शिवा अपनी माशूका के ख़यालो से तब बाहर आया जब उसका वाइर्ले अचानक खड़खड़ाने लगा.एस्टेट की पूरी सेक्यूरिटी टीम & बाकी वर्कर्स वाइर्ले के ज़रिए ही 1 दूसरे के कॉंटॅक्ट मे रहती थी.वैसे इन वल्क्य-टॉकईस का इस्तेमाल ज़्यादातर ये बताने के लिए ही होता था कि फलाना गाड़ी खराब हो गयी है या डेरी वालो ने शाम का दूध दूह लिया है मगर पस्ट्राइसिंग सिस्टम मे कुच्छ परेशानी है वग़ैरह-2.(दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)शिवा ने वाइर्ले उठाया,एस्टेट की 1 जगह की टूटी बाड़ की मरम्मत हो गयी थी,उसी का जायज़ा लेने के लिए वाहा के गार्ड्स उसे बुला रहे थे.उसने आह भरी & अपनी जीप की चाभी उठा के अपने कॅबिन से निकल गया.
देविका के लिए शिवा 1 नौकर से ज़्यादा कुच्छ नही था & उसने उसे थप्पड़ भी इसीलिए लगाए थे मगर उन चांटो का जवाब जिस अंदाज़ मे शिवा ने इसे दिया था उसने उसके दिल मे उसके लिए कुच्छ और ही जगह बना दी थी.देविका के दिल मे भी अब उसके लिए प्यार पैदा हो गया था & उसके जिस्म की बेचैनी उसके दिल की बेसब्री की परच्छाई ही थी. अपने पति के लिए अभी भी उसके दिल मे प्यार था & उसकी चिंता भी थी मगर शिवा वो शख्स था जिसके साथ वो बहुत महफूज़ महसूस करती थी & उसके पास उसे बहुत सुकून मिलता था.
जीप चलाकर जाते शिवा के दिल मे अभी भी सुरेन सहाय के एस्टेट मे ना होने का फ़ायदा ना उठाने का मलाल था.उसे अपने बॉस पे & उस वक़्त बाकी लोगो की मौजूदगी पे बड़ी खिज आई..इन्ही लोगो की वजह से वो अभी अपनी जानेमन के जिस्म की गोलैईयों मे नही खो पा रहा था.(दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)उसे अपनी बेबसी पे भी बहुत गुस्सा आ रहा था & इसी बेबसी & गुस्से ने अचानक 1 ऐसा ख़याल उसके दिमाग़ मे पैदा किया जिसके आते ही शिवा को खुद से घिन आई & ग्लानि भी महसूस हुई-उसके खिज भरे दिल से निकली वो बात थी कि सुरेन सहाय मर क्यू नही जाता!शिवा ने 1 पल को आँखे बंद की & खुद को होश मे लाया.वो 1 ईमानदार & नमकहलाल इंसान था & ऐसी बातो की उसके दिलोदिमाग मे कोई जगह नही होनी चाहिए थी.उसने अककलेराटोर पे पाँव दबाया & जीप फ़र्राटे से आगे बढ़ गयी.
"ये लीजिए मिस्टर.सहाय..",कामिनी ने मुकुल के हाथो से स्टंप पेपर्स लिए & सुरेन जी को थमाए,"..आप दोनो भाइयो से बात करने के बाद मैने ये काग़ज़ात तैय्यार किए हैं.",मुकुल ने दूसरी कॉपी वीरेन सहाय को दी.
"..पहले वो करारनामा है जिसमे लिखा है कि वीरेन जी को इस बात से कोई ऐतराज़ नही की आप एस्टेट & बिज़्नेस के फ़ैसले कैसे & क्या लेते हैं.बाकी काग़ज़ात मे उन सुरतो के बारे मे लिखा है जब आपकी या आपकी पत्नी की या फिर दोनो की या फिर वीरेन जी की या सभी की मौत हो जाने की सुरतो मे प्रसून का क्या होगा.",दोनो भाई गौर से पेपर्स पढ़ रहे थे.
"मिस्टर.सहाय,मैने ट्रस्ट का फॉर्मॅट & उसके काम करने के बारे मे भी सभी बाते इन काग़ज़ो मे लिख दी हैं.आप दोनो इनको पढ़ के अगर कोई बदलाव चाहते हैं तो मुझे बता दें.उसके बाद आप इंपे दस्तख़त कर दीजिएगा & आपका काम ख़त्म."
कोई पौन घंटे तक दोनो भाई सारे पेपर्स पढ़ते रहे & उनमे लिखी बातो पे 1 दूसरे से सलाह-मशविरा करते रहे.उसके बाद दोनो कुच्छ मामूली सी बाते जोड़ने को कहा & फिर उनपे दस्तख़त कर दिए.कामिनी ने सभी काग़ज़ात मुकुल को दिए जिसने उसे ऑफीस की तिजोरी मे बंद कर दिया.दोनो भाइयो के पास सारे काग़ज़ो की 1-1 कॉपी थी.आगे जाके अगर सुरेन जी या फिर वीरेन इनमे कोई बदलाव चाहते तो तीनो कॉपीस-सुरेन जी की वीरेन की & कामिनी की-को इकट्ठा करके ही कामिनी के हाथो ही उनमे बदलाव हो सकता था.ऐसा कामिनी ने करारनामे भी लिख दिया था जिसपे अब दोनो भाइयो के दस्तख़त थे. (दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
"थॅंक यू,कामिनी जी.आपने हमारी बहुत बड़ी मुश्किल आसान की है.",सुरेन जी जाने के लिए उठ खड़े हुए.
"मिस्टर.सहाय,यही तो मेरा काम है & मेरा काम करने के लिए आपको मुझे शुक्रिया कहने की ज़रूरत नही.आप अच्छी-ख़ासी फीस दे रहे हैं इस काम के लिए!",कामिनी की बात पे तीनो हंस पड़े,"..अच्छा,अब इजाज़त चाहूँगा.",हाथ जोड़ के सुरेन जी उसके कॅबिन से निकालने लगे की कामिनी को कुच्छ याद आया,"मिस्टर.सहाय,1 मिनिट रुकिये,प्लीज़."
उसके इशारे पे मुकुल कुच्छ और काग़ज़ उनके पास ले आया,"ये प्री-नप्षियल कांट्रॅक्ट का 1 फॉर्मॅट है.आपने उस दिन प्रसून की शादी के बारे मे बात की थी ना तो मैने सोचा की आप & मिसेज़.सहाय 1 बार इसे देख लें आपको भी थोडा अंदाज़ा हो जाएगा."