RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
यह कहानी आज से 9 साल पहले की है, तब मेरी उमर करीब 21 साल की
थी, तब मैं थोड़ा पतला था।
मैं कुछ नहीं करता था क्योंकि मैं डिप्लोमा की परीक्षा में फ़ेल हो गया था
और परीक्षा को अभी बहुत समय था तो पिताजी ने मुझे अपने एक दोस्त के यहाँ
नौकरी पर लगा दिया। वहाँ पर लगभग हर रोज ही एक महिला आती थी। उनका नाम
मंजरी (नाम बदला हुआ) था। जब भी वो आती अंकल मुझे खाना खाने के या कुछ भी
बहाना करके वहाँ से भेज देते। वैसे तो उनका भतीजा भी मेरे साथ वहीं पर
काम करता था और मेरी और उसकी अच्छी पटती थी, तो एक दिन मैंने उससे पूछ ही
लीया। तब मुझे पता चला कि मंजरी का पति उनको मारता था, शराबी और जुआरी भी
था तो वो अंकल से मदद लेने आती थी। और उसने मुझे यह भी बताया कि उसने
उसके साथ मजे भी किये हैं। तो मैंने पिताजी के दोस्त के भतीजे को मेरे
लिए कुछ करने के लिए कहा। उसने शायद मेरे लिए बात भी की मगर शायद वो कुछ
डर रही थी इसलिए मना कर दिया।
अरे हाँ ! मंजरी भाभी के चूचे बड़े नहीं पर हाँ कसे हुए थे। जब भी मैं
उन्हें देखता था मेरा लण्ड तो मेरे अन्डरवीयर से निकल कर मेरी नाभि तक आ
जाता था। उनका कद करीब 5' 2", कमर पतली और एकदम सफ़ेद जैसे दूध से धुली
हो। मेरे मन में बस उन्हें पाने की इच्छा जाग गई थी।
तो आखिर वो दिन आ ही गया। अन्कल किसी काम से बाहर गये हुए थे, और वो आ
गई, मुझ से कुछ सामान लेकर बात करनी शुरु की, मैं तो बस उनके चेहरे को ही
सामने से देखता रहा, जैसे ही उनको पता चला, वो कुछ शरमाने लगी और हंस कर
बोली- मेरे चेहरे पे मोर लगे हैं क्या?
मुझे लगा अगर हंसी तो फ़ंसी।
और अचानक ही मैंने उनसे अपने मन की बात कह दी। पहले तो वो कुछ बोली नहीं,
पर कुछ देर बाद मुझसे वादा लेते हुए कि किसी और से यह बात नहीं कहने का
मुझे अपना फ़ोन नंबर देकर हंसते हुए चली गई।
दो दिन बाद जब मैंने उनके नम्बर पर फ़ोन किया, तो फोन पर वही थी, हमने
थोड़ी देर इधर उधर की बात की, फिर बात करते हुए मुझे लगा कि उनके घर पर
कोई नहीं है, तो मैंने उनको मिलने की इच्छा जताई। थोड़ी ना-नुकर के बाद वो
10 मिनट के लिए मान गई।
उतने में अन्कल आ गये और मैं उनसे बहाना करके तुरन्त मंजरी घर पहुँच गया।
उन्होंने मुझे घर के अन्दर बुलाया के और मेरे सामने कुर्सी रखकर मुझसे
बातें करने लगी। मेरा ध्यान तो बस उनके बदन पर ही था। मुझे लगा आज मौका
नहीं मिलेगा क्योंकि घर के सामने के मैदान में सोसायटी के बच्चे खेल रहे
थे। तो मैंने भी उनसे पानी का बहाना किया।
जैसे ही वो पानी लेने के लिए रसोई में गई, मैं उठकर अन्दर के कमरे में
जाकर बिस्तर पर बैठ गया। उन्होंने मुझे देख लिया था तो वो भी पानी लेकर
अन्दर कमरे में आ गई। मैंने भी पानी पीकर ग्लास उन्हें दिया, जैसे ही
उन्होंने ग्लास लेने के लिये हाथ आगे किया मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने
पास बिठाकर उन्हें चूमना शुरु कर दिया।
तभी वो अपने को छुड़ा कर एकदम उठी, पर तब तक वो गर्म हो चुकी थी, क्योंकि
उनकी आँखें सब बता रही थी। अचानक वो बाहर चली गई और मुझे लगा आज भी मुझे
खाली हाथ जाना पड़ेगा। पर उतने में वो घर के सारे दरवाजे बन्द करके मेरे
पास आकर बैठ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया।
बस फिर क्या था मैंने भी उनको पकड़ कर होंठों पर चुम्बन करना चालू कर
दिया, फिर उन्हें बिस्तर पर लिटाकर जबरदस्त चूमा-चाटी शुरु कर दी।
धीरे-धीरे मैंने उनके मम्मे दबाने शुरु कर दिये, अब वो भी मेरी जीभ चूस
रही थी और मैं उनकी। फिर मैंने उनके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए,
उन्होंने नीचे काली ब्रा पहन रखी थी, मैंने ब्रा का हूक खोलकर उनके दूध
को चूसने का कार्यक्रम शुरू किया।
धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी को पेटीकोट के साथ जैसे ही ऊँचा किया, तो
मैंने देखा कि उन्होंने पेन्टी तो पहनी ही नहीं थी। मैंने हल्के से एक
उंगली उनकी चूत में जैसे ही डाली, वो एकदम से सिहर गई, धीरे-धीरे मैंने
दूसरी, फिर तीसरी उंगली डाली। उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझे अपने
होंठों के पास लाकर मेरे होंठों को कस कर चूसने लगी।
तुरंत ही मेरी उंगली में कुछ गीलापन महसूस हुआ। तब मुझे लगा कि शायद
उन्हें पेशाब आ गई क्योंकि वह मेरा पहला अनुभव था, मुझे तो बाद में पता
लगा कि औरतें भी झड़ती हैं।
फिर उन्होंने मेरी पैंट में हाथ डाला और मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी,
मुझे तो अब और भी मज़ा आने लगा। फिर उन्होंने मुझे पैंट निकालने को कहा।
तो मैं पूरे कपड़े निकालने ही जा रहा था कि उन्होंने मुझे रोका और कहा- आज
इतना वक्त नहीं है, तुम सिर्फ़ पैंट को नीचे कर लो।
जैसे ही मैंने पैंट को नीचे किया और उन्होंने मेरे लण्ड को जैसे ही देखा,
वो तो बस मेरे लण्ड को एक बारगी तकती ही रह गई, और फिर अचानक फटाक से मेर
लण्ड पकड़ कर मुँह में ले लिया और मेरी गोलियों से मजे से खेलने लगी,
|