RE: Desi chudai story राज और उसकी विधवा भाभी
ऋतु ने मुझसे कहा, तुम लाली के बगल में आ जाओ. मैं लाली के बगल
में आ गया. लाली ने मेरी लूँगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लंड पर
रख दिया. उसके हाथ लगाने से मेरा लंड फंफनता हुआ खड़ा हो
गया. लाली उसे सहलाने लगी. मुझे मज़ा आने लगा. मैने कहा, अब इसे
मूह में ले लो. वो बोली, ज़रूर लूँगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना.
मैने कहा, ठीक है. थोड़ी देर तक सहलाने के बाद लाली उठ कर
बैठ गयी. उसने शरमाते हुए मेरे लंड का सूपड़ा अपने मूह में ले
लिया और चूसने लगी. ऋतु ने मुस्कुराते हुए पुचछा, क्यों लाली, कैसा
लग रहा है. वो बोली, दीदी, बहुत अच्च्छा लग रहा है. ऋतु ने कहा,
मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अंदर भी ले ले. फिर और ज़्यादा
अच्च्छा लगेगा. वो बोली, बहुत दर्द होगा. ऋतु ने कहा, तू इतना डरती
क्यों है. मैं हूँ ना तेरे पास. उसने कहा, अच्च्छा, मुझे पहले
थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अंदर लेने की कोशिश करूँगी.
लाली मेरा लंड चूस्ति रही. मैने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर
रख दिया लेकिन वो कुच्छ नहीं बोली. मैने पॅंटी के उपर से ही उसकी
चूत को सहलाना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. थोड़ी देर
में ही उसकी छुट गीली हो गयी तो मैने पुचछा, कैसा लगा. वो बोली,
बहुत अच्छा. लाली अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी. मैने कहा,
जब तू मेरा लंड अपनी चूत के अंदर लेगी तो तुझे और ज़्यादा अच्च्छा
लगेगा. वो बोली, ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे
घुसाना. मैने कहा, थोड़ा दर्द होगा, ज़्यादा चिल्लाना मत. वो बोली,
मैं अपना मूह बंद रखने की कोशिश करूँगी. मैने कहा, ठीक है,
तू पहले अपने कपड़े उतार दे. वो बोली, मैने कपड़े ही कहाँ पहन रखे
हैं. मैने उसकी ब्रा और पॅंटी की तरफ इशारा करते हुए कहा, फिर
ये क्या है. वो बोली, क्या इसे भी उतारना पड़ेगा. मैने कहा, हां,
तभी तो मज़ा आएगा. उसने कहा, ठीक है, उतार देती हूँ.
इतना कह कर लाली खड़ी हो गयी और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए.
ऋतु मुझे देख कर मुस्कुराने लगी तो मैं भी मुस्कुरा दिया. लाली बेड
पर लेट गयी तो मैं लाली के पैरों के बीच आ गया. मैने उसके
पैरों को एक दम दूर दूर फैला दिया. उसके बाद मैने अपने लंड के
सूपदे को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो जोश के मारे पागल
सी होने लगी और ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भरते हुए बोली, जीजू, बहुत
मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से रागडो. मैने और ज़्यादा तेज़ी के साथ
रगड़ना शुरू कर दिया तो 2-3 मिनट में ही लाली ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ
भरने लगी और झाड़ गयी.
लाली की चूत अब एक दम गीली हो चुकी थी इस लिए मैने अब ज़्यादा देर
करना ठीक नहीं समझा. मैने उसकी चूत की लिप्स को फैला कर अपने
लंड का सूपड़ा बीच में रख दिया. उसके बाद जैसे ही मैने थोड़ा सा
ज़ोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली, जीजू, बहुत दर्द हो रहा है,
बाहर निकाल लो. मैने कहा, बस थोड़ा सा बर्दास्त करो. मेरे लंड का
सूपड़ा उसकी चूत में घुस चुका था. मैने फिर से थोड़ा सा ज़ोर
लगाया तो इस बार वो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. उसने रोना शुरू कर
दिया तो ऋतु ने उसे चुप करते हुए कहा, दर्द को बर्दास्त कर तभी
तो तू मज़ा ले पाएगी. वो बोली, बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी. ऋतु
उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शांत हो गयी.
मेरा लंड इस उसकी चूत में 2" तक घुस चुका था. जब लाली चुप हो
गयी तो मैने फिर से ज़ोर लगाया तो मेरा लंड थोडा सा और घुस गया
और उसकी सील मेरे लंड के रास्ते में आ गयी. वो फिर से चीखने
लगी और बोली, जीजू, बाहर निकाल लो, मैं मर जाउन्गि, बहुत दर्द हो
रहा है, मेरी चूत फॅट जाएगी. मैने उसकी चुचियों को मसलते हुए
कहा, बस थोडा सा ही और है. थोड़ी देर तक मैं उसकी चुचियों को
मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शांत हो गयी. मुझे अब उसकी
सील को फाड़ना था.
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