Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
07-22-2018, 11:41 AM,
#6
RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
चौधराइन

भाग 6 मदन की इन्द्र सभा 3



बसन्ती गनगना गई। गुदगुदी के कारण अपनी जांघो को सिकोड़ने लगी। लाजो उसकी दोनो चूचियों को मसलते हुए, उनके निप्पल को चुटकी में पकड़ मसल रही थी।
“मालिक, क्रीम लगा लो.”, लाजो बोली.

“चूत तो पानी फेंक रही है… इसी से काम चला लूँगा.”

“अरे नही. मालिक आप नही जानते. … आपका सुपाड़ा बहुत मोटा है … नही घुसेगा … लगा लो.”

मदन उठ कर गया, और टेबल से क्रीम उठा लाया। फिर बसन्ती की जांघो के बीच बैठ कर हाथ में क्रीम लेकर उसकी बुर की फांको को थोड़ा फैला कर अन्दर तक थोप दी।

“अपने सुपाड़े और लण्ड पर भी लगा लो मालिक.” लाजो ने कहा।

मदन ने अपने लण्ड के सुपाड़े पर क्रीम थोप ली।

“बहुत नाटक हो गया भौजी, अब डाल देता हुं....”

“हां मालिक, डालो.....” ,
कहते हुए लाजो ने बसन्ती की अनचुदी बुर के छेद की दोनो फांको को, दोनो हाथों की उंगलियों से फ़ैलाया और छेद पर, सुपाड़े को रख कर हल्का-सा धक्का दिया। कच से सुपाड़ा कच्ची बुर को चीरता आधा घुस कर अड़स गया। बसन्ती तड़प कर मचली, पर तब तक लाजो ने अपना हाथ बुर पर से हटा उसके कंधो को मजबूती से पकड़ लिया था। मदन ने भी उसकी जांघो को मजबूती से पकड़ फैलाये रखा, और अपनी कमर को एक और झटका दिया। अबकी पक की आवाज के साथ सुपाड़ा अन्दर धँस गया।

बसन्ती को लगा, बुर में कोई गरम मूसल घुस गया हो. मुंह से चीख निकल गई, “आआआ,,, ई मरररर, गईईईईई,,, ।"

लाजो उसके ऊपर झुक कर, उसके होठों और गालों को चुमते हुए, बोली,
“कुछ नही हुआ बिट्टो, कुछ नही ! … बस दो सेकंड की बात है.।"
बसन्ती का पूरा बदन अकड़ गया था। खुद मदन को लग रहा था, जैसे किसी जलते हुए लकड़ी के गोले के अन्दर लण्ड घुसा रहा है. सुपाड़े की चमड़ी पूरी उलट गई थी। उसे भी दर्द हो रहा था क्योंकि आज के पहले उसने किसी अनचुदी चूत में लण्ड नहीं डाला था। जिसे भी चोदा था, वो चुदा हुआ भोसड़ा ही था। सो उसने बसन्ती के होठों को, अपने होठों के नीचे कस कर दबा लिया. सुपाड़े को आगे पीछे कर धीरे धीरे चोदने लगा..”
कुछ देर में मदन के सुपाड़े की चमड़ी दुखनी बन्द हो गई और बसन्ती भी चूतड़ उचकने लगी। उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई। सुपाड़ा आराम से चूत के पानी में फिसलता हुआ, सटा-सट अन्दर बाहर होने लगा। दोनों इतने मस्त हो गये दोनों को पता ही नहीं चला कि कब मदन का पूरा लण्ड बसन्ती की बुर में आराम से आने जाने लगा। बसन्ती की बुर चुद के चूत बन गई।
उस रात भर खूब रासलीला हुई। बसन्ती दो बार चुदी। नई नई चूत बनी बुर सूज गई थी मगर, दूसरी बार में उसको खूब मजा आया। पहली चुदाई के बाद बुर से निकले खून को देख बसन्ती थोड़ा सहम गई थी , पर समझाने से मान गई और फिर दूसरी बार उसने खुब खुल कर चुदवाया। सुबह चार बजे जब अगली रात फिर आने का वादा कर दोनो बिदा हुई, तो बसन्ती थोड़ा लँगड़ा कर चल रही थी मगर उसकी आंखो में अगली रात के इन्तजार का नशा थ। मदन भी अपने आप को फिर से तरो ताजा कर लेना चाहता था, इसलिये घोड़े बेच कर सो गया।
आम के बगीचे में मदन की कारस्तानियाँ एक हफ्ते तक चलती रही। मदन के लिये, जैसे मौज-मजे की बहार आ गई थी। तरह तरह के कुटेव और करतूतों के साथ उसने लाजो और बसन्ती का खूब जम के भोग लगाया। पर एक ना एक दिन तो कुछ गड़बड़ होनी ही थी, और वो हो गई।

एक रात जब बसन्ती और लाजो अपनी चूतों की कुटाई करवा कर अपने घर में घुस रही थी, की बेला मालिन की नजर पड़ गई। वो उन दोनो के घर के पास ही रहती थी। उसके शैतानी दिमाग को एक झटका लगा की कहाँ से आ रही है, ये दोनो ?। लाजो के बारे में तो पहले से पता था की, गांव भर की रण्डी है। जरुर कहीं से चुदवा कर आ रही होगी। मगर जब उसके साथ बसन्ती को देखा तो सोचने लगी की, ये छोकरी उसके साथ कहाँ गई थी।
दूसरे दिन जब नदी पर नहाने गई तो, संयोग से लाजो भी आ गई। लाजो ने अपनी साड़ी, ब्लाउज उतारा और पेटीकोट खींच कर छाती पर बांध लिया। पेटीकोट उंचा होते ही बेला की नजर लाजो के पैरों पर पड़ी। देखा पैरों में नयी चमचमाती हुयी पायल। और लाजो भी ठुमक-ठुमक चलती हुई, नदी में उतर नहाने लगी।

“अरे बहुरिया, मरद का क्या हाल चल है ?…”

“ठीक ठाक है चाची, …। परसो चिट्ठी आई थी....”

“बहुत प्यार करता है… और लगता है, खूब पैसे भी कमा रहा है..”

“का मतलब चाची …?”

“वह बड़ी अन्जान बन रही हो बहुरिया, ? … अरे, इतनी सुंदर पायल कहाँ से मिली ये तो ??…”

“कहाँ से का क्या मतलब चाची, …!। जब आये थे, तब दे गये थे...”

“अरे, तो जो चीज दो महिने पहले दे गया था, उसको अब पहन रही है....”

लाजो थोड़ा घबरा गई, फिर अपने को संभालते हुए बोली,
“ऐसे ही रखी हुई थी…। कल पहनने का मन किया तो…”

बेला के चेहरे पर कुटील मुस्कान फैल गई.

“किसको उल्लु बना…???। सब पता है, तु क्या-क्या गुल खिला रही है…??, हमको भी सिखा दे, लोगो से माल ऐठने के गुन..”

इतना सुनते ही लाजो के तन-बदन में आग लग गई।

“चुप साली, तु क्या बोलेगी ?…हरमजादी, कुतनी, खाली इधर की बात उधर करती रहती है …।”
बेला का माथा भी इतना सुनते घुम गया, और अपने बांये हाथ से लाजो के कन्धे को पकड़, धकेलते हुए बोली,
“हरामखोर रण्डी,,,,…चूत को टकसाल बना रखा है…॥ मरवा के पायल मिली होगी, तभी इतनी आग लग रही है ।"

“हां, हां, मरवा के पायल ली है ॥ और भी बहुत कुछ लिया है…तेरी चूतड़ों में क्यों दर्द हो रहा है, चुगलखोर…?”

जो चुगली करे, उसे चुगलखोर बोल दो तो फिर आग लगना तो स्वाभाविक है।

“साली भोसड़चोदी, मुझे चुगलखोर बोलती है. सारे गांव को बता दूँगी । तु किससे-किससे से चुदवाती फिरती है !!?”

इतनी देर में आस-पास की नहाने आई बहुत सारी औरते जमा हो गई। ये कोई नई बात तो थी नही, रोज तालाब पर नहाते समय किसी ना किसी का पंगा होता ही था, और अधनंगी औरते एक दूसरे के साथ भिड़ जाती थी. दोनो एक दूसरे को नोच ही डालती, मगर तभी एक बुढिया बीच में आ गई। फिर और भी औरते आ गई, और बात सम्भल गई। दोनो को एक दूसरे से दूर हटा दिया गया।
नहाना खतम कर, दोनो वापस अपने घर को लौट गई. मगर बेला के दिल में तो कांटा घुस गया था। इस गांव में और कोई इतना बड़ा दिलवाला है नही, जो उस रण्डी को पायल दे। तभी ध्यान आया की, पन्डित सदानन्द का बेटा मदन उस दिन खेत में पटक के जब लाजो की ले रहा था, तब उसने पायल देने की बात कही थी. कहीं उसी ने तो नही दी होगी ?!। फिर रात में लाजो और बसन्ती जिस तरफ से आ रही थी, उसी तरफ तो चौधरी का आम का बगीचा है।

बस फिर क्या था, दोपहर ढलते ही बेला अपने भारी भरकम पिछवाडे को मटकाते हुए चौधरी के बगीचे कि तरफ़ टोह लेने के ख्याल से जा निकली पर उसकी किस्मत कहें या बदकिस्मती कि नदी पर हुए झगड़े की खबर मदन को पहले ही लग गई थी क्योंकि गाँव में ऐसी बाते छिपती ही कहाँ हैं। सो मदन भी बेला की टोह लेता घूम ही रहा था। बगिया के पास दोनों की मुलाकात हुई।
“ राम राम बेला चाची” –मदन ने बेला के भारी चूतड़ों और पपीते सी विशाल चूचियों पे हँसरत भरी नजर डाल के कहा।
“राम राम बेटा” –बेला मदन को देख थोड़ा सकपकाई पर उसकी नजरें अपनी चूचियों चूतड़ों पर देख मन ही मन खुश हो सहज हो गई।
“इधर कहाँ जा रही हो चाची” –मदन ने बेला से पूछा।
ऐसे ही बेटा थोड़ा पेट भारी था सो सोचा थोड़ा टहल लूँ।” – बेला फ़िर थोड़ा हड़बड़ाई पर ऐन मौके पर उसे बहाना सूझ ही गया । अरे चाची आप तो जानती हैं मेरे पिताजी वैद्य हैं मेरे पास उनका अचूक चूरन है क्योंकि मेरा भी पेट गड़बड करता ही रहता है सो मैंने यहीं बगिया वाले मकान पर ही रख रखा है क्योंकि मेरा अधिक समय यहीं गुजरता है आप एक मिनट चली चलो मैं आप को चूरन दे दूंगा तुरन्त आराम हो जायेगा चाची” –मदन ने बेला से बोला।
पहले तो बेला घबराई फ़िर सोचा ये शायद मेरी इसलिए चापलूसी कर रहा है कि मुझे खुश कर लाजो बसन्ती के बारे में मेरा मुँह बन्द करवाना चाहता है इसीलिए मुझे मुफ़्त चूरन देने को कह रहा है। मौका अच्छा है इस समय इससे अचार के लिये बगिया से आम भी ऐंठे जा सकते हैं। सो वो फ़टा फ़ट बगिया वाले मकान में जाने को तैयार हो गईं। मदन उसे आगे आगे कर पीछे से उसके हिलते चूतड़ देखते हुए चल दिया उसका शैतानी दिमाग तेजी से आगे की योजना बना रहा था। मकान के अन्दर पहुँच मदन ने दरवाजा बन्द करते हुए कहा –“ चाची ये दो तरह के चूरन हैं अगर पेट गरम हो तो एक और ठण्डा हो तो दूसरा, जरा पेट तो दिखाइये।”
बेला ने धोती का पल्लू हटा दिया। मदन के सामने उसकी पपीते सी विशाल चूचियाँ और पेट नंगा हो गया। गोरी चिट्टी बेला ने साड़ी पेटीकोट आधे पेट से नाभी के ऊपर बाँधा हुआ था। मदन ने अपनी हथेली उसके मांसल गोरे पेट पर रख दबाई फ़िर चारो तरफ़ दबा दबा के उसकी माँसलता का आनन्द लेने लगा । जवान मर्द का हाथ बेला को भी अपने पेट पर अच्छा लग रहा था। अचानक बेला को छोड़ अलमारी से चूरन की शीशी निकालते हुए मदन बोला –“पेट में गरमी है।”
फ़िर उसे चूरन और पानी का गिलास दे कर कहा –“तुम ये चूरन खालो मैं अभी दो मिनट में तुम्हा्रे पेट का भारीपन ठीक किये देता हूँ।”
बेला ने सोचा चूरन खाने में वैसे भी कोई हर्ज नहीं सो उसने चूरन खाके पानी पी लिया। इधर मदन बिना बेला से कुछ कहे फ़िर अपनी हथेली उसके मांसल गोरे पेट पर चारो तरफ़ दबा दबा के उसकी माँसलता का आनन्द लेने लगा । बेला ने ऐसा दिखाया जैसे वो मदन के इस अचानक व्यवहार के लिए तैयार नहीं थी सो थोड़ी सी लड़खड़ाई और गिरने से बचने के लिए मदन के कन्धे पर हाथ रख दिया।
मदन –“देखो गिरना नहीं मेरे गले में हाथ डाल लो मैं पेट की मालिश कर अभी दो मिनट में तुम्हा्रे पेट का भारीपन ठीक किये देता हूँ।”
बेला –“सचमुच बड़ा आराम मिल रहा है बेटा ।”
और बेला ने मजे से मदन के गले में बाँह डाल दी अब उसका भारी सीना मदन के सीने से टकरा रहा था और वो अपने पेट पर उसके मर्दाने हाथ का मजा लेने लगी। अचानक मदन ने पेटीकोट के नाड़े में हाथ डाल नाभी में उंगली डाल के घुमाई जवान मर्द की मोटी खुर्दुरी उंगली नाभी मे घुसते ही बेला के मुँह से सिसकी निकाल गई। मदन ने बेला चाची की प्रतिक्रिया जानने के लिए उसकी तरफ़ देखा बेला का चेहरा उत्तेजना की लाली से थोड़ा तमतमाया सा लगा।
मदन –“अब पेट कैसा है चाची”
बेला – “आह! काफ़ी आराम है बेटा।”
अचानक मदन का हाथ पेटीकोट के अन्दर ही नाभी से सरक के उसकी चूत पर पहुँच गया और मदन ने महसूस किया बेला की चूत पनिया गई है बस उसने पावरोटी सी फ़ूली चूत सहला दी। मदन ने सुनाकि बेला मालिन के मुँह से सिसकी निकली । बस मदन ने उसी क्षण आर या पार का फ़ैसला कर लिया और अचानक उसने बेला को उठा के बिस्तर पर पटक दिया। और खुद उसके ऊपर कूद गया। बेला अरे अरे ही कहती रह गई तब तक मदन ने एक हाथ से अपने पैंट की चैन खोलते हुए दूसरे हाथ से उसकी साड़ी पेटीकोट उलट दिया और बोला –“ बहुत दिनों से तेरे मटकते चूतड़ों ने परेशान कर रखा था आज मौका लगा है।”
मन ही मन खुश होती बेला मालिन अपनी मोटी मोटी जाँघे फ़ैला दी पर ऊपरी मन से बोली –“ अरे ये क्या बेटा तू मुझे चाची कहता है ।”
मदन ने देखा बेला मालिन की चूत, पावरोटी सी फ़ूली हुई, करीब एक बित्ते के आकार की मोटे मोटे मजबूत होठों वाला भोसड़ा थी । मदन उसकी मोटी मोटी जाँघों के बीच बैठ गया और अपने फ़ौलादी लण्ड का हथौड़े सा सुपाड़ा उसके भोसड़े के मोटे मोटे होठों के बीच रखकर बोला – “तो ले आज तेरा ये भतीजा तुझे खुश कर देगा।”
बेला ने हाथ बढ़ाकर उसका नौ इन्ची लण्ड थामा तो सिहर उठी और अपनी चूत से हटाने की बेमन या कमजोर सी कोशिश करते हुए बोली –“अरे नहीं! अरे ठहर!
मदन ने एक हाथ बेला मालिन के ब्लाउज में हाथ डाला और दूसरे से बेला चाची का हाथ पकड़ उससे अपना लण्ड छुड़ाने लगा । चुटपुटिया वाले बटन एक दम से खुल गये मदन ने ब्रा भी नोचली हुक टूट गया और बेला के विशाल स्तन लक्का कबूतरों से फ़ड़फ़ड़ा के बाहर आ गये स्तनों को हाथों से ढकने के बहाने चुदासी बेला मालिन ने फ़ौरन लण्ड छोड़ दिया पर इस नानुकुर के बीच उसने लण्ड का सुपाड़ा अपनी चूत की पुत्तियों के बीच सही ठिकाने पर लगा दिया था। मदन ने दोनों हाथों मे उसकी सेर सेर भर की चूचियाँ थाम धक्का मारा और एक ही बार मे पूरा लण्ड ठाँस दिया।
बेला के मुँह से निकला –“शाबाश बेटा।“
फ़िर क्या था मदन हुमच हुमच के चोद रहा था और बेला मालिन किलकारियाँ भर रही थी मदन ने उसे आगे पीछे अगल बगल अटक पटक तरह तरह से मन भर चोदा यहाँ तक कि खुद लेट के उसको अपनी गोद में बैठा उसकी चूचियाँ चूसते हुए भी चोदा। जब मदन चोद के और बेला मालिन चुदवा के अघा गये, तो मदन उसे अचार के लिए उसकी मन पसन्द ढेर सारी अमियाँ दे कर बिदा कर मुस्कुराते हुए बोला –“बेला चाची जब पेट भारी हो तो आती रहना ।”
बेला(मुस्कुराते हुए) –“ हाँ बेटा तुझसे अच्छा वैद्य मुझे कहाँ मिलेगा।”
ये बोल और एक अर्थ भरी मुस्कुराहट मदन पर डाल अपनी चुदाई से मस्त हुई बेला चाची वहाँ से चलती बनी।
क्रमश:……………………
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ - by sexstories - 07-22-2018, 11:41 AM

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