RE: Desi chudai story राज और उसकी विधवा भाभी
ऋतु डॉगी स्टाइल में हो गयी तो मैने ऋतु की गांद मारनी शुरू कर
दी. लाली आँखें फाडे मेरे लंड को ऋतु की गांद में अंदर बाहर
होते हुए देखती रही. मैं 2 बार लाली की चुदाई कर चुका था इस
लिए मैं जल्दी झाड़ नहीं पा रहा था. ऋतु सिसकारियाँ भरते हुए
मुझसे गांद मरवा रही थी. लाली ऋतु को गांद मरवाते हुए देख रही
थी. उसकी आँखों में भी जोश की झलक साफ दिख रही थी. मैने
लाली से पुछा, कैसा लग रहा है. वो बोली, बहुत ही अच्च्छा लग रहा
है, जीजू. मैने पुछा, गांद मर्वओगि. वो बोली, फिर से दर्द होगा.
मैने कहा, गांद मरवाने में तो बहुत ही ज़्यादा दर्द होता है. वो
बोली, ना बाबा ना, मैं गांद नहीं मरवाउंगी. ऋतु ने कहा, लाली,
पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले. उसके बाद एक बार
गांद भी मरवाने का मज़ा ले लेना. मैने लगभग 45 मिनट तक ऋतु की
गांद मारी और झाड़ गया.
मैने कयि दीनो तक लाली को खूब जम कर चोदा. उसे अब चुदवाने में
बहुत मज़ा आने लगा था. मुझे भी कुँवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल
चुका था और मैं अब उसकी एक दम टाइट चूत को चोद रहा था. मैं
लाली की गांद भी मारना चाहता था लेकिन उसे मैं खूब तडपा तडपा
कर उसकी गांद मारना चाहता था. मैने काई बार लाली के सामने ऋतु की
गांद मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई. वो मुझसे कहने
लगी, जीजू, एक बार मेरी भी गांद मार लो, मैं भी गांद मरवाने का
मज़ा लेना चाहती हूँ. मैने कहा, तुझे बहुत ज़्यादा तकलीफ़ होगी. वो
बोली, होने दो. मैने उस से कहा, तू नहीं जानती है कि मैने ऋतु की
गांद पहली पहली बार कैसे मारी थी. वो बोली, बताओगे तभी तो
जानूँगी. मैने कहा, तो सुन, तूने वो पिलर देखा है ना जो आँगन
में है. वो बोली, हां, देखा है. मैने कहा, मैने ऋतु को खड़ा
कर के उसी पिलर में कस कर बाँध दिया था. उसके बाद मैने इसके
मूह में कपड़ा थूस कर इसका मूह भी बाँध दिया था जिस से ये ज़्यादा
चिल्ला ना सके. उसके बाद ही मैं रातू की गांद मार पाया था. गांद
में लंड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और
दर्द भी बहुत होता है. गांद से बहुत ज़्यादा खून भी निकलता है.
वो बोली, चाहे जो भी हो आप मेरी गांद मार दो, मैं कुच्छ नहीं
जानती. मैने कहा, तू कयि दिनो तक बिस्तेर पर से उठ भी नहीं
पाएगी. वो बोली, जब दीदी ने आप से गांद मरवा लिया तो मैं क्यों
नहीं मरवा सकती. मैने कहा, सोच ले, बहुत दर्द होगा. तेरी गांद
भी फॅट सकती है. वो ज़िद करने लगी, मैं कुच्छ नहीं जानती, तुम
मेरी गांद मार दो बस. मैने कहा, अच्छा, कल मैं तेरी गांद मार
दूँगा. वो बोली, नहीं आज ही और अभी मेरी गांद मार दो.
ऋतु मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी. वो जानती थी कि मैं झूठ
बोल रहा हूं. वो ये भी संज़ह गयी थी मैं उसकी गांद को बहुत ही
बुरी तरह से मारना चाहता हूँ. ऋतु ने लाली से कहा, चल आँगन
में. मैं ऋतु और लाली के साथ आँगन में आ गया. ऋतु कुच्छ
कपड़े और रस्सी ले आई. उसके बाद मैने लाली से कहा, तू पिलर को
ज़ोर से पकड़ कर खड़ी हो जा. वो पिलर को पकड़ कर खड़ी हो गयी.
उसके बाद मैने रस्सी से उसकी कमर को पिलर से बाँध दिया. उसके बाद
मैने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिलर से बाँध
दिया. फिर मैने लाली के दोनो हाथ भी पिलर से बाँध दिए. वो बोली,
जीजू, आप ने तो मुझे ऐसे बाँध दिया है कि मैं ज़रा सा भी इधर
उधर नहीं हो सकती. मैने कहा, गांद मारने के लिए ऐसे ही बांधना
पड़ता है. उसके बाद मैने लाली के मूह में कपड़ा थूस दिया और उसके
मूह को बाँध दिया.
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