RE: Hindi XXX Kahani वो सात दिन
आंटी कुर्सी पे बैठी थी और मैं ज़मीन पे बैठ के उनके पैर और टांगे दबा रहा था.
आंटी ने कुछ देर बाद अपने आप को कुर्सी पे थोड़ा और सार्क लिया और अब
उनका एक पैर मेरे कंधे पे और दूसरा मेरे मुँह में था…फिर धीरे धीरे आंटी
ने मुझे अपने पास कर लिया….
आंटी की सारी में मैं काफ़ी उपर तक टांगे दबा रहा था… मैं उनके घुटने से
उपर अपने हाथ ले गया… आंटी ने टांगे और खोल दी…अब मेरे हाथ उनकी टाँगो को
सहलाते हुए आगे बढ़ रहे थे.
अचानक डोर बेल बजी. मैं दरवाज़ा खोलने गया और आंटी ने अपनी सारी ठीक की.
पड़ोस से कोई पेरेंट्स आए थे, अपने बच्चे की ट्यूशन के लिए… आंटी उठी और
उनसे मिलने ड्रॉयिंग रूम में चली गयी.
मैं अंदर वाले रूम में बैठ के अल्लाह का शुक्रिया कर रहा था के मुझे
ज़न्नत के नज़ारे आ गये …..
तीसरा दिन
दूसरे दिन का कुछ मज़ा पड़ोसियों के आने से किरकिररा हुआ … फिर शाम तक
आंटी अपने काम में बिज़ी रही. मैं भी टीवी देखता रहा और मन ही मन अनु का
इंतेज़ार करता रहा….. शाम 7 बजे अनु वापिस आई , मैं नॉर्मल बना रहा और
रोज़ की बातें करता रहा. मैं अनु के रूम में जाने का मौका ढूँढ रहा था.
अनु मेरी बेचेनी को समझ गयी और बोली "सूबी तुम दिन में कह रहे थे तुम्हे
इंटरनेट से कुछ डाउनलोड करना है… जा के कर लो.. कंप्यूटर अब फ्री है…"
मैं बोला " थॅंक यू दीदी.." उसको दीदी कहते हुए बड़ा अजीब लग रहा था पर
आंटी के सामने कुछ और कह भी नही सकता था….
मैं सीधा अनु के रूम में गया और सोचने लगा के क्या "गिफ्ट" होगा जो अनु
मेरे लए लाई है और फिर उसने कंप्यूटर का बहाना क्यूँ बनाया….. ओह समझा,
कंप्यूटर में पासवर्ड होगा, उसे खोलने के लिए में अनु को यहाँ बुला लूँगा
और फिर वो मुझे गिफ्ट देगी…
मैने अनु को आवाज़ लगाई "दीदी कंप्यूटर में पासवर्ड लगा है"
अनु अंदर आई.. कंप्यूटर टेबल पे मैं था… आते ही उसने मुझे चूमा, और कहा,
"बाहर बाहर से मेरे सेंटर पे किस करो…. और फिर बेड के मट्रेस के नीचे
मेरी ताज़ी पॅंटी है… चाट लो "
बिना टाइम वेस्ट किए मैने अनु की पॅंटी निकाली और चाट चाट के सॉफ कर दी.
रात को बिताना सब से मुश्किल था क्यूँ कि दोनो , अनु और आंटी एक दूसरे से
खुली नही थी और इसीलिए मुझे रात को अलग कमरे में सोना पड़ता था.
मैने अपनी रातों को भी रंगीन बनाने के लिए एक प्लान बनाया.. क्यूँ ना मैं
अनु को आंटी के साथ हुए काम के बारे में बता दूं और आंटी को अनु के साथ
किए काम के बारे में बता दूं.. अगर दोनो की आपस की शरम टूट गयी तो मेरा
डबल फायेदा होगा.
मेरे दिमाग़ में एक प्लान आ ही गया…. जिस से अनु को मैं अपने आंटी के
बारे में बता दूँगा और उसे मेरे असली प्लान का पता भी नही चलेगा. मैं सोच
ही रहा था के अनु मेरे कमरे में आ गयी…. बेड टी के साथ.
अनु – "जल्दी से बेड टी पी लो … और फ्रेश हो जाओ…कल जिस वफ़ादारी से तुम
ने मेरी पॅंटी चॅटी, मैं खुश हूँ…"
मैं बोला "क्यूँ, पॅंटी में क्या ख़ास था… कल तो मैने आप की बॅक भी चॅटी
थी.. फिर कल शाम वाली पॅंटी में क्या खास था?"
अनु "उसमें मेरा माल कम और पीशाब ज़्यादा था, पर तुम मेरे इतने दीवाने हो
के बिना सोचे समझे सब चाट गये….यह सब छोड़ो.. आज दिन में मेरी सहेली भी आ
रही है…. कल पार्टी में मैने उसे तुम्हारी दीवानगी के बारे में बताया था…
बहुत हैरान हुई वो यह सब सुन के…. आज उसके सामने सब कुछ कर के दिखाना
होगा.. कर लोगे ना……"
मैं बोला "आप का हूकम सर आँखों पे…."
मैं उठ के तय्यार हुआ और बाथरूम में चला गया. अपने प्लान के हिसाब से
मैने वहाँ आंटी के कपड़े चाटने शुरू कर दिए… अनु ने देख लिया और
बोली…"बेवकूफ़, यह मेरे नही, आंटी के हैं.." और हँसने लगी.
मैं बोला, " आप की दीदी, यानी मेरी आंटी, उनको भी अच्छा लगता है और वो
मुझे कह के गयी है के… मैं उनकी पॅंटीस चाट के सॉफ करू और …."
अनु – क्या… वो भी? तुम तो हमारे घर के सर्वेंट बन गये… पर्सनल सफाई वाले….
मैं बोला- "सिर्फ़ आप के घर का नही, आज तो आप की सहेली का भी बन जाउन्गा…"
अनु – तुम तो अब मेरे गुलाम हो… पर्सनल गुलाम…"
मैं बोला "बिल्कुल आप का गुलाम हूं, पर्सनल सफाई वाला… एक टिश्यू पेपर की तरह"
अनु – जल्दी से दीदी के कपड़े सॉफ करो, मेरी सहेली भी आती ही होगी… उसके
सामने मेरे गुलाम की तरह रहना. उस पे इंप्रेशन जमाने के लए अगर मैं
तुम्हे एक-दो बार गाली दे दूं तो बुरा तो नही मनोगे…
मैं बोला – "यस में बुरा क्यूँ मानूँगा.. चाहे 2-4 गाली दे देना और चाहे
2-4 लगा भी देना… कोई प्राब्लम नही…"
अनु – गुड.. इसी बात पे मुँह मीठा कर लो.
अनु ने मेरा मुँह अपने होंठो से मीठा कर दिया.
कुछ देर के बाद अनु की सहेली, वीना आ गयी. मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मैं
आम लड़का ना हो के कोई अजीब सी चीज़ हूँ… एक अजीब मुस्कान थी. अनु और
वीना, दोनो के चेहरे पे एक मुस्कान शैतानी खेल खेल रही थी…. मैं भी बहुत
एग्ज़ाइटेड था कि आगे क्या होगा.
क्रमशः...................
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