RE: Hindi XXX Kahani वो सात दिन
वो सात दिन --5
गतान्क से आगे...............
अनु – देखो दीदी, अभी भी शरारत कर रहा है… ओये सुबी.. चल अब जीभ हटा और पीना शुरू कर !!!!
आंटी हैरानी से देख रही थी और मैं अपनी मस्ती में सब कुछ कर रहा था…
फिर आंटी ने मुझे एक बॉटल दी और कहा के कुल्ला कर लो.
अनु ने मुझे माउत फ्रेशर की गोली दे दी
अनु – मैं यह माउत फ्रेशनेर पहले से ही लाई थी…
आंटी – मतलब तुम्हे पहले से ही पता था के तुम यह सब भी करोगी..
मैं बोला – थॅंक यू.
आंटी मेरे थॅंक्स कहने के अंदाज़ पे बहुत हँसी
आंटी – हमे तुम्हे थॅंक्स कहना चाहिए … आख़िर तुम हमे इतनी "फेसिलिटीस"
दे रहे हो… हमारा "मूवबल यरिनल " (चलता फिरता पीशाब घर) बन के….साथ में
हमारी सॉफ सफाई भी करते हो…
अनु – आररी नही दीदी… यह शूकारगुज़ार है के हम ने इस को अपना रस पिलाया
और इस को इस लायक समझा के यह हमारे रस को पी सके… यह हमारा एहसान है इस
कुत्ते पे के हम इसे इस लायक समझ रहे हैं की इस पे अपना पीशाब कर रहे है…
क्यूँ सूबी
मैं बोला – जी बिल्कुल , मैं आप का शूकर गुज़ार हूँ के आप ने मुझे अपने
पीशाब पीने के लायक समझा….
आंटी – हा हहा … बहुत अच्छे मेरे वफ़ादार सूबी…
थोड़ी देर में मुझे भी बाथरूम आ गया.. इतनी ठंड में इतना कुछ पीने के बाद
यह तो होना ही था… अब बारिश बहुत तेज़ थी…
आंटी – तुम कैसे बाथरूम करोगे… तुम भीग जाओगे
मैं बोला – मैं विंडो ग्लास नीचे उतार के कर लेता हूँ…
अनु – नही सूबी, कहीं कार गंदी ना हो जाए.. तुम कपड़े उतार के बाहर जाओ
और बाथरूम कर के वापिस कार में आ जाओ..
आंटी – अर्रे नही अनु, ठंड लग जाएगी इस को
अनु – ठंड लग गयी तो हम इस को फिर से गरमा गर्म पीला देंगे ना दीदी…
आंटी – सूबी, कुछ देर रुक जाओ… कोई रेस्टोरेंट अगर हाइवे पे मिला तो वाहा
का बाथरूम तुम यूज़ कर लेना..
मुझे बाथरूम रोकना मुश्किल हो रहा था. बारिश भी तेज़ हो रही थी… जैसे
जैसे पहाड़ी रास्ते पे कार टर्न करती मेरे पैट पे दबाब पड़ता और पिशाब का
प्रेशर और भी ज़्यादा हो जाता….. मेरे शकल देख के अनु मज़े ले रही थी..
आख़िर में एक रेस्टौरेंट नज़र आया… आंटी ने कार रोकी पर अनु ने वहाँ
उत्तरने से मना कर दिया के यह रेस्टौरेंट ठीक नही लगता… आंटी भी मुस्कुरा
दी, क्यूँ के उनको पता था के अनु जान भुज के मुझे तंग कर रही है….
मेरा प्रेशर के मारे बुरा हाल था….
मैं बोला " ठीक है फिर… अब अगर आप ने कार नही रोकी तो मैं मजबूर हो के
कार ही गीली कर दूँगा…"
दोनो हँसने लगी और आंटी ने कुछ देर बाद कार रोकी
आंटी – सूबी , कार का शीशा नीचे कर के बाथरूम कर लो… क्या नज़ारा होगा….
जब तुम कर के शीशे से अपना बाहर निकाल के बाथरूम करोगे….
पिछली सीट का शीशा मैने खोला और अपने आप को अड्जस्ट करने लगा पर कोई
फायेदा नही हुआ… आख़िर में कार का दरवाज़ा खोला और बाहर भाग गया.. तेज़
बेरिश में , एक पॅरपेट के साथ खड़े हो के बाथरूम करने लगा और मेरे सारे
कपड़े भीग गये…. तेज़ हवा ने मेरा बुरा हाल कर दिया और मेरा बाथरूम था के
रुकने का नाम ही नही ले रहा था…
खैर मैं कार में वापिस आया..
अनु – गीले कपड़ो से तुम्हे ठंड लग जाएगी. कपड़े उतार दो. बॅग मैं एक शॉल
है, उस को लप्पेट लो.
आंटी.. हान यह ठीक रहेगा. सोलन के बेज़ार से हम कुछ खरीद लेंगे और तुम
वोही पहन लेना.
मैं बोला – मुझे बहुत ठंड लग रही है
अनु – दीदी यहाँ रोड पे ट्रॅफिक नही है. मैं ड्राइव करती हूँ, आप सूबी की
ठंड दूर कर दो.
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