RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
सिंगार
अब तक
भाभी की बातें खाते समय भी जारी रही।
" सबसे बड़ा मजा जानती हो का है , ... "
" चुदाई ,... " खिलखिलाते हुए मैं बोली , अब मैं अपनी भौजी की पक्की ननद हो गयी थी।
" एकदम , हँसते हुए कामिनी भाभी बोलीं , और इसलिए की इसमें देखने का , चखने का ,छूने का , सुनने का सब मजा मिलता है। और असली चुदाई भी यही है जिसमें ई कुल हो। अच्छा एक बात बताओ , जब झड़ते समय तोहार भैय्या कटोरा भर रबड़ी तोहरी चूत में डलले रहलें तो मजा मिला था की नहीं ,
और जब तक मैं उनकी बात का जवाब देती भौजी ने दूसरा सवाल दाग दिया ,
" और जब तोहरे पिछवाड़े आपन पिचकारी से मलाई छोड़ले रहें तब ?"
मैं खिलखिला पड़ी , " अरे भौजी ई कौन पूछने की बात है। सबसे ज्यादा मजा तो ओहि टाइम आता है। और उस मलाई का स्वाद भी कितना मीठा होता है। "
मुझे गाँव के लड़कों की याद आ गयी , अजय , सुनील ,दिनेश सब ने अपनी मलाई चखाई थी।
" और उस मलाई का एक फायदा और है ? " कामिनी भाभी का क्विज टाइम चल रहा था।
कुछ देर मैंने सर खुजाया , सोचा ,फिर मेरी चमकी।
" अरे भौजी अगर उसको ,... ओहि से तो दुनिया चलती है। मरद देता है , औरत घोंटती है तभी तो केके हाँ केहाँ होता है स्रष्टि चलती है , उ तो अमरित है। " मैं भी कामिनी भाभी की तरह बोलने लगी थी। "
भौजी बड़ी जोर से मुस्कार्ईं , " तू और तोहार सारे खानदान वाली , मजा ले ले के लण्ड चूसती हो , उसकी मलाई गटकती हो , तो उँहा से निकलने वाली बाकी चीज में ,... और फिर अपने खुद की देह से निकली ,...काहें मुंह बिचकाती हो। "
मैं समझ गयी ,कामिनी भाभी का इशारा ,... सुबह भइया ने मेरे पिछवाड़े कटोरी भर मलाई निकालने के बाद अपना खूंटा मेरे मुंह में ,... मैं बहुत ना नुकुर कर रही थी , लेकिन भला हो भोजी और भैया का ,, जबरदस्ती उन्होंने ,... और उसके बाद भौजी ने मंजन भी ,...
मैंने ऐसा भोला सा चेहरा बनाई थी , जैसे मानो कह रही हो ऊप्स भाभी गलती हो गयी ,आगे से नहीं होगी। और भाभी ने गुरुज्ञान दे दिया ,
" अरे जउने देह से मजे ही मजे है , उससे निकलने वाली चीज भी ,... "
भौजी की बात में ब्रेक लग गया था क्योंकि वो एक दूसरे काम में लग गयी थीं , खाने के बाद।
आगे
भौजी की बात में ब्रेक लग गया था क्योंकि वो एक दूसरे काम में लग गयी थीं , खाने के बाद।
मेरी कुछ खास जगहों का साज सिंगार करने में , वो मुझे उस जगह ले गयी जहाँ उनके लेप ,लोशन ,क्रीम , मलहम , सौंदर्य प्रसाधन ,जड़ी बूटियां , वटी ,लेप आदि रहते थे।
सबसे पहले उन्होंने मेरे जोबन पे उरोज कल्प नामक लेप किया ,स्तनों सुदृढ़ और बड़ा करने वाला ,
और फिर उनकी अपनी बनायी कुछ खासी जड़ी बूटियों से बनी एक क्रीम , मेरी दोनों जाँघे अच्छी तरह फैला के मेरी योनि में जड़ तक भरा। कुछ लेप फिसल कर बाहर भी आ गया। भौजी ने उसे चूत के चारो ओर फैला के रगड़ दिया ,और मुझे बोला की मैं कस के अपनी बुरिया भींच लूँ। और फिर यही काम उन्होंने पलट कर पिछवाड़े के छेद में भी किया ,एकदम बुचोबच ऊपर तक क्रीम भर दिया ,और उसे भी मैंने भींच लिया।
कुछ ही देर में एक अजब सनसनाहट ,ठंडक और चुनचुनाहट आगे पीछे महसूस होने लगी।
भौजी मेरी हालत देख कर मुस्करा रही थीं , चिढ़ाते हुए बोलीं , कैसा लग रहा है। फिर उन्होंने समझाया ,
" इसका असर होने में टाइम लगता है , मैंने अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों ही तेरा सील कर दिया है। कल सुबह तक कुछ भी नहीं जाना चाहिए इसके अदंर , फिर चाहे जम के मूसल चलवाना। जो भी रगड़ा रगड़ी में अंदर गडबड हुआ होगा , छिल विल गया होगा सब कुछ ठीक हो जाएगा कल सुबह तक। उसके अलावा एकदम टाइट कर देगी। '
असर अब धीरे धीरे मेरी पूरी देह पर हो रहा था , एक अजीब मस्ती , गनगनाहट, आँखे मुंदी जा रही थी ,
" अरे तुझे खाने के बाद कुछ मीठा तो खिलाया नहीं , भाभी बोलीं ,और खिंच के मुझे पलंग पे।
हाँ इस बार धान के खेत और अमराई वाली खिड़की अच्छी तरह बंद थी।
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