कमरे मे उनके खर्राटे गूँज रहे थे मगर देविका अभी भी जागी हुई थी.उसे लगा की सुरेन जी काम के ज़्यादा बोझ की वजह से थके हुए थे & इसलिए आज उसका आख़िर तक साथ नही दे पाए.उसने गर्दन घुमा के उन्हे देखा वो गहरी नींद मे खर्राटे भर रहे थे (ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )लेकिन वो अभी भी प्यासी थी.उसने करवट बदल सोने की कोशिश की मगर उसका जिस्म उसे सोने नही दे रहा था.बेताब हो उसने 1 ऐसा कदम उठाने की सोची जो उसने आज तक नही उठे था.उसने फर्श पे गिरी अपनी नाइटी को हाथो मे लिया & बिस्तर से उठ गयी.साइड-टेबल की दराज से उसने अपने कमरे की चाभी उठाई & कमरे से बाहर निकल गयी.
बाहर आ उसने कमरा लॉक किया & बढ़ गयी अपने प्रेमी शिवा के कमरे की ओर.पूरे घर मे सन्नाटा पसरा था सिर्फ़ बाहर हो रही मूसलाधार बारिश का शोर था.उसने शिवा के कमरे का दरवाज़ा खोला & अंदर दाखिल हो दरवाज़े की च्षिटकॅनी लगा दी.शिवा गहरी नींद मे था.देविका ने उसके बदन पे पड़ी चादर हटाई तो देखा की वो भी उसी की तरह बिल्कुल नंगा था.
उसने अपनी नाइटी & चाभी बिस्तर के पास पड़ी 1 कुर्सी पे रखे & बिस्तर पे चढ़ घुटनो के बल बैठ अपने प्रेमी के लंड को मुँह मे भर लिया.नींद मे डूबे शिवा को लगा कि वो सपना देख रहा है की उसकी जानेमन उसके लंड को अपनी ज़ुबान से चाट रही है मगर जैसे ही नींद टूटी तो उसने पाया की ये सपना नही हक़ीक़त है.उसका दिल बेइंतहा खुशी से भर गया.उसे जगा देख देविका ने लंड को मुँह से अलग किया & मुस्कुराते हुए उसके उपर चढ़ गयी.
उसकी चूत मे आग लगी हुई थी & अभी उसे बुझाने के सिवा उसे कुछ नही सूझ रहा था.अपने घुटने दोनो तरफ जमा कर उसने लंड को चूत का रास्ता दिखाया & उच्छल-2 कर चुदने लगी.शिवा उठ बैठा & उसे अपनी बाहो मे भर उसके सीने मे अपना चेहरा दफ़न कर दिया.उसके सर को थामे देविका बड़ी ज़ोर से उछल रही थी.सुरेन जी ने जो काम शुरू किया था शिवा उसे अंजाम तक पहुँचा रहा था.उसके बाल खींच उसके सर को उसने अपनी चूचियो मे बिल्कुल भींच दिया.शिवा की ज़ुबान को वो अपनी गोलाईयो पे महसूस कर रही थी.उसके बड़े-2 हाथ उसके रेशमी जिस्म को बेचैनी से सहला रहे थे,उसकी चूत मे बन रहा तनाव अब बिल्कुल चरम पे पहुँचा & उसके बाद जैसे उसके बदन मे बिजलियो की कयि धाराएँ 1 साथ फूट पड़ी.
तेज़ आहे भरती अपनी जंघे अंदर की ओर भींचती अपने प्रेमी को अपने सीने से चिप्टा देविका झाड़ रही थी मगर शिवा के लिए तो अभी शुरुआत थी.वो वैसे ही बैठा उसकी चूचिया चूस रहा था,"शिवा.."
"ह्म्म...",शिवा उसकी बाई चूची को ऐसे चूस रहा था मानो छोड़ेगा तो उसकी जान चली जाएगी.
"ये नया मॅनेजर कैसा आदमी है?तुम्हारे बॉस तो बड़ी तारीफ कर रहे थे."
"मुझे....पता नही कैसे कहु..",शिवा ने चूची को मुँह से निकाल लिया & उसे हाथ से दबाने लगा.देविका को उसकी उलझन थोड़ी अजीब लगी.
"क्यू क्या हुआ?",उसने उसके सर को उपर कर उसके होठ चूम लिए.
"देविका,उसके बारे मे सभी कुच्छ ठीक है.ईमानदार है,सच्चा है,लालची नही है मगर फिर भी मुझे उसके बारे मे कुच्छ खटक रहा है.",अभी तक शिवा टाँगे फैलाए बैठा था.अब उसने देविका की गंद की मांसल फांको को अपने हाथो मे थामा & थोड़ा उठ कर अपने घुटने मोड़ के बैठ गया.देविका बे भी अपनी टाँगे उसकी कमर पे कस दी.
"लेकिन क्या?",देविका ने अपने नाख़ून उसकी पीठ पे हल्के से फिराए तो शिवा का बदन सिहर उठा & अपनेआप ही उसकी कमर हिलने लगी & 1 बार फिर देविका की चुदाई शुरू हो गयी.
"यही तो मैं समझ नही पा रहा हू.",देविका को भी अब थोड़ी चिंता होने लगी.मनेजर एस्टेट का सबसे अहम इंसान था अगर उसी के बारे मे कोई शुबहा तो फिर एस्टेट का क्या होगा & फिर शिवा जैसा इंसान भी पशोपेश मे दिख रहा हो तो चिंता तो लाज़मी थी (ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )मगर अगले ही पल उसकी चिंता दूर हो गयी,"..मगर तुम परेशान मत हो,मैं उसपे कड़ी नज़र रखूँगा & जब तक मेरे दिल की ये उलझन सुलझ ना जाए मैं चैन से नही बैठूँगा.",उसने उसकी गंद की फांको को अपने हाथो तले मसला & उसके होंठो को चूमते हुए उसे चोदने लगा.
देविका जानती थी की शिवा फालतू बाते नही करता.उसकी बातो से उसे बहुत सहारा मिला.उसने अपनी बाँहे उसके गले पे कसते हुए अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ाई & उसकी चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी.