रजनी की साँसे बहुत तेज़ हो गयी थी.इंदर ने उसे पीछे से पकड़ा हुआ था & उसके गले को चूम रहा था.एस्टेट से निकलने के बाद रजनी जब हलदन पहुन्ची तो दोनो ने पहले थोड़ी खरीदार की फिर 1 रेस्टोरेंट मे खाना खाया & फिर इंदर के घर आ गये.
थोड़ी देर तक दोनो बाते करते रहे मगर दोनो ही के दिल मे आग लगी हुई थी & थोड़ी ही देर बाद इंदर ने पहल की तो रजनी ने भी कोई ऐतराज़ नही जताया....& क्यू जताती?वो तो आज मन बनके आई त क अगर उसके प्रेमी ने आज उस से उसकी सबसे कीमती चीज़-उसका कुँवारापन माँगा तो वो मना नही करेगी.
"हाआ.....!",रजनी की साँस अटक सी गयी,इंदर ने कब उसके गले को चूमते हुए उसकी कमीज़ को उठाके उसके पेट पे अपना दाया हाथ रख दिया था उसे पता भी ना चला था.उसका दाया हाथ अपनेआप इंदर की दाई कलाई पे कस गया मगर इंदर हौले-2 उसका पेट सहलाता ही रहा.
रजनी की अजीब सी हालत थी,उसे डर लग रहा था मगर साथ ही बहुत रोमांच भी हो रहा था.इंदर के हाथो का एहसास उसके बदन मे सनसनी फैला रहा था.उसका दिल 1 तरफ तो कहता था की ये हाथ इसी तरह उसके जिस्म के उपर फिरता रहे तो तभी दूसरे ही पल उसकी धड़कने इतनी तेज़ हो जाती की वो उसे इंदर को रोकने के लिए कहने लगा,"..इंदर......"
"ह्म्म....",रजनी ने अपना सर पीछे उसके कंधे से टीकाया हुआ था & इंदर ने अपने तपते होंठ उसके होंठो पे रख दिए.अब तो रजनी के उपर खुमारी च्छा गयी.हमेशा ऐसे ही होता था....ना जाने क्या जादू हा इंदर के लबो मे की वो सब कुच्छ भूल जाती थी.अभी भी वो भूल गयी की वो इंदर को रोकने वाली थी बस केवल ये याद रहा की इंदर की ज़ुबान उसकी शर्मीली ज़ुबान को भी बहका रही है & वो भी अब उसी शिद्दत से उसके होंठो को चूमते हुए उस से ज़ुबान लड़ा रही है.
इंदर की कलाई को पकड़ा उसका हाथ अब उसे सहला रहा था & उसका दूसरा हाथ अपने प्रेमी के सर पे उसके बालो मे था.ऐसा तो था नही की रजनी आज पहली बार इंदर की बाहो मे उसे चूम रही थी मगर ना जाने आज क्या बात थी की आज उसके बदन मे जो एहसास हो रहा था ऐसा उसने पहले कभी भी महसूस नही किया था.इंदर की हर्कतो से वो हमेशा ही गरम हो जाती थी & घर जाके उसे अपनी गीली पॅंटी बदलनी भी पड़ती थी मगर आज जो खुमारी उसके उपर च्छाई थी ऐसी पहले कभी नही छाई थी.
चूमते हुए इंदर ने उसे घुमा लिया & उसकी कमर को अपनी बाहो मे क़ैद करते हुए वैसे ही चूमता रहा.अब उसका बाया हाथ भी दाए के साथ उसकी कमीज़ के अंदर घुस उसकी कमर को सहला रहा था,"..उउंम्म...",रजनी ने किस तोड़ सांस लेते हुए अपना सर बाई ओर घुमाया तो इंदर ने अपने होंठ उसकी गर्दन से लगा दिए.
इंदर उसे कद मे बस 2-3 इंच ही लंबा था & उसके सख़्त लंड को रजनी अपने पेट पे महसूस कर रही थी.उसके दिल की धड़कने और भी तेज़ हो गयी....क्या वो इंदर को खुश कर पाएगी?....उसका मामूली सा रूप क्या इंदर की उम्मीदो पे खरा उतरेगा?..इन सवालो ने उसके ज़हक़न मे हलचल मचा दी,"प्लीज़.....इंदर..नही..."
"क्यू?",इंदर के हाथ कमर से उपर पीठ पे घूम रहे थे,"..मैं पसंद नही तुम्हे या फिर मुझ पे भरोसा नही है?",इंदर की आँखो की तपिश रजनी ने अपने दिल के आख़िरी कोने तक महसूस की,"बोलो ना?"
"वो बात नही है..",रजनी उन निगाहो को झेल नही पाई & फिर से गर्दन बाई ओर घुमा ली.
"फिर क्या बात है?",इंदर ने बाया हाथ उसकी कमीज़ से निकाल के उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया & अपना हाथ उसके बाए गाल पे रखे रहा ताकि वो दोबारा उस से नज़रे ना फेर सके,"जब तक नही बोलॉगी मैं ऐसे ही खड़ा रहूँगा चाहे सारी उम्र बीत जाए."
इंदर की बातो मे सच्चे प्यार की ईमानदारी & भरोसे की झलक थी.रजनी का दिल भर आया....कितना प्यार करता है ये शख्स मुझसे?....उसका दिल किया की उसे बाहो मे भर उसके चेहरे पे किससे की झड़ी लगा उसके उपर प्यार की बारिश कर दे....सौंप दे अपना बदन उसे...ये उसी की तो अमानत है लेकिन फिर से वो सवाल उसके सामने खड़ा हो गया...क्या वो सच मे इस इंसान के लायक है?
"इंदर...."
"बोलो रजनी...प्लीज़ जो भी दिल मे है कह डालो.मैं तुमसे किसी तरह की दूरी अब बर्दाश्त नही कर सकता!"
"इंदर....मैं तुम्हारे लायक नही हू.",रजनी ने आँखे बंद कर जल्दी से बोला.
"ये फ़ैसला करने वाली तुम कौन होती हो?!",इंदर ने उसे झकझोरा,"..& मैं हू तुम्हारे लायक?"
"तुम...तुम तो हर लड़की का सपना हो इंदर.."
"..& मेरा सपना तुम हो..",इंदर ने उसके चेहरे के बहुत करीब आ गया,"..तुम कितनी बेकार की बाते सोचती हो!..कितनी बड़ी पागल हो..",इंदर ने उसके होंठ चूम लिए,"..तुमने मेरा प्यार कबूला है..इस कारण मैं खुद को दुनिया का सबसे खुशकिस्म इंसान समझता हू & तुम हो की.."
"तुम्हारे जैसी प्यारी,खूबसूरत & इतनी नेक्दिल लड़की से मैं आजतक नही मिला,रजनी..",इंदर की आँखो मे थोड़ा पानी आ गया था & रजनी का भरा दिल भी उसकी आँखो से छलक पड़ा....वो जानती थी की इंदर उसे चाहा है मगर इस कदर..!
"ओह्ह..इंदर..",रजनी की आँखो से खुशी के आँसू बहने लगे.इंदर ने इस बार उसे बाहो मे भरा & अपने बिस्तर पे बिठा दिया.दोनो अगल-बगल बैठ के 1 दूसरे की बाहो मे खोने लगे..अब दोनो के दिल मे कोई शुबहा नही था..था तो बस प्यार.