"कुच्छ नही...यह खुशी के आँसू है मगर इंदर मेरा नौकरी छ्चोड़ना ग़लत होगा."
"मगर क्यू?"
"इंदर,हम दोनो की मिली-जुली आमदनी से हम जितने आराम से रह सकते हैं वो तुम्हारे अकेले की आमदनी से तो संभव नही है ना>"
"ये तो है..",इंदर के माथे पे भी परेशानी की लकीरे उभर आई,"..मगर तुम वाहा एस्टेट मे रहोगी & मैं यहा,मैं तो मर ही जाऊँगा!",इंदर की आवाज़ मे बेचैनी भरी हुई थी.रजनी ने झट से उसके मुँह पे हाथ रखा,"..ऐसी मनहूस बातें ना करो."
"तो बताओ ना क्या करू?",अब रजनी भी सोच मे पड़ गयी थी.उसने इंदर को सीधा लिटाया & उसके सीने पे सर रख दिया....उसे उसके सपनो को सच करने वाला शहज़ादा मिल गया था मगर ज़िंदगी की कड़वी सचाईयाँ अब दोनो के बीच रुकावट खड़ी कर रही थी.तभी उसके दिमाग़ मे बिजली कौंधी.
"1 रास्ता है इंदर..",वो उसके सीने से उठ गयी,"..हमारे एस्टेट मे मॅनेजर की जगह खाली है."
"तो वो मुझे कैसे मिलेगी?"
"और लोग भी अर्ज़ी देंगे.सहाय जी मुझे ही क्यू रखेंगे?"
"क्यूकी तुम काबिल हो & मैने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया है."
"मतलब?...तुम उन्हे हमारे बारे मे बतओगि.."
"नही!..पागल हो क्या?!अभी अपने बारे मे बताउन्गी तो उनका ध्यान कभी भी तुम्हारी काबिलियत पे नही जाएगा केवल मेरी सिफारिश पे रहेगा."
"फिर कैसे करोगी?"
"वो तुम मुझपे छ्चोड़ दो.बस ये समझो की तुम्हे नौकरी मिल गयी..",उसने वापस अपना सर उसके सीने पे रखा,"..फिर कुच्छ दीनो का इंतेज़ार & फिर हम शादी कर लेंगे."
"ओह्ह...रजनी..आइ लव यू!",इंदर ने करवट लेते हुए रजनी को पलटा के अपने नीचे कर लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा,रजनी गुदगुदी होने से हँसने लगी.इंदर का लंड उसकी चूत पे दबा हुआ था & उसे ये एहसास बहुत भला लग रहा था.
इंदर भी उसके जिस्म के एहसास & उसके बदन से आ रही खुश्बू से फिर से गरम हो गया था & उसका लंड फिर से जागने लगा था.इंदर ने रजनी का हाथ पकड़ के नीचे ले जाके अपना लंड उसे थमा दिया तो उसने शर्मा के हाथ पीछे खींच लिया मगर इंदर ने दोबारा हाथ लंड पे रखा & वही दबाए रखा जब तक की रजनी ने उसे अपनी मुट्ठी मे कस ना लिया.
रजनी की आँखे शर्म से बंद हो गयी थी,"रजनी..",इंदर के इसरार पे रजनी ने आँखे खोली तो इंदर ने उसे नीचे देखने को कहा.रजनी के होंठो पे शर्म भरी हँसी फैल गयी मगर इंदर ने मनुहार करके उसे लंड हिलाते हुए देखने पे राज़ी कर ही लिया.
रजनी के लिए ये सब बिल्कुल नया & मस्ती भरा एहसास था.इंदर के तने लंड के एहसास ने उसे भी गरम कर दिया था.थोड़ी ही देर बाद उसने खुद ही इंदर के लंड के नीचे लटक रहे उसकेआंदो को सहलाया तो इंदर समझ गया की रजनी पूरी तरह से अब उसके प्यार मे पागल हो चुकी है.उसके चेहरे पे जीत की मुस्कान फैल गयी.उसने उसे सीधा किया & उसकी टाँगे फैला के 1 बार फिर उसकी चूत मे अपना लंड घुसा उसकी चुदाई मे लग गया. दोस्तो अब तक की कहानी के बारे मे अपनी राय ज़रूर देआपका दोस्त राज शर्मा ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- क्रमशः.........