RE: Kamukta Story बदला
"अच्छा.मैने तो सोचा था कि कहोगी की तुम्हारे फोन का इंतेज़ार कर रही हू."
"अब खुद को इतना भी मत समझो!",रजनी ने शरारत से कहा.
"हा..हा..!",इंदर हंसा,"..थॅंक्स,रजनी."
"किस लिए इंदर?"
"तुम्हारे सर ने मुझे कल ही इंटरव्यू के लिए बुलाया है."
"क्या?!",रजनी खुशी से चीखी & उठ बैठी.
"आख़िर तुमने ये सब किया कैसे जान?"
"तुम आम खाओ ना पेड़ क्यू गिनते हो!",रजनी ने अपने प्रेमी से फिर शरारत की.
"बताओ ना..प्लीज़!",इंदर बच्चो की तरह मचला तो थोड़ी देर उसे और तड़पाने
के बाद रजनी ने उसे सब कुच्छ बता दिया.
"मान गये उस्ताद.जी तो करता है तुम्हे चूम लू!"
"अच्छा-2,फिर से वोही बातें!"
"अब तुम से ये बातें ना करू तो किस से करू?!....चलो बताओ क्या पहना है?"
"नही बताऊंगी.क्या करोगे?!",अभी कोई हमेशा शांत रहने वाली रजनी को ऐसे
चुहल करते देखता तो बिल्कुल यकीन नही करता.
"वो तो अगली मुलाकात मे पता चलेगा की क्या करूँगा!",इंदर की बात सुनते ही
रजनी को वो दोपहर याद आई जब इंदर ने उसके कुंवारेपन को ख़त्म कर उसे फूल
बनाया था & उसका हाथ तौलिए के नीचे से उसकी चूत पे चला गया,"..पहले तो
तुम्हारी प्यारी चूत को तब तक चाटूँगा जब तक की तुम मुझे खुद उठा कर अपने
उपर ना खींच लो & बोलो की इंदर,चोद मुझे!"
"धात..!",रजनी ने उसे प्यार से झिड़का मगर उसका हाथ अपनी चूत के दाने को
रगड़ता रहा,"..मैं ऐसी गंदी बाते कभी नही करूँगी."
"ये गंदी बाते हैं,जानेमन!करते वक़्त तो तुम्हे गंदी नही लगती.चलो सोचो
कि अभी मैं तुम्हारे पास हू & तुम्हारे नशीले बदन को सहला रहा हू,तुमने
भी मेरा लंड अपने हाथो मे थामा हुआ है & उसे हिला रही हो.मैं तुम्हारी
चूचिया चूस रहा हू & साथ ही उंगली से तुम्हारी चूत मार रहा हू.तुम भी जोश
मे पागल हो रही हो & अपनी टाँगे फैला के मुझे उपर खींच लेती हो & कहती
हो-.."
"ओह्ह...इंदर..प्लेआसीए......आहह.....मत पागल करो मुझे....ऊहह...!"
"तुम अपनी चूत से खेल रही हो ना रजनी?"
"हां,इंदर...आअनह...!"
"मैं भी अपना लंड हिला रहा हू,जानेमन.सोचो की मैने तुम्हारी चूत मे उसे
घुसा दिया है &..",इंदर चुप हो गया.
"..इंदर?..इंदर..?..ओह्ह्ह..इंदर बोलते रहो प्लीज़ी...!"
"क्या बोलू रजनी?बताओ तो ज़रा.",इंदर ने उसे छेड़ा.
"ओह्ह..इंदर..प्लीज़..क्यू सताते हो?",रजनी ने तौलिए की गाँठ खोल दी थी &
अपने बाए हाथ से फोन कान पे लगाए अपने दाए हाथ से अपनी चूत के दाने को
रगडे जा रही थी.
"जब तक तुम बतओगि नही मैं नही बोलूँगा."
"ओह्ह..इंदर...",रजनी को अभी भी झिझक हो रही थी मगर उसका जिस्म उसे पागल
कर रहा था,"..बताओ ना इंदर कि तुम..तुम कैसे..कैसे मुझे चोद रहे
हो.",उसने जल्दि से कहा.
"ये हुई ना बात!सोचो,की मैं तुम्हार उपर सवार हू & हम दोनो किस्सिंग कर
रहे हैं.मेरा लंड तुम्हारी चूत मे पूरा घुसा हुआ है & हम दोनो की झांते
आपस मे उलझ गयी हैं...",इंदर अपनी प्रेमिका की आहें अपने फोन से सुन रहा
था,"..मेरे धक्के महसूस कर रही हो,रजनी?"
"हां..इनडर हाँ..",रजनी को इंदर के साथ की गयी चुदाई याद आ रही
थी,"..ऊहह...और ज़ोर से चोदो इंदर और ज़ोर से!"
"ये लो रजनी...ये लो..मेरा लंड पूरा बाहर निकलता है & फिर मैं उसे 1 झटके
मे वापस पूरा अंदर घुसेड देता हू."
"ऊव्व....मैं तुम्हारी पीठ नोच रही हू इंदर मेरी टाँगे तुम्हारी कमर पे
हैं..मैं तुम्हारी गंद नोच रही हू इंदर...आहह...रुकना
मत...ऊओवव्वव...!",& रजनी झाड़ गयी.उसे इस नये खेल मे बड़ा मज़ा आया था
मगर जो बात असल चुदाई मे थी वो & किसी चीज़ मे कहा!उसे अपने प्रेमी पे
बहुत प्यार आया मगर साथ ही दिल मे ये तमन्ना भी उठी की वो जल्द से जल्द
अब हुमेशा के लिए उसकी हो जाए ताकि हर रात वो उसकी बाहो मे गुज़रे.
थोड़ी और बात करने के बाद इंदर ने फोन बंद कर दिया.उसके होंठो पे जीत की
मुस्कान थी.ये लड़की अब पूरी तरह से उसकी कठपुतली थी & इसी कठपुतली के
सहारे कल वो सहाय एस्टेट मे पहली बार कदम रखेगा & फिर....
उस ख़याल से 1 बार फिर उसका तन गुस्से से जलने लगा.उसना हाथ बढ़ा के मेज़
से अपना फ़्लास्क उठाया & अपने मुँह से लगाया.शराब का 1 बड़ा घूँट भरते
ही उसे गले मे जलन महसूस हुई मगर ये जलन उस गुस्से की जलन के आगे कुच्छ
भी नही थी.3-4 घूँट के बाद उसे थोड़ा सुकून पहुँचा & वो कल सुरेन सहाय से
होने वाली पहली मुलाकात के बारे मे सोचने लगा.
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क्रमशः.........
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