RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
खूबसूरत सफर (कहानी 04)
मेरा नाम संजय है ये कहानी एक सच्ची घटना पर है जो मेरे दोस्त ने बताई उसकी कहानी उसकी जुबानी
आज में आपको अपनी सच्ची स्टोरी बताता हूँ। में एक कॉंट्रेक्टर हूँ इसलिए अक्सर यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन इस ट्रेवलिंग में अगर आपकी किस्मत अच्छी हो तो कभी कभी आपको बहुत फायदा भी होता है। अब में आपको अपनी स्टोरी बताता हूँ।
एक बार में यात्रा कर रहा था, सुबह का समय था और सर्दिया चल रही थी तो ठंड भी काफ़ी थी। में बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रहा था। मेरी नज़र एक औरत पर गई, वो बार बार मुझे देख रही थी। उसकी उम्र करीब 35 साल के आस पास होगी। उसने साड़ी पहनी हुई थी और उसका फिगर भी अच्छा था। में आपको बता दूँ कि में बूब्स का बहुत दीवाना हूँ। मुझे बूब्स दबाना बहुत पसंद है उसे मसलना, चूसना मुझे बहुत पसंद है और बड़े बूब्स वाली औरतें मुझे बहुत पसंद है। उसके भी बूब्स बहुत बड़े थे, करीब 36 साईज़ के थे। में मन ही मन में सोच रहा था कि काश वो मेरी बगल वाली सीट पर बैठ जाये। तो अचानक मेरी बस आ गयी, वो भी उसी बस में आने के लिए उठी और में उसके पीछे पीछे ही बस में चढ़ने लगा। बस में बहुत भीड़ थी इसलिए में उसे चढ़ते वक़्त थोड़ा बहुत टच कर रहा था और बार बार उसके बूब्स को साईड से टच करने की कोशिश कर रहा था। वो सीट पर बैठ गयी।
फिर में भी उसके पास में ही बैठ गया, अब असली मज़ा शुरू होने वाला था। बस स्टार्ट हो गयी और अपने सफ़र पर निकल पड़ी। थोड़ी देर के बाद वो थोड़ी मेरी तरफ आ गयी और सोने का नाटक करने लगी, मुझे भी लगा कि वो लाईन दे रही है तो में भी सोने का नाटक करने लगा। ठंड काफ़ी थी और खिड़की भी ठीक से बंद नहीं हो रही थी। उसकी वजह से ठंडी हवा अंदर आ रही थी और उसे ठंड लग रही थी, वो थोड़ी थोड़ी देर के बाद मुझे अपनी कोहनी मार रही थी। में अपनी उंगलियां उसके बगल में डालने की कोशिश कर रहा था, में जैसे ही उसे टच करता तो वो और नज़दीक आने की कोशिश करती और अपने हाथ की जगह खोल देती, जैसे वो मुझसे कह रही हो कि अपना हाथ अंदर डालकर उसके बड़े बड़े बूब्स दबोच लो। फिर थोड़ी देर के बाद उसे लगा कि अगर में खिड़की के पास बैठ जाऊं तो अच्छे से उसके बूब्स दबा सकता हूँ और पास की सीट वाला भी हमें ऐसा करते नहीं देख सकता था, तो उसने मुझसे खिड़की के पास वाली सीट पर बैठने को कहा और बहाना किया कि उसे ठंड लग रही है। तो मैंने भी कहा ठीक है और हमने जगह बदल दी।
अब में खिड़की वाली सीट पर था। उसने अपनी साड़ी से मेरी तरफ वाले बूब्स को ढक दिया ताकि पास वाला कोई देख ना सके और वो शाल डालकर बैठ गई और सोने का नाटक करने लगी। आज मेरी तो निकल पड़ी थी, में भी थोड़ी देर बाद सोने का नाटक करके शाल डालकर सोने का नाटक करने लगा और धीरे से अपने हाथ की उंगलीयां उसके हाथ पर फेरने लगा। वो भी धीरे धीरे कामुक होने लगी और मुझसे चिपककर बैठ गयी और अपने हाथ वाली बगल को थोड़ा और खोलकर बैठ गयी, जिससे मेरा हाथ उसके बड़े-बड़े बूब्स तक आसानी से पहुँच सके। में भी धीरे धीरे अपना हाथ उसके बूब्स तक पहुँचाने लगा। मेरे ऐसा करते ही, वो काफ़ी कामुक हो चुकी थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बड़े बड़े बूब्स पर रख दिया। में तो काफ़ी उत्तेजित हो चुका था।
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