RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
फिर मैं दोनों हाथों से शैलीन को पकड़कर वैसे ही खड़ा हो गया ! मेरा लण्ड अभी भी शैलीन की चूत में ही था ! शैलीन ने भी अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को पकड़ लिया और दोनों हाथों से मेरी गर्दन को इस तरह से शैलीन का सारा वजन मेरे पैर पर ही था! फिर मैंने अपने दोनों हाथ से शैलीन की गाण्ड को नीचे पकड़कर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। इस आसन में तो मुझे अलग ही मजा आता है दोस्तो !
थोड़ी देर बाद मेरा भी पानी निकलने ही वाला था कि मैंने अपना लण्ड निकाल लिया, शैलीन को सोफे पर बैठा दिया और कहा- मैं अपना पानी कहाँ गिराऊँ?
तो शैलीन ने कहा- जो तुमको पसंद है वही करो ! बाकी मैं देख लूँगी !
शैलीन तो सोफे पर ही बैठी थी मैंने उसकी दोनों टांगों को थोड़ा सा खींचा और टांगों उठा कर शैलीन को हाथों में पकड़ा दिया जिससे शैलीन की चूत की लाली साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला और अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा। पांच-सात मिनट के बाद मैंने शैलीन की चूत में ही सारा पानी गिरा दिया।
करीब दो घंटे की इस चुदाई में हम दोनों बहुत ज्यादा ही थक गए थे, शैलीन कहने लगी- नब्बू, प्लीज मुझे बेडरूम तक पहुँचा दो न?
मैंने कहा- क्यों नहीं !
मैंने शैलीन को दोनों हाथों से उठाया और उसे बेडरूम में बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके बाजू में ही लेट गया। आधे घंटे के बाद हमने फिर सेक्स किया और उसके बाद हम सो गए।
इस तरह मैं पाँच दिन तक शैलीन के घर (दिल्ली में कनॉट प्लेस) पर ही रहा। रोज रात में हम चुदाई करते थे और दिन में इन्डिया गेट, क़ुतुब मीनार, रेड फोर्ट, लाल किला और चांदनी चौक आदि खूब घूमा करते थे। इन पांच दिनों में मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी नई-नई शादी हुई हो और मैं अपनी बीवी (शैलीन) के साथ हनीमून पर आया हूं !
सच मानो तो मेरी वहाँ से जाने की मेरी इच्छा ही नहीं हो रही थी लेकिन वो मेरा घर भी तो नहीं था ! मेरे नागपुर आने के बाद भी वो मेरे दिलो-दिमाग में उसकी (शैलीन) की यादें और बातें घूम रही थी।
दो दिन पहले ही शैलीन का फोन आया, कहने लगी- तुम बाप बनने वाले हो, मुबारक हो !
यह सुन कर मैं खुश था और हैरान भी !
मैंने तभी ही शैलीन के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन शैलीन ने इन्कार कर दिया, कहा- तुम मुझसे शादी करके सिर्फ मेरा जिस्म ही पा सकते हो, आत्मा और बाकी रिश्ता तो मेरा अर्जुन के साथ ही मरते दम तक जुड़ा है और जुडा ही रहेगा ! रही बात तुम्हारे बच्चे की, जो मेरी कोख में है, तो दुनिया वालो के लिए मैं इसे अर्जुन का नाम दूंगी !
मैं- शैलीन तुम यह अच्छी तरह से जानती हो कि मैंने आज तक किसी से प्यार नहीं किया है, लेकिन अब मैं तुम्हें प्यार करता हूँ! मेरा दिल मत तोड़ो !
शैलीन रोते हुए कहने लगी- मैं कुछ नहीं जानती, यह सिर्फ तुम्हारी जानकारी के लिए है, मैंने तुम्हें सिर्फ़ इसलिए बताया कि तुम अर्जुन के सबसे अच्छे दोस्त हो और मैं तुम में अर्जुन की छवि देखती हूँ। लेकिन तुम अर्जुन नहीं हो ! मुझे गलत मत समझना ! खुदा तुम्हें सलामत रखे !
शैलीन ने बाय कहकर फोन काट दिया !
शैलीन की सिर्फ इस बात ने मेरे जीवन में औरत शब्द की परिभाषा ही बदल दी!
क्या यह शैलीन का मेरे प्रति प्यार था या हवस ?
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