RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"मिस्टर.इंदर धमीजा,आप हलदन ग्लास मे पिच्छले 1 साल से मॅनेजर हैं,उस से
पहले भी आपने 1 आइरन फाउंड्री & फिर 1 और ग्लास फॅक्टरी.सभी जगह आपने
काफ़ी अच्छा काम किया है मगर आपको हमारे जैसे बिज़्नेस का कोई तजुर्बा
नही है,फिर क्या आपको यहा काम करने मे कोई तकलीफ़ नही होगी?",सुरेन जी ने
सारे सवाल कर लिए थे & अब उनका ये आख़िरी सवाल था.
"सर,ये सही है की सभी बिज़्नेसस की अपनी कुच्छ अलग ज़रूरते & ख़ासियत
होती हैं जिन्हे समझना ज़रूरी होता है मगर 2 चीज़े जो हर बिज़्नेस को
चलाने के काम आती हैं वो है मेहनत & लगन.मैं मानता हू की मेरे पास आपके
बिज़्नेस का तजुर्बा नही मगर मैं मेहनती हू & पूरी लगन से काम करता
हू,अगर आप मुझे अपने साथ काम करने का मौका देते हैं तो मैं आपको निराश
नही करूँगा.".नपे-तुले लॅफ्ज़ो मे कही गयी बात ने सहाय जी का मन खुश कर
दिया था मगर उन्होने अपने चेहरे पे अपने दिल की बात नही आने दी.
"मिस्टर.धमीजा,आपको 3 दीनो के अंदर हमारे फ़ैसले के बारे मे इत्तिला कर
दी जाएगी.इस दट फाइन विथ यू?"
"ये सर.थॅंक टू.",इंदर खड़ा हुआ & शहाय जी के दफ़्तर से बाहर निकल
गया.उसके निकलते ही सुरेन जी ने इंटरकम से दूसरे कॅबिन मे बैठे शिवा को
तलब किया.
"आपने बुलाया,सर?"
"शिवा,ये आदमी जो अभी-2 बाहर गया है मुझे मॅनेजर की पोस्ट के लिए पसंद आ
गया है मगर मैं चाहता हू कि तुम ज़रा इसके बारे मे थोड़ी छान-बीन कर
लो..ये रहा इसका बीओ-डेटा."
"ओके,सर.",शिवा ने बीओ-डाटा लिया & फ़ौरन वाहा से निकल गया.
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इंदर अपनी बाइक से आया था & एस्टेट से निकल उसने देखा की शिवा 1 जीप मे
उसका पीचछा कर रहा था.वो मन ही मन मुस्कुराया..ये लोग सोचते थे कि वो
उसके बारे मे पता लगाएँगे & उसे कुच्छ भी ना पता चलेगा!..हुंग..!वो पता
नही कितने दीनो से ये सब प्लान कर रहा था,सहाय एस्टेट के बारे मे वो
जितना जान गया था उतना तो शायद सुरेन सहाय को भी नही पता होगा!..आओ शिवा
आओ..मेरे पीछे आओ...करो मेरे बारे मे छान-बीन...तुम्हारा मालिक और
इंप्रेस होगा मुझ से & खुद मुझे अपने बुलाएगा एस्टेट के अंदर ताकि मैं
उसे नेस्तोनाबूद कर साकु!
उसके दिल मे 1 बार फिर से वोही आग भड़की & उसे शराब की तलब लगी मगर नही
अभी नही.आज उसे अपनी इच्छा-शक्ति से ही अपने उपर काबू रखना था.वो अब
दूसरी सीधी चढ़ने वाला था & यहा फिसल कर वो अपनी महीनो की मेहनत पे पानी
नही फेर सकता था.उसने आँखे बंद कर 1 बार उस इंसान का चेहरा याद किया
जिसके लिए वो ये सब कर रहा था & फिर पैरो से टॉप गियर लगा बाइक की स्पीड
बढ़ाई & फ़र्राटे से आगे बढ़ गया.
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आज 3 केसस की सुनवाई थी & उन्हे निपटाने के बाद कामिनी 9 बजे तक अगले दिन
के केसस की तैय्यारि अपने असिस्टेंट मुकुल के साथ करती रही थी.काम ख़त्म
होने के बाद इस वक़्त वो क्लब की छत पे बैठी खाने का ऑर्डर दे रही थी जब
वीरेन सहाय उसकी मेज़ के पास आ खड़ा हुआ,"हेलो."
"हेलो.",कामिनी ने ठण्डेपन से कहा.
"मैं यहा बैठ सकता हू?"
"शुवर.",कामिनी का दिल तो नही था की वो यहा बैठे मगर क्या करती तमीज़ का
तक़ाज़ा था!अभी तो उसे खुद पे हैरत भी हो रही थी की षत्रुजीत सिंग से
चुदाने के वक़्त उसे इस इंसान से चुदने का ख़याल आया भी कैसे था.
"देखिए,कामिनी जी मुझे घुमा-फिरा के बात करना तो आता नही.मुझे आपसे 2
बाते करनी हैं,पहली ये की मेरे बड़े भाई सुरेन सहाय आपसे कुच्छ दिन पहले
मिले थे.."
"जी."
"..तो आपने उनसे कहा की वो 1 बार मेरे साथ आपसे मिले."
"हां,कहा था."
"देखिए,मेरा सच मे एस्टेट & पैसो मे कोई इंटेरेस्ट नही है मगर मेरी भाभी
ने 1 बात जो आपसे कही उसमे मुझे उस बारे मे आपसे बात करनी है.",कामिनी
समझ गयी थी कि वो प्रसून के बारे मे बात कर रह था मगर उसने ऐसा कहा नही.
"कौन सी बात,मिस्टर.सहाय?"
"मेरे भतीजे प्रसून की शादी की बात.पता नही कहा से भाभी को ये फितूर सूझा
है!आप ही बताए क्या ये उस बेचारे की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ नही
होगा?",पहली बार कामिनी ने हमेशा शांत से रहने वाले वीरेन को थोडा
उत्तेजित देखा.
"देखिए,देविका जी प्रसून की मा हैं & हम उन्हे उसके लिए कोई फ़ैसला लेने
से रोक तो सकते नही हैं मगर मैने उन्हे 1 उपाय सुझाया है."
"कैसा उपाय?"
"ये तो आपको अपने भाई-भाभी से ही पुच्छना पड़ेगा.वो मेरे क्लाइंट्स हैं &
मैं उनसे की गयी कोई भी बात बाहर नही कह सकती."
"ओके.कामिनी जी,मुझे यकीन है की आपने कोई बढ़िया तरकीब ही उन्हे सुझाई
होगी.",वीरेन ने दूसरी ओर गर्दन घुमाई,"..प्रसून पे कोई आँच आए ये मैं
बर्दाश्त नही कर सकता.",कामिनी ने उसे गौर से देखा..क्या ये केवल 1 शख्स
का अपने भतीजे के प्रति लगाव से पैदा हुई चिंता थी या फिर कुच्छ और?
"अच्छा,कामिनी जी 1 बात बताइए..",वीरेन ने अपनी बाहे बाँध के मेज़ पे
टिकाई & आगे झुक गया,"..अगर खुदा ना ख़स्ते मेरे भाई नही रहते हैं तो
क्या मैं प्रसून का गार्डियन बन सकता हू?"
"आप प्रसून के गार्डियन तभी बन सकते हैं जब आपके भाई-भाभी दोनो इस दुनिया
मे ना रहें या फिर वो खुद आपको उसे उसकी ज़िम्मेदारी सौंप दें."
हुन्न..",वीरेन पीछे हो फिर से अपनी कुर्सी की पीठ से टिक के बैठ
गया,अपने हाथ जोड़े अपनी नाक पे टिकाए ना जाने वो क्या सोच रहा था.
"मिस्टर.सहाय.",कामिनी की आवाज़ से वो अपने ख़यालो से बाहर आया.
"जी..आइ'एम सॉरी..मैं ज़रा कुच्छ सोच रहा था."
"आप मुझसे 2 बाते करने आए थे.वो दूसरी बात कौन सी है?"
"हां..",वीरेन के चेहरे पे मुस्कान फैल गयी.कामिनी ने गौर किया की
मुस्कुराता वीरेन बहुत खूबसूरत लगता था & 1 बार फिर से उसके दिल मे वही
शत्रुजीत के साथ बिताई रात वाली बात आ गयी,"..आप जानती हैं कि मैं 1
पेंटर हू."
"जी.ये बात कौन नही जानता."
"तो क्या आप मुझे आपकी तस्वीर बनाने का मौका देंगी?"
"जी?!",कामिनी की काली-2 आँखे हैरत से फैल गयी.
"जी.",वीरेन के चेहरे पे अभी भी मुस्कान थी,"..मेरी आपसे गुज़ारिशा है
कामिनी जी की आप हां कर दें.ये समझिए की आपका ये एहसान होगा मेरे उपर."
"मैं...मगर....",कामिनी गहरे आश्चर्या मे थी.उसे उम्मीद नही थी की जिस
इंसान को वो बदतमीज़ & खाड़ुस समझती थी वोही उसकी तस्वीर बनाने को
कहेगा,"..मैं अभी क्या कहु मेरी कुच्छ समझ नही आ रहा."
"आप जितना वक़्त चाहे लें,कामिनी जी..",वीरेन उठ खड़ा हुआ,"..मैं तो यही
उम्मीद करता हू की आप ही कहेंगी.अच्छा,आप इजाज़त दीजिए."
"वीरेन जी..",कामिनी की आवाज़ से जाता हुआ वीरेन घुमा,"..आप मेरी ही
तस्वीर क्यू बनाना चाहते हैं?"
वीरेन के चेहरे पे फिर से वही दिलकश मुस्कान खेल उठी,"खुद को आईने मे देख
लीजिए,जवाब खुद बा खुद मिल जाएगा.",& वो वाहा से चला गया.
वेटर मेज़ पे कामिनी का खाना लगा रहा था मगर उसकी भूख तो वीरेन की बातो
से गायब हो गयी थी.किस अदा से उसने उसकीखूबसूरती की तारीफ कर दी
थी!..लेकिन वो क्या करे..क्या हां कर दे..या नही?....फिर उसे प्रसून के
बारे मे उसकी कही बाते याद आ गयी & वो और गहरी सोच मे पड़ गयी..वीरेन
क्या 1 कलाकार की हैसियत से उसकी तस्वीर बनाने की बात कर रहा था या फिर
उसका मक़सद कुच्छ और था..जैसे की अपने भाई-भाभी की वकील के करीब आना ताकि
वो उनकी बाते जान सके..लेकिन वो तो कहता है की उसे पैसो से कोई मतलब
नही...पर वो झूठ भी तो बोल सकता है..
"मॅ'म.",वेटर ने बोला तो उसकी सोच का सिलसिला टूटा,"..आइ होप एवेर्य्थिन्ग'स फाइन?"
"यस.थॅंक्स.",कामिनी ने खाना शुरू कर दिया.इस सहाय परिवार के बारे मे वो
बाद मे सोचेगी.आज के लिए दिमाग़ की इतनी कसरत काफ़ी थी.
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