चंद्रा साहब कामिनी को चूमते हुए उस शेल्फ पे ले गये & उसे उसपे बिठा दिया..आख़िर क्या कशिश थी इस लड़की मे जो वो भी किसी कॉलेज के लड़के की तरह बर्ताव करने लगे थे..जैसी हरकतें..जैसी बाते वो इसके साथ करते थे वैसी तो उन्होने अपनी बीवी से भी आज तक नही की थी.
शेल्फ पे बैठते ही कामिनी ने अपनी टाँगे फैला दी & चंद्रा साहब उनके बीच खड़े हो उसे चूमते हुए उसकी ड्रेस के पतले स्ट्रॅप्स को कंधो से नीचे उतारने लगे.पीठ पे लगी ज़िप को खोल उन्होने स्ट्रॅप्स को नीचे किया तो ड्रेस सीने के नीचे उसकी गोद मे मूडी सी पड़ गयी,"..हां,काला ही है.",उसके ब्रा को देखते ही उनके मुँह से निकला.
उनकी बात से कामिनी के होंठो पे मुस्कान आ गयी & उसने अपना हाथ नीचे ले जाके उनके पाजामे की डोर खींच दी,पाजामा नीचे गिरा & उनका लंड उसके हाथो मे आ गया.चंद्रा साहब ने बिना ब्रा खोले उसे उपर कर उसकी चूचियो को नंगा किया,"कामिनी..तुम यही हो क्या?"
"जी आंटी..यही मॅगज़ीन पढ़ रही हू..सर कुच्छ काम कर रहे हैं उन्हे डिस्टर्ब करना ठीक नही लगा."
"अच्छा..मैं भी बस 15-20 मिनिट मे फ्री हो जाऊंगी."
"ओके,आंटी.",उनकी बातचीत के दौरान वो लगातार चंद्रा साहब का लंड हिलाती रही & वो झुक के उसकी चूचिया चूस्ते रहे.कामिनी उनका सर अपने सीने से उठाया & झुक के उनके लंड को मुँह मे भर लिया.वो शेल्फ पे बैठी हुई झुक के उनका लंड चूस रही थी & वो बेचैनी से उसकी पीठ पे हाथ फेर रहे थे & बीच-2 मे झुक के उसकी पीठ पे चूम रहे थे.उनकी असिस्टेंट लंड चूसने मे माहिर थी & कुच्छ पॅलो बाद ही चंद्रा साहब को ऐसा लगा की अगर उन्होने उसे नही रोका तो वो अब झाड़ जाएँगे & वो ऐसा नही चाहते थे.
उन्होने उसके सर को अपने लंड से अलग किया & उपर उठाया.काले,घने बालो से घिरा कामिनी का खूबसूरत चेहरा इस वक़्त मदहोशी के रंग से सराबोर था.उसकी काली,बड़ी-2 आँखो मे झाँकते हुए चंद्रा साहब ने उसकी पॅंटी खींची तो उसने अपनी टाँगे हवा मे उठा दी & जैसे ही उन्होने अपना लंड उसकी चूत पे रख के धक्का मारा उसने उनके गले मे बाहे डाल दी & हवा मे उठी टाँगो को उनकी कमर पे लपेट उन्हे अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.
"आहह....!",लंड जैसे ही चूत मे घुसा कामिनी कराही.
"क्या हुआ कामिनी?"
"कुच्छ नही,आंटी..आपके घर मे 1 बड़ा सा चूहा है..",उसने अपने गुरु की आँखो मे देखते हुए मस्ती मे पागल हो उनके बाए कान को काट लिया.चंद्रा साहब उसका इशारा समझ गये थे & उन्होने अपने धक्के तेज़ कर दिए.
"नौकर से कहके कल ही दवाई डलवाती हू वरना बड़ा नुकसान कर देगा."
"दवाई से इसका कुच्छ नही बिगड़ेगा..",कामिनी ने आँखो से चंद्रा साहब को उनके लंड की ओर इशारा किया & अपनी कमर हिलाने लगी,"..बहुत बड़ा है..इसके लिए तो कोई चूहे दानी लाइए.",उसकी बात से चंद्रा सहाब जोश मे पागल हो गये & उसकी गंद को थाम तेज़ी से धक्के लगाने लगे.
कामिनी उनके गले से लगी हुई उनके बाए कंधे पे सर रखे हुए,अपनी टाँगे लपेटे उनके धक्के झेले जा रही थी.इस तरह से खड़े होकर चोदने से चंद्रा साहब का लंड ना केवल उसकी चूत की दीवारो को बल्कि उसके दाने को भी रगड़ रहा था & वो बहुत मस्त हो गयी थी.दोनो को पता था की अब किसी भी वक़्त मिसेज़.चंद्रा की मालिश ख़त्म हो सकती है सो दोनो अब शिद्दत से झड़ने की कोशिश कर रहे थे.
चंद्रा साहब के हाथो मे उसकी चौड़ी गंद का एहसास उन्हे पागल कर रहा था & उसकी बातो ने तो उनका जोश बढ़ा ही दिया था,कामिनी भी इस मौके से & पकड़े जाने के डर से कुच्छ ज़्यादा ही रोमांचित थी & उसकी चूत भी अब सिकुड़ने-फैलने लगी थी.उसकी चूत की इस हरकत से चंद्रा साहब को पता चल जाता था की उनकी शिष्या झड़ने वाली है,साथ ही उनका लंड भी मस्ती मे बेक़ाबू हो जाता था.कामिनी अपने होठ काट कर अपनी आहो को रोक रही थी & चंद्रा साहब उसके बाए कंधे पे सर रखे बस धक्के पे धक्के लगाए चले जा रहे थे.