RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
शिवा भी उसके पीछे-2 बाहर आया & जब कोई 20 मिनिट बाद इंदर दफ़्तर के लोगो
से मिलके बाहर अपनी बाइक के पास आया तो उसने शिवा को वाहा खड़े
मुस्कुराते पाया,"तो अपना समान कब ला रहे हैं आप,इंदर जी?"
"बस शाम को ही आ रहा हू.विमल जी ने क्वॉर्टर की चाभी दे ही दी है.",बाइक
पे बैठ इंदर ने हेल्मेट पहना.
"चाहें तो मेरी जीप ले जाइए.बाइक को यही रहने दीजिए."
"थॅंक्स,शिवा भाई मगर मेरा कोई इतना ज़्यादा समान भी नही है.",उसने बाइक
स्टार्ट की & निकल गया.शिवा उसे जाता देख रहा था....क्या था इंदर मे जो
उसे ठीक नही लग रहा था?..उसने अपने दिमाग़ पे बहुत ज़ोर दिया..उसकी तहे
खंगाली मगर वाहा से कुच्छ भी नही मिला.एस्टेट से बाहर जाते हुए रास्ते पे
इंदर की बाइक अब 1 छ्होटा से बिंदु जितनी दिख रही थी.उसने नज़रे उपर कर
आसमान की ओर देखा,काले बदल घिर रहे थे,लगता था तूफान आने वाला है.
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"क्या हुआ,ड्राइवर?",कामिनी ने पीछे की सीट पे बैठे शीशा नीचे कर सर को
ज़रा सा बाहर निकाला.ज़ोर की बारिश के बीच उस सुनसान सड़क पे अभी ही उसकी
कार को खराब होना था.आज कोर्ट से वो सीधा किसी काम के सिलसिले मे पंचमहल
के बाहरी इलाक़े मे गयी थी.वहाँ से लौटते हुए शाम हो गयी थी.बारिस तो
दोपहर बाद ही शुरू हुई थी मगर हल्की थी.शाम ढलते-2 उसने बड़ा भयंकर रूप
ले लिया था.
"ड्राइवर ने कार का बॉनेट बंद किया & वापस अंदर आ गया,उसके कपड़े बिल्कुल
भीग चुके थे,"मेडम,कुच्छ समझ नही आ रहा.इतनी तेज़ बारिश है कि ढंग से देख
भी नही पा रहा हू.",उसने अपने रुमाल से अपना चेहरा पोच्छा,ऐसा लग रहा था
मानो नदी मे डुबकिया लगाके वो बाहर आया हो.(ये कहानी आप राज शर्मा के
ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )
बंद कार मे कामिनी को घुटन सी महसूस हुई,उसने शीशा नीचे किया..अच्छा फँसी
आज तो!अब इस मूसलाधार बारिश मे कौन आएगा यहा.तभी पीछे से आती हुई किसी
गाड़ी के हेडलाइट्स की रोशनी उसकी कार के पिच्छले शीशे पे पड़ी.ड्राइवर
फ़ौरन उतरा & अपने भीगने की परवाह किए बिना अपने हाथ हिला के उसे रोकने
का इशारा करने लगा.वो कार पास आई & उसकी कार के आगे जाके रुक गयी.ड्राइवर
उस कार के मालिक की खिड़की के पास जाके उस से बात करने लगा.थोड़ी देर बाद
उस कार का दरवाज़ा खुला & उसमे से उसका मालिक उतरा.कामिनी ने उसे देखने
की कोशिश की मगर विंड्स्क्रीन पे तेज़ी से बहते पानी मे उसे सब धुँधला
नज़र आ रहा था.
जैसे ही वो शख्स पास आया कामिनी चौंक पड़ी,"अरे वीरेन जी,आप?"
"हां,आइए मेरी कार मे चलिए.",कामिनी उतरी & भागती हुई उसकी कार तक
पहुँची.बारिश इतनी तेज़ थी की उतनी सी दूरी मे भी कामिनी बुरी तरह भीग
गयी.
"मेडम,आप इनके साथ जाइए.यहा बगल मे मेरा 1 रिश्तेदार रहता है,मैं उसके
साथ कार किसी तरह उसके घर तक ले जाता हू & बारिश रुकते ही उसे ठीक करवा
के कल घर ले आऊंगा."
"ठीक है,जगन..",कामिनी ने अपना पर्स खोला,"..ये कुच्छ पैसे रख लो.",वीरेन
ने कार आगे बढ़ा दी.
"कहा से आ रही थी आप?",कामिनी ने जवाब देते हुए पाया की उसकी सफेद सारी &
ब्लाउस गीले होके उसके जिस्म से ना केवल पूरी तरह चिपक गये हैं बल्कि और
झीने भी हो गये हैं & वीरेन को उसका ब्रा & नीचे उसका पेट सॉफ नज़र आ रहे
होंगे.उसे अपन हालत पे शर्म आ गयी.उसका दिल कर रहा था की बस जल्दी से वो
अपने घर पहुँच जाए मगर शायद आज उपरवाले ने उसे परेशान करने की ठान रखी
थी.
"ऑफ..ओह!ज़रा देखिए तो!",वीरेन ने सामने की ओर इशारा किया.सड़क पानी से
लबालब भरी थी & आगे कुच्छ गाडिया उनमे फँसी भी हुई थी,"..अब तो आपके घर
जाना आज मुमकिन नही."
"अब क्या करू?",कामिनी के माथे पे परेशान की लकीरें खींच गयी.
"आप बुरा ना माने तो 1 बात कहु.",वीरेन ने उसे देखा तो कामिनी के ब्लाउस
से झँकता उसका सफेद ब्रा & उसका क्लीवेज उसे नज़र आ गया.वीरेन की निगाहे
1 पल को भटकी मगर फ़ौरन वापस कामिनी की निगाहो से मिल गयी. (ये कहानी आप
राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )
"हां,कहिए."
"मेरा घर यही पास मे है.वाहा चलिए.जब मौसम ठीक हो जाएगा तो मैं आपको खुद
आपके घर छ्चोड़ आऊंगा."
"आपको बेकार तकलीफ़ होगी."
"इसमे तकलीफ़ की क्या बात है & इस वक़्त और को भी रास्ता भी तो
नही.",वीरेन ठीक कह रहा था.बारिश थमती दिखाई नही दे रही थी & थम भी गयी
तो जब तक सड़क का पानी नही निकल जाता तब तक वो घर नही जा सकती थी.
"ठीक है,चलिए."
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