RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
आह... क्या मजा आ रहा था? मैं बता नहीं सकता !
उसके होंटों का वो मीठा-मीठा स्ट्राबेरी फ्लेवर ! मैं जैसे हवा में उड़ रहा था ! अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था !
मैं सीधा खड़ा हुआ और शैलीन को सोफे पर लिटा दिया और मैंने अपना अंडरवीयर छोड़ कर सारे कपड़े फटाफट उतार दिए और शैलीन के ऊपर आकर पागलों की भान्ति उसे चूमने लगा।
थोड़ी देर के बाद शैलीन ने मुझे अपने ऊपर से उठा दिया और अपनी साड़ी-पेटीकोट-ब्लाउज उतार दिया !
अब वो मेरे सामने काले रंग की पैंटी और ब्रा में खड़ी थी।
कहने लगी- यही तुम्हारा मनपसन्द रंग है ना?
मेरी तो जैसे आँखें फटी की फटी ही रह गई थी ! उसके गोरे-गोरे जिस्म पर वो काली पैंटी और ब्रा ! मैं तो उसे देखता ही रह गया !
अचानक शैलीन ने कहा- बस हमेशा देखते ही रहना ! कभी लड़की नहीं देखी है क्या?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- शैलीन, सच में तुम बहुत खूबसूरत हो ! मैंने आज तक तुम्हारे जैसी कभी किसी को नहीं देखा ! जी तो चाहता है कि तुम्हें हमेशा के लिए अपना बना लूँ !
तो शैलीन ने मुझे दोनों हाथों से अपने बाहों में भर लिया कहने लगी- अभी तो मैं तुम्हारी ही हूँ ना !
शैलीन ने अपना पूरा जिस्म मेरे हवाले कर दिया था जिसका मैं जो चाहूँ कर सकता था ! हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे और चुम्बन कर रहे थे।
मैं तो जरूरत से ज्यादा ही गर्म हो चुका था, अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, मैंने शैलीन की पैंटी और ब्रा फटाफट उतार दी और अपनी अंडरवीयर भी !
हम दोनों नंगे हो गए। अब मैंने उसे सोफे पर ही लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया !
मैं अपने लण्ड से शैलीन की चूत को सहला रहा था और उसके दोनों चूचों के चुचूकों को मुँह में लेकर चूस रहा था ! शैलीन भी मजा ले रही थी क्योंकि उसकी हालत भी मेरे जैसी ही हो गई थी !
उसने आखिर कह ही दिया- नब्बू, डालो ना ! अब और कितना तरसाओगे?
बस फ़िर क्या? मैंने शैलीन के कूल्हों के नीचे सोफे का तकिया लगाया जिससे शैलीन की चूत उभर कर ऊपर आ गई।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा क्योंकि शैलीन को अभी भी पिछली रात की चुदाई का दर्द था। मेरे लण्ड का ऊपर का हिस्सा (सुपाडा) ही अन्दर गया था कि शैलीन ने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ लिया और चूमने लगी।
इतने में ही मैंने दनदनाता हुआ शॉट मारा, मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया !
दर्द की वजह से शैलीन कराहने लगी लेकिन मैंने अपना कार्यक्रम जारी रखा और धीरे-धीरे शैलीन की कराहटें सिसकारियों में बदल गई। थोड़ी देर के बाद शैलीन ने अपनी टांग मोड़ ली और नीचे से अपनी गाण्ड उछालने लगी !
यह मेरे लिए हरी बत्ती थी। बस फिर क्या था मैंने अपनी गति और तेज कर दी ! शैलीन ने मुझे कस के पकड़ा था और आहह्.. आह... कर रही थी। मैंने भी अपना पूरा जोर लगा दिया। हमारी चुदाई से फच-फच की आवाज आ रही थी।
फ़िर मैंने शैलीन घोड़ी बना दिया और उसके पीछे आकर जैसे ही अपना लण्ड डाला, शैलीन झट से पलट कर मेरे सामने खड़ी हो गई और कहने लगी- इस तरह से मत करो ! मुझे बहुत दर्द होता है !
मैंने कहा- कोई बात नहीं !
फिर मैंने उसे सोफे पर बैठा दिया और मैं उसके सामने आया और शैलीन की दोनों टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रखी और उसकी चूत में लण्ड डाला और शुरू हो गया फचा-फच का संगीत !
शैलीन मेरा चेहरा अपने हाथों में थाम चूमने लगी ! शैलीन ने अपनी पूरी जिबान मेरे मुँह में डाल दी, मैं भी उसकी जबान को चूस रहा था, उसका भी एक अलग मजा आ रहा था ! कभी मैं शैलीन के मुँह में जबान डालता तो कभी शैलीन मेरे मुंह में !
जैसे ही शैलीन ने मुझे कस के पकड़ा मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है!
मैं अपना लण्ड शैलीन की चूत से निकाल कर सोफे पर बैठ गया और शैलीन को अपनी तरफ खींचा और उसकी दोनों टांगों को मोड़ कर अपनी जांघ बैठा लिया और उसके दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख लिए। इस तरह से मेरा लण्ड शैलीन की चूत टकरा रहा था और मेरे होठ शैलीन के स्तनों से !
फिर मैंने शैलीन की गाण्ड को दोनों हाथों से पकड़ कर हल्के से उठाया और उसकी चूत पर नीचे से अपना लण्ड जैसे ही लगाया, शैलीन समझ गई कि उसे क्या करना है।
शैलीन मस्त हो कर ऊपर-नीचे होने लगी, जिससे शैलीन के चूचे झूलने लगे ! मैंने शैलीन की कमर को पकड़ लिया और उसके चुचूक चूसने लगा।
शैलीन को और भी ज्यादा मजा आने लगा, वो सी-सी करते हुए बोली- नब्बू, यह सब कहाँ से सीखा? सच में तुम तो कमाल के मर्द हो !
मैंने कहा- शैलीन डार्लिंग ! अभी तो बहुत कुछ बाकी है ! जो तुम्हें अर्जुन ने भी नहीं बताया होगा !
फिर शैलीन मेरे दोनों गालों को अपनी हथेलियों के बीच पकड़कर मुझे चूमने लगी और इसी बीच शैलीन ने अपना पानी छोड़ दिया।
फिर मैं दोनों हाथों से शैलीन को पकड़कर वैसे ही खड़ा हो गया ! मेरा लण्ड अभी भी शैलीन की चूत में ही था !
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