RE: Kamukta Story बदला
गेट पे खड़े गार्ड ने उसे हसरत भरी निगाह से देखा मगर जैसे ही कामिनी ने
उसकी तरफ नज़रे की उसने अपनी निगाहे झुका ली.उन भरोसे & हौसले से भरी
आँखो से नज़र मिलाने की हिम्मत सभी मे नही होती थी.
"आओ,आज वक़्त मिला है तुम्हे!",मिसेज़.चंद्रा ने पाई छुट्टी कामिनी को
उपर बिठाया,"अजी सुनते हो!देखो कौन आया है!",उन्होने चंद्रा साहब को
आवाज़ दी.
"अरे कामिनी..तो तुम्हे फ़ुर्सत मिल ही गयी!",तीनो ड्रॉयिंग रूम के सोफॉ
पे बैठ गये.
"लगता है,आप दोनो ने आज मुझे शर्मिंदा करने की सोची हुई है....मैं क्या
करती आंटी,इतना काम ही था इधर..आप तो जानती ही हैं उन दोनो केसस के चलते
मैं और केसस पे धान नही देपा रही थी.सब निपटा के पहली फ़ुर्सत मे सीधा आप
ही के पास आई हू.",कामिनी ने 1 गहरी निगाह अपने गुरु चंद्रा साहब पे
डाली.
कामिनी शत्ृजीत सिंग & करण मेहरा के केसस के बारे मे बात कर रही थी जिसे
उसने कुच्छ ही दिन पहले सुलझाया था.अपने पति विकास से तलाक़ के बाद उसने
तय कर लिया था कि वो अब अपनी ज़िंदगी भरपूर जिएगी & उसका पूरा मज़ा
उठाएगी.शत्रुजीत & करण दोनो ही उसके प्रेमी थे जोकि 1 बहुत बड़ी साज़िश
के शिकार हुए थे.कामिनी ने दोनो को मुसीबत से निकाला था.इसके बाद करण तो
अपने पिता के पास लंदन चला गया मगर शत्रुजीत से कामिनी की मुलाक़ातें
लगातार होती रही थी लेकिन कुच्छ दीनो बाद दोनो को रिश्ते मे 1 ठहराव सा
आता महसूस होने लगा था & नतीजा ये था की अब दोनो की मुलाक़ातें भी कम ही
गयी थी.
तलाक़ के बाद कामिनी ने अपने गुरु को भी उनके दिल मे अपने लिए छुपे चाहत
के एहसासो का खुल के इज़हार करने के लिए उकसाया था & पिच्छले कुच्छ महीनो
से दोनो उनकी बीवी & बाकी दुनिया की नज़रो से छुपा के जम के 1 दूसरे की
चाहत का मज़ा उठा रहे थे.
"..मैं नही आ पाई तो आप तो आ सकते थे!",बात तो उसने मिसेज़.चंद्रा से कही
थी मगर उसका इशारा चंद्रा साहब की ओर था.वो बड़े हल्के से मुस्कुराए.बातो
का रुख़ दूसरी ओर मुड़ा की तभी फोन बजा & मिसेज़.चंद्रा उसे उठाने के लिए
चली गई.
कामिनी अपनी सेहत & अपने रूप का पूरा ख़याल रखती थी.उसका भरा-2 जिस्म
बिल्कुल कसा हुआ था & इस वक़्त भी स्लीवेलेस्स ब्लाउस से झाँकति उसकी
मांसल,गोरी बाहें बिल्कुल पुष्ट नज़र आ रही थी.कामिनी ने जो ब्लाउस पहना
था वो पीछे से 1 गाँठ से बँधा था यानी की उसमे हुक्स या बटन नही थे.पीछे
से गाँठ खोलने से ही ब्लाउस खुलता.इस ब्लाउस मे उसकी पीठ का बड़ा हिस्सा
नज़र आ रहा था.
जब चंद्रा साहब ने ड्रॉयिंग रूम मे कदम रखा था तब कामिनी की पीठ उनकी ओर
थी & उनका ध्यान तुरंत अपनी शिष्या की पीठ & पतली कमर पे गया था & तभी
उनके लंड मे हरकत शुरू हो गयी थी.कामिनी बड़े सोफे पे बैठी थी & उसके दाए
तरफ के सिंगल-सीटर छ्होटे सोफे पे उसके गुरु.उनके पीछे थोडा हट के
डाइनिंग टेबल लगा था & उसके बाद की दीवार से लगे शेल्फ पे फोन रखा था
जिसपे मिसेज़.चंद्रा किसी से बात कर रही थी.
"ब्रा पहना है तुमने?"
"क्या?!",कामिनी चौंक पड़ी मगर फिर शोखी से मुस्कुराते हुए उसने उनकी
आँखो मे आँखे डाल दी,"आपको क्या लगता है?"
"ह्म्म....हो सकता है पहना हो..वैसे तुम्हे ज़रूरत तो है नही."
"अच्छा?"
"हां.तुम्हार जैसी कसी चूचिया जिसकी हो उसे सहारे की क्या ज़रूरत!"
कामिनी को हँसी आ गयी,कुच्छ ही दूर पे मिसेज़.चंद्रा खड़ी थी & उनकी
मौजूदगी मे ऐसी बाते करने मे उसे अजीब सा मज़ा मिल रहा था.उसे याद आया कि
जब वो पिच्छली बार यहा आई थी तो घर के दूसरे हिस्से मे बने चंद्रा साहब
के ऑफीस मे बंद होके उन्होने कितनी मस्ती की थी & मिसेज़.चंद्रा बेचारी
यही सोचती रही की दोनो काम के सिलसिले मे बात कर रहे हैं.
"अच्छा बताओ किस रंग का है?",चंद्रा साहब अपने पाँव के अंगूठे से उसके
सॅंडल मे से झाँकते पैर को सहला रहे थे.
"क्या?",कामिनी पे हल्की-2 मस्ती च्छा रही थी.उसने 1 नज़र मिसेज़.चंद्रा
पे डाली,वो अभी भी फोन पे लगी हुई थी & अपने पैरो को सॅंडल्ज़ से निकाल
लिया ताकि उसके गुरु आसानी से उसके पैरो को सहला सके.
"तुम्हारे ब्रा & पॅंटी?"
"लाल.",उनका दाया पैर कामिनी के दाए पैर से उपर उसकी पिंडली को सहला रहा था.
"क्या नज़ारा होगा वो भी जब तुम्हारा गोरा बदन केवल इन 2 लिबासो मे ढँका
नज़र आएगा!"
कामिनी ने फ़ौरन अपना पाँव पीछे खींच लिया,मिसेज़.चंद्रा फोन रख वापस
उनके पास आ रही थी.
"ये मिसेज़.पूरी भी छ्चोड़ती ही नही..हां अब तुम सूनाओ कामिनी,इतने
ख़तरनाक केस क्यू लेती हो?"
"क्या करती आंटी दोनो पहले से क्लाइंट्स थे मेरे.अब बीचे मे तो नही
छ्चोड़ सकती थी ना.",कामिनी ने पैर वापस सॅंडल्ज़ मे डाल लिए थे.
"हां भाई ये तो है."
"मालकिन,माली आया है.",गार्ड इत्तिला देने वाहा आया.
"ओफ्फो!इसे भी अभी आना था.आपलोग बाते करिए मैं अभी आई.",मिसेज़.चंद्रा उठ
के लॉन मे चली गयी.कामिनी जिस बड़े सोफे पे बैठी थी उसके पीछे 1 बहुत
बड़ी खिड़की थी जिसमे शीशा लगा हुआ था & उस से लॉन सॉफ दिखता था.कामिनी
घूम कर उसके बाहर देखने लगी,मिसेज़.चंद्रा माली से काम करवा रही थी.
"हा!",कामिनी चौंक पड़ी,उसे पता ही नही चला कि कब चंद्रा साहब उसके पीछे
आके बैठ गये & उसे बाहो मे भर लिया.
"क्या करते हैं?!कही आंटी ने देख लिया या फिर कोई नौकर आ गया तो?",कामिनी
उन्हे परे धकेलने लगी.
"आंटी को अभी कम से कम आधा घंटा लगेगा & इस वक़्त घर मे कोई नौकर है
नही.",चंद्रा साहब ने पीछे से उसकी कमर को घेर उसके पेट को सहलाते हुए
उसके दाए कान को काट लिया.
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