"..लेकिन देविका,कौन देगा हमारे लड़के को अपनी लड़की?",देविका ने उन्हे फिर से लिटा दिया & उनके सर को सहलाने लगी,वो उनके बाई तरफ करवट ले लेट गयी & अपनी दाई कोहनी पे उचक के उस हाथ पे माथे को टीका दिया.ऐसा करने से उसकी मस्त छातिया उसके पति के चेहरे के बिल्कुल करीब हो गयी थी.और कोई दिन होता तो सुरेन जी फिर से उनसे खेलना शुरू कर देते मगर आज उनकी तबीयत ने उन्हे मजबूर कर दिया था.
"कोई तो होगा ऐसा..उसे ढुंडेना हमारा काम है.कोई भी हो बस लड़की शरीफ हो & हमारे बेटे का ख़याल रखे."
"इस काम को शुरू कैसे करें?"
"देखो,शाम लाल जी तो यहा है नही फिर भी उनसे इस बारे मे राई ले सकते हैं."
"हां,ये बात तो ठीक है."
"तो उनसे बात की जा सकती है..& तो कोई ऐसा नज़र नही आता जिसपे इस बारे मे भरोसा किया जा सके."
"ह्म्म...चलो उनसे बात करूँगा.",सुरेन जी ने आँखे बंद कर ली तो देविका उनका सर सहलाने लगी,थोड़ी ही देर मे वो खर्राटे भर रहे थे मगर देविका की आँखो से नींद गायब थी.वो काफ़ी देर तक प्रसून के बारे मे सोचती रही फिर उसे प्यास लगी तो उसने देखा की साइड-टेबल पे रखी बॉटल खाली है.
वो बिस्तर से उठी & अपने जिस्म पे अपनी गहरे नीले रंग की नेग्लिजी डाली जो की बस उसकी गंद के नीचे तक आती थी & अपने कमरे से निकल नीचे किचन मे चली गयी.वाहा जाके फ्रिड्ज से बॉटल निकल के पानी पिया & फिर बॉटल वापस रख जैसे ही फ्रिड्ज बंद किया की किसी ने उसे पीछे से जाकड़ लिया,"हा...-".उसके हलक से निकलती चीख को 1 मज़बूत हाथ ने मुँह दबा के बंद किया.
ये शिवा था,उसने अपना हाथ देविका के मुँह से हटाया,"पागल हो गये हो क्या?....कोई देख लेगा त-..",देविका बात पूरी करती इस से पहले ही शिवा ने उसके होंठो को चूम लिया.देविका ने उसे परे धकेला,"..पागल मत बनो....सुरेन या प्रसून आ गये तो ग़ज़ब हो जाएगा!"
शिवा तो जैसे कुच्छ सुन ही नही रहा था.उसने देविका को बाहो मे भर लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा.देविका कसमसाते हुए उसकी पकड़ से निकलने की कोशिश करने लगी मगर उस हटते-काटते मर्द की मज़बूत बाहो से निकलने का उसे कोई मौका नही मिला.देविका को बहुत घबराहट हो रही थी मगर शिवा उसकी बात समझ ही नही रहा था.नेग्लिजी के नीचे देविका ने कुच्छ भी नही पहना था & यू शिवा के सीने से लगे होने की वजह से उसकी छातिया उसके गले से बिल्कुल छलक आई थी..यहा तक की बाई छाती का तो गुलाबी निपल भी दिख रहा था.
शिवा ने उस निपल को मुँह मे भर के चूस्ते हुए नीचे से हाथ घुसके उसकी नंगी गंद को दबाया तो भी देविका को डर लगता ही रहा.उसने 1 बार पूरी ताक़त से शिवा को परेढाकेला & वाहा से तेज़ी से जाने लगी की शिवा ने उसकी बाँह पकड़ के खींचा & उसे किचन मे रखे टेबल पे झुका दिया.अब देविका खड़ी तो थी मगर उसका कमर से उपर का पूरा हिस्सा टेबल पे था & उसकी गंद शिवा की तरफ थी.उसने उठने की कोशिश की मगर शिवा ने अपने दाए हाथ से उसकी पीठ को दबाके उसे वैसे ही रखा.
शिवा केवल शॉर्ट्स मे था,उसने दाए हाथ से देविका को दबाए हुए बाए से अपनी शॉर्ट्स उतारी & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,"..एयाया-..",1 बार फिर देविका के हलक से निकलती चीख को उसने उसकी पीठ पे झुकते हुए अपने दाए हाथ को आगे ले जाके उसके मुँह को दबा के रोक दिया.शिवा झुक के उसकी पीठ से सॅट गया & अपना बाया हाथ उसकी चूचियो से लगा दिया,"..आअहह...कितना तड़प्ता हू तुम्हारे लिए...तुम भी तो नही आ..ती...मे..रे..पास्स....आआअहह...!",शिवा उसकी चूचिया मसलते हुए धक्के लगा रह था.
देविका की चूत अभी भी थोड़ी गीली थी मगर इतनी नही की उसे दर्द ना महसूस हो.उसे तकलीफ़ हो रही थी & उसे शिवा पे बहुत तेज़ गुस्सा भी आ रहा था मगर वो जानती थी की अभी वो बेबस है जब तक शिवा फारिग नही होता उसे ये सहना ही पड़ेगा.थोड़े धक्को के बाद शिवा उसकी पीठ से उठ के सीधा खड़ा हो गया & दाए हाथ से उसकी कमर को थाम कर बाए से उसकी गोरी,नंगी पीठ सहलाते हुए उसे चोदने लगा.देविका की चौड़ी गंद उसकी जाँघो से दबी हुई थी & हर धक्के पे दोनो के जिस्मो के टकराने से होने वाली ठप-2 की आवाज़ से देविका को डर लग रहा था की कही उसका पति या बेटा जाग ना जाएँ.
शिवा ने देविका के बाल पकड़ के उसे खींच के खड़ा कर दिया,फिर उसकी चूचियो के नीचे अपनी बाई बाँह लगा के उसे थाम लिया & दाए से उसके पेट को थाम वो धक्के लगाने लगा.सर को आगे झुका के उसने उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो देविका ने मुँह फेर अपनी नाराज़गी जताई.उसके दिल मे तो नाराज़गी भरी थी मगर उसकी चूत का कुच्छ और ही हाल था.शिवा के लंड की रगड़ से वो अब पूरी गीली हो गयी थी & लगातार पानी छ्चोड़े जा रही थी.उसकी इस हरकत की आवाज़ देविका के दिलोदिमाग ने भी सुनी & वो भी अब मदहोश होने लगे थे.शिवा बहुत तेज़ी से धक्के लगा रहा था & ना चाहते हुए भी देविका उसकी चुदाई से पागल हो रही थी.