RE: Hindi XXX Kahani वो सात दिन
वीना से रहा नही गया और वो मुझे बोली "सुबी भाई, ज़रा मुझे मेरी बुक्स
ढूढ़ने में हेल्प करना..
मैं वीना का इशारा समझ गया. पहली बार इतनी इज़्ज़त से बोल रही थी क्यूँ
की सामने कोई आंटी जी बैठी थी.
वीना रूम से होते हुए बाथरूम की तरफ चली गयी. मुझे भी आइडिया था कि वो
वही गयी होगी…. वीना ने मेरे आते ही बाथरूम बंद किया और बोली – "यह ले
तेरा इनाम…."
और उस ने मेरे मुँह को अपने सेंटर पॉइंट से लगाया…. मेरा मुँह गरम पानी
से भर गया.. वो मेरे मुँह में थोड़ा सा पेशाब भी कर रही थी…. मैने सब कुछ
पी लिया.
वीना – अबे गधे… साले मेरे पीशाब को भी पी गया.. शाबाश…
हम दोनो बाहर आ गये. अब तक पड़ोस वाली ऑंटी जा चुकी थी.
वीना – अनु यह तो बहुत अच्छा है.. अब तुझे बाथरूम करने के लिए बेड से
उठने की ज़रूरत नही
अनु – हां… मतलब यह कुत्ता तेरा पीशब भी पी गया..
वीना- अच्छा तो क्या यह तेरा पीशब पी चुक्का है क्या… मैने सोचा शायद यह
पहली बार है के यह मेरा पी रहा है.
अनु – कल इस ने मेरे पीशाब वाली पॅंटी चॅटी थी और आज तेरा पीशाब पी गया.. वाउ
मैं अपनी तारीफ सुन के मज़े ले रहा था.
अनु – जा के नहा लो… कहीं दीदी को तुम से स्मेल ना आ जाए…वैसे भी आज दीदी
के स्कूल में रिज़ल्ट निकलना है, तो आज वो जल्दी आने वाली हैं.
मैं नहाने गया , अनु वीना को छोड़ने बाहर तक गयी .
मुझे अब अपने प्लान को साकार करना था. मैं सुबह अनु को बता चुक्का था के
मैं आंटी की पॅंटी भी चाट्ता हूँ और आंटी को अच्छा भी लगता है. अब बस
इंतेज़ार था के अनु अपनी दीदी यानी मेरी आंटी को यह बता दे, ताकि दोनो
आपस मे खुल जाएँ… अगर अनु ने अपनी दीदी से बात नही की, तो मैं खुद किसी
तरह से आंटी को बता दूँगा के मैं अनु के साथ भी सेक्सी खेल खेल रहा हूँ.
बॅस अब यही चाहत थी के मुझे रात को अकेले ना सोना पड़े.. दोनो आपस में
खुल जाए और मेरी रातें भी रंगीन हो जाए…..
शाम भी आ गई…. मैं और अनु खूब बातें करते रहे और "खेलते" भी रहे…
आंटी भी आ गयी.. वो बहुत थॅकी हुई थी.. उनको कुछ फीवर था…..
मैं बोला "क्या हुआ आंटी… आप को फीवर है क्या?"
आंटी – हां शायद.. आज सारा दिन स्कूल में बहुत काम था.
अनु चाइ बना के लाई और जैसे ही मैने देखा के अनु आ रही है, मैं आंटी के
पैर दबाने लगा…. आंटी हैरान परेशान हो गयी क्यूँ कि तभी अनु अंदर आ गयी….
मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था और आंटी के पैर दबाता रहा…
आंटी – "बस सूबी.. रहने दो ना…"
अनु – नही दीदी, दबाने दो, बहुत अच्छे से दबाता है…
आंटी – तुझे कैसे पता..
अनु – कल मेरा पैर फिसल गया था ना, तब इस ने बहुत अच्छे से दबाया कि
बिल्कुल भी दर्द नही हुई…
मैं बोला – आंटी आप चाइ लीजिए, तब तक आप का फीवर भी उत्तर जाएगा……
डिन्नर अनु ने तय्यार किया क्यूँ के आंटी को फीवर ज़्यादा था.
बेड पे ही डिन्नर के बाद अनु आंटी के पास बैठी थी.
मैं बोला –"मैं बर्तन धो लेता हूँ , अनु दीदी आप आंटी का ख़याल रखो"
अनु – ठीक है
आंटी – अरी अनु, क्या करती हो, उस से बर्तन धोल्वओगि
अनु – तो क्या हुआ दीदी
मैं बोला – मुझे अछा लगेगा अगर मैं आप की हेल्प कर सका…
दोनो मुस्कुरा दी
आंटी के सोने तक मैं बेड पे बैठा रहा
जब आंटी सो गयी तो मैं आंटी की अनु के पैर दबाने लगा….
रज़ाई मैं अब एक हाथ अनु की टाँग पे और दूसरा आंटी की टाँग पे था
कुछ देर बाद आंटी की नींद खुल गयी… तब भी मैं बैठा आंटी की टाँगो पे हाथ
फेर रहा था. आंटी मुस्कुराइ और अनु की तरफ देख.. वो सो गयी थी
मेरे हाथ रज़ाई में थे…. दोनो सोच रही होंगी के मैं एक की ही टाँगो पे
हाथ घूमा रहा हूँ… जब के मैं दोनो को गरम कर रहा था. दोनो ही जाग रही थी
पर सोने की आक्टिंग कर रही थी….
आंटी ने अनु को देखा.. वो सो रही थी.. आंटी ने मुझे दूसरे कमरे में जाने
का इशारा किया.
ड्रॉयिंग रूम में आंटी भी आ गयी और सोफे पे बैठ गयी…
आंटी – इतने सालों से दबे हुए लावा को तुम ने जगा दिया सुबी… तेरी वजह से
मुझे फीवर हो गया.. यह गर्मी तेरी ही दी हुई है…
यह कहते हुए आंटी ने मुझे सोफे पे लेटा दिया और मेरे उपर चढ़ गयी…
उसने अपनी एक टांग की सलवार खोली और मैने अपना पाजामा नीचे किया…
आप आंटी मेरी सवारी करने लगी….. सोफा भी चूं चूं की आवाज़ कर रहा था…
मैं जान के ज़्यादा हिल रहा था के आवाज़ से अनु भी वहाँ आ जाए….
अनु भी सोने का ड्रामा कर रही थी… उसे भी पता था के बाहर क्या हो रहा
है.. वो भी कुछ देर के बाद बाहर आ गयी….
अनु ने चुप चाप लाइट ऑन की… अजीब नज़ारा था, पर मैं टेन्षन फ्री था…
मैं सोफे पे, आंटी मेरे उपर और अनु सामने….
आंटी सकपका गयी.. पर अनु की हँसी छूट गयी और मेरी भी.. कुछ पल तक आंटी
सन्न रह गयी फिर हँसने लगी…. अब अनु मेरे मुँह पे दोनो तरफ टाँग कर के
बैठ गयी और मैं उसकी चाटने लगा…. आंटी मेरी सवारी कर रही थी….
आंटी – क्या तुम ने भी सूबी के साथ सब कुछ कर लिया?
अनु – नही दीदी, यह तो सिर्फ़ मेरी चाट्ता है… आगे और पीछे से बॅस!!!!
आंटी – ओह फिर तो ठीक है…. तुम भी चुदाई मत करवाना…
अनु – हां , जानती हू.. पर इस की जीभ ही काफ़ी है … बहुत अच्छे से चाट्ता है…
आंटी – अच्छा.. मैं भी ट्राइ करूँगी ..पर कल क्यूँ कि आज मुझे कुछ फीवर है
अनु – आप का काफ़ी फीवर तो इसने उतार दिया होगा
आंटी – हां .. उतारा कम और चढ़ाया ज़्यादा है …
आंटी कुछ देर बाद अपना माल छोड़ के उत्तर गयी
अनु – सूबी जा के अपने आप को धो लो और फिर आ जाओ रज़ाई मे….
आंटी – आने से पहले कुछ डेयाड्रांट भी लगा लेना
दोनो हँसने लगी
पूरी रात मे उनकी रज़ाई मे रहा और सुबह मेरे मुँह पे , होटो पे सूजन आ
गयी… मेरी जीभ पे भी दर्द हो रहा था… पर मंन अभी भी भरा नही था… एक जवान
लड़की और एक प्यासी औरत का माल, उनका रस और शायद कुछ और भी मैं पी चुक्का
था…
क्रमशः...................
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