RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
कभी उनको भी मुँह में भर कर चूसने और चाटने लगती।
चूंकि मेरा यह पहला अनुभव था मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था, मुझे तो
इतना मज़ा आ रहा थी कि बस पूछो मत। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं भी अब जोश में आने लगा था, मैं उनका सिर पकड़कर आगे-पीछे करने लगा, एक
बार तो उनका सर पकड़ कर लण्ड पर ही पूरा दबा दिया। पर जैसे ही मैंने उनको
देखा, उनकी आँखों से पानी निकलने लगा, तो मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी और
उन्हें ऊपर लाकर उनके होंठों पे, गालों पे, कान के नीचे चेहरे पे हर जगह
चूमना चालू कर दिया।
उन्होंने मुझे मेरे कान में कहा- आज तक मैंने किसी का मुँह में नहीं
लिया, पर पता नहीं तुम्हारे उस में क्या खास बात थी जो मैंने उसे मुंह
में भर लिया, सच में तुम्हारा बहुत मस्त है।
वो अभी भी शायद कुछ शरमा रही थी, इसीलिये लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर रही थी।
इतना बोल कर वो तो जैसे पागल होने लगी थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत पर
जोर जोर से रगड़ने लगी। अब मेरा भी अपने पर काबू करना मुश्किल हो रहा था,
तो मैंने उन्हें धक्का मार कर बिस्तर पर लिटा दिया और लण्ड को चूत पर रख
कर धक्का मारना शुरु किया, पर मेरा लण्ड फिसल कर इधर उधर जाने लगा तो
उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर चूत के छेद पर टिका कर मेरे नितम्ब पकड़कर
उन्होंने ही धक्का मार कर लण्ड चूत में ले लिया।
फिर तो मैंने आव देखा ना ताव और एक जोरदार धक्का मारकर पूरा लण्ड जड़ तक
अन्दर डाल दिया। मेरे होंठ उनके होंठों पर ही थे इसलिये मुझे लगा कि वो
जैसे चिल्ला रही हैं, पर होंठों के चिपके होने के कारण चीख दब गई।
तब मेरा ध्यान उनकी आँखों पर गया तो मैंने देखा कि वो रो रही है, तो
मैंने भी थोड़ी देर उनके ऊपर पड़े रहना ही उचित समझा और धीरे-धीरे उनके
मम्मों को चूसता और दबाता उनकी छाती पर लेटा रहा।
वो धीरे-धीरे सामन्य हो रही थी और धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठा कर धक्के देने
लगी। फिर मैंने भी अपने धक्के चालू कर दिए। करीब 10-12 मिनट के बाद
उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और जोर से मेरी जीभ को चूसने लगी। मेरा तो
अब साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। तभी अचानक मुझे मेरे लण्ड पर कुछ
पानी जैसा महसूस हुआ, मैं भी अब जोश में धक्के पर धक्के लगा रहा था, पर
करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरे लण्ड में भी हरकत शुरु हुई और मैंने भी
उनको कस कर पकड़ लिया और उनकी जीभ चूसने लगा और फिर मैंने भी अपना सारा
लावा उनकी चूत में उडेल दिया, और पस्त होकर उनके नंगे बदन पर लेट गया।
कुछ देर तक हम यों ही पड़े रहे, फिर जैसे ही मैं कपड़े पहनकर जाने लगा,
उन्होंने मुझे रोक कर एक लम्बी चुम्मी मेरे होंठों पर दी और मुस्कराते
हुए बोली- अब जब भी मन करे, मुझे फोन कर देना, तुम जहाँ बुलाओगे, मैं आ
जाऊँगी, मैं आज से तुम्हारी हुई, आज मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन है।
और मैंने भी उनको चूमते हुए उनसे विदाई ली।
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