RE: Kamukta Story बदला
शिवा के बाहो की जाकड़ और मज़बूत हो गयी & वो पागलो की तरह उसके बालो को
चूमने लगा.देविका को भी अब ना गुस्से का ख़याल था ना डर का!ख़याल था तो
सिर्फ़ बदन की भूख का.उसकी चूत अब बिल्कुल पागल हो गयी थी.तभी शिवा ने
उसके पेट पे रखा हाथ नीचे सरका के उसके दाने को छेड़ दिया & उसी वक़्त
देविका झाड़ गयी.उसके मुँह से आह निकल जाती अगर शिवा अपने होंठो से उसके
मुँह को बंद ना करता.देविका का जिस्म अकड़ सा गया था & उसकी चूत से पानी
निकले चला जा रहा था.तभी उसे चूत के अंदर कुच्छ गरम सा महसूस हुआ,वो समझ
गयी की उसका प्रेमी भी झाड़ गया है.
शिवा ने अपना लंड खींच कर चूत से निकाला तो देविका उस से अलग हो अपनी
नेग्लिजी ठीक करने लगी.उसके गले से उसकी दोनो चूचिया बाहर निकल आई
थी,उसने उन्हे अंदर किया & वाहा से जाने लगी की शिवा ने उसका हाथ पकड़
लिया,"कहा जा रही हो?",वो धीमी आवाज़ मे बोला.
देविका घूमी & उसने 1 करारा तमाचा शिवा के गाल पे लगा दिया,उसकी आँखो से
अंगारे बरस रहे था.शिवा का दूसरा हाथ अपने गाल पे चला गया.उसने उसे
सहलाया & फिर अपना दूसरा गाल देविका के आगे कर दिया.देविका ने 1 और झापड़
रसीद किया तो शिवा ने फिर से अपना पहला गाल उसकी तरफ किया.देविका ने फिर
1 और थप्पड़ लगाया & फिर उसे गले से लगाके उसके चेहरे को चूमने लगी,उसकी
आँखो मे अब गुस्से के शोले नही बल्कि आँसुओं की बारिश थी,"क्यू करते हो
ऐसे?",वो उसे सीने से लगाए बेतहाशा चूमे जा रही थी,"..कही कोई देख लेगा
तो फिर जो भी थोड़ी बहुत खुशी हमारे हिस्से मे है वो भी नही रहेगी."
शिवा उसे थामे खड़ा था,"मैं पागल हू तुम्हारे लिए,देविका..तुम समझ नही
सकती तुम मेरे लिए क्या हो?"
"सब समझती हू.क्या तुम मेरे कुच्छ नही?..मगर हम इस तरह से पागलपन तो नही
कर सकते,शिवा.",उसने अपने प्रेमी को समझाया.
"हूँ.सॉरी.",शिवा ने उसे गले से लगा लिया.देविका प्यार से उसके बदन पे
हाथ फेर रही थी.शिवा पूरा नंगा था & उसकी नेग्लिजी भी उसके जिस्म की
गर्मी को उसके मादक बदन तक पहुँचने से रोक नही पा रही थी.देविका पे अपने
प्रेमी के बदन की खुमारी छाने लगी थी मगर उसने दिल पे काबू रखा,"चलो,जाके
सो जाओ."
शिवा ने अपनी शॉर्ट्स उठा के उसे थमायी & फिर उसे गोद मे उठा लिया &
सीढ़ियो पे चढ़ने लगा.देविका ने अपनी बाहे उसके गले मे डाल दी & उसके
होंठ चूम लिए,"प्लीज़,शिवा.."
"घबराओ मत.",शिवा ने उसके कमरे के पास पहुँच के उसे उतारा & फिर दरवाज़े
को खोल के अंदर झाँका,सुरेन जी के खर्रातो की आवाज़ कमरे मे भरी हुई
थी,"गुड नाइट."
"श..शिवा..",देविका उसके सीने से लग गयी.उसका दिल तो कर रहा था की अपने
प्रेमी के साथ उसके बिस्तर मे घुस जाए & उसकी मज़बूत बहो मे अपने बदन को
क़ैद करा उस से जी भर के प्यार करे मगर ये संभव नही था.दोनो थोड़ी देर तक
1 दूसरे को चूमते रहे,फिर शिवा ने अपनी शॉर्ट्स ली & अपने कमरे मे चला
गया & देविका वापस अपने पति के पास.
"मॅ'म,मैं जाती हू,6 बजे तक वापस आ जाऊंगी.",रजनी ने अपना बॅग उठाया &
रविवार की छुट्टी मनाने के लिए निकल पड़ी.
"ओके,रजनी.",देविका ने उसे विदा किया.आज वो सवेरे से परेशान थी.आज वीरेन
आने वाला था....इतने सालो बाद अचानक क्यू लौट आया है वो..आख़िर क्या
चाहिए उसे?इसी उधेड़बुन मे वो नहाने चली गयी...कितना काम था..प्रसून को
भी तैय्यार करना था फिर खाने की तैय्यारि करवानी थी नौकरो से..वीरेन उनके
साथ ही खाने वाला था..देविका ने कपड़े उतारे & बाथटब मे बैठ गयी..अब जो
होना होगा सो तो होगा ही..बेकार मे परेशान होने से क्या फ़ायदा....उसने
शवर गेल की बॉटल उठाई & अपने हाथो मे ले अपने बदन पे मलने लगी.
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क्रमशः.......
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