चूत अपने होंठों के बीच कस के पकड़ ली और पूरे जोश से चूसने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत का चोदन कर रही थी और होंठ चूत को पूरी ताकत से दबा के ऐसे चूस रहे थे कि बस… मैं अपनी कमर जोर-जोर से हिला रही थी, चूतड़ काटक रही थी और झड़ने के एकदम कगार पर आ गयी थी- 


“रवी हां बस ऐसे ही झाड़ दो मुझको ओह्ह्ह… ओह्ह्ह… हां…” 


पर उसी समय रवी मुझे छोड़कर अलग हो गया। मैं शिकायत भरी निगाह से उसे देख रही थी और वह शरारत से मुश्कुरा रहा था। 


जब मेरी गरमी कुछ कम हुई तो उसने फिर मेरी चूत को चूमना, चाटना, चूसना शुरू कर दिया। वह थोड़ी देर चूत को चूमता और फिर उसके आसपास… एक बार तो उसने मेरे चूतड़ उठाकर मेरे लाख मना करने पर भी पीछे वाले छेद के पास तक चाट लिया। उसकी जीभ की नोक लगभग मेरी गाण्ड के छेद तक जाकर लौट गयी और फिर उसने खूब कस के मेरी चूत चूसनी शुरू कर दी। मेरी हालत फिर खराब हो रही थी। अबकी रवी वहीं नहीं रुका। वह अपनी जुबान से मेरी क्लिट दबा रहा था और थोड़ी ही देर में उसे कस-कस के चूसने लगा। 

मैं अब नहीं रुक सकती थी और मस्ती से पागल हो रही थी- 


“हां हां… चूस लो, चाट लो, काट लो मेरी क्लिट, मेरी चूत मेरे राजा, मेरे जानम… ओह… ओह… झड़ने ले मुझे…” 
मेरे चूतड़ अपने आप खूब ऊपर-नीचे हो रहे थे पर उसी समय वह रुक गया। 

“ओह क्यों रूक गये करो ना… प्लीज…” मैं विनती कर रही थी। 

“अभी तो तुम इतने नखड़े दिखा रही थी, कि तुम सुनील से चुदवाने आयी हो… मुझसे नहीं करवाओगी…” अब रवी के बोलने की बारी थी। 

मैं नशे से इत्ती पागल हो रही थी कि मैं कुछ भी करवाने को तैयार थी- “मैं सारी बोलती हूं। मेरी गलती थी अब आगे से तुम जब चाहो… जब कहोगे तब चुदाऊँगी, जितनी बार कहोगे उतनी बार…” 

“अब फिर कभी मना तो नहीं करोगी…” रवी बोला। 
“नहीं कभी नहीं प्लीज बस अब चूस लो, चोद दो मुझको…” मैं कमर उठाती बोली। 

रवी ने जब अबकी चूसना शुरू किया तो वह इतनी तेजी से चूस रहा था कि मैं जल्द ही फिर कगार पे पहुँच गई, अब उसकी उंगलियां भी मुझे तंग करने में शामिल थीं, कभी वह मेरी निपल को पुल करतीं कभी क्लिट को और जब वह मेरी क्लिट को चूसता तो वह चूत में घुसकर चूत मंथन करतीं। अबकी जब मैं झड़ने के निकट पहुँची तो उसने शरारत से मेरी ओर देखा।


और मैं चिल्ला उठी- “नहीं, प्लीज़, अबकी मत रुकना तुम जिस तरह जब कहोगे मैं तुम चुदवाऊँगी… प्लीज…” 


रवी मेरी क्लिट चूस रहा था, उसने कस के पूरी ताकत से मेरी क्लिट को चूमा और उसे हल्के से दांत से काट लिया। मेरे पूरे शरीर में लहर सी उठने लगी और उसी समय रवी ने मेरी दोनों जांघों को फैलाकर पूरी ताकत से अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दिया और कमर पकड़कर पूरे जोर से ऐसे धक्के लगाये कि 3-4 धक्कों में ही उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में था। जैसे ही मेरी चूत को रगड़ता उसका लण्ड मेरी चूत में धंसा, मैं झड़ने लगी… और मैं झड़ती रही… झड़ती रही… 



लेकिन वह रुका नहीं। उसके शरारती होंठ मेरे निपल को चूम चूस रहे थे।


मैं थोड़ी देर निढाल पड़ी रही पर, उसके होंठ, उंगलियां और सबसे बढ़कर मेरे चूत के अंत तक घुसा उसका मोटा लण्ड, थोड़ी ही देर में मैं फिर उसका साथ दे रही थी। अब उसने मेरी लम्बी गोरी टांगें उठाके अपने कंधे पे रख रखीं थीं। दोनों हाथों से मेरे भरे-भरे जोबन पकड़ के वह धक्के लगा रहा था।


बाहर फिर सावन की झड़ी चालू हो गयी थी और उसकी फुहारें हम दोनों के बदन पर भी पड़ रहीं थीं। मेरी चौड़ी चांदी की पाजेब के घुंघरू उसके हर धक्के के साथ बज रहे थे और जब मैंने उसकी ओर देखा तो मेरे पैरों का महावर भी उसके माथे को लग गया था। कभी वह कस के मेरे जोबन दबाता, कभी मेरे निपल खींच देता, उसके होंठ मेरे होंठों का रस पी रहे थे। कई बार वह मुझे कगार पे ले आया और फिर वह रुक जाता और फिर थोड़ी देर में दुबारा पूरी जोश से चोदना चालू कर देता… बहुत देर तक… 


मैं मस्ती से पागल हो रही थी- “हां रवी… प्लीज मुझे झड़ने दो ना… रुको नहीं… नहीं… हां करते रहो… हां… पूरे जोर से हां…” 


अबकी रवी नहीं रुका और पूरे जोर से धक्के लगाता रहा। जब मैंने झड़ना शुरू किया तो उसके लण्ड का बेस मेरी क्लिट को कस के रगड़ रहा था। मेरी आँखें बंद हो गयी थी, मेरी चूत कस-कस के बार-बार रवी के लण्ड को भींच सिकोड़ रही थी। और रवी भी मेरे साथ-साथ झड़ने लगा। 

बहुत देर तक उसके लण्ड से बहते वीर्य को मैं अपने अंदर महसूस कर रही थी। 
जब मेरी आँख खुली तो चन्दा और सुनील मेरे सामने खड़े थे। सुनील ने मुश्कुराकर मुझसे पूछा-

“क्यों मजा आया मेरे यार से चुदवाने का…” 


मैं क्या बोलती, बस मुश्कुराकर रह गयी। 
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