काफ़ी देर तक वो उसकी छातियो को पीता रहा,फिर वो तेज़ी से जीभ चलाते हुए नीचे जाने लगा & उसके पेट से होता फ़ौरन उसकी गीली चूत पे पहुँच गया.उसकी लपलपाति जीभ ने कामिनी की चूत के अंदर ऐसी-2 हरकते की कामिनी का अब सिल पे बैठना मुहाल हो गया.
"आहह...हहाईयाीइ.....आआहह.....ऊहह..!",झाड़ते ही उसने वीरेन के बाल पकड़ उसे उपर उठा लिया & उसकी नज़रो मे देखते हुए उसके होंठो पे अपने होठ रख दिए.उसे बहुत प्यार आ रहा था अपने इस नये आशिक़ पे & अब वो बस उसके साथ इस खेल को इसके अंजाम तक ले जाना चाहती थी.उसने वीरेन के होंठ छ्चोड़े & उसकी ट्रॅक पॅंट को नीचे किया.वीरेन ने उसे अपनी टाँगो से निकाल फेंका.
सामने उसका 9 इंच का बेहद मोटा लंड सर उठाए खड़ा था....इतना मोटा!..इतना तो ठुकराल का भी नही था..कामिनी ने हैरत से उसपे अपने हाथ कसे तो वो उसके 1 हाथ की मुट्ठी मे बड़ी मुश्किल से समाया,".आहहह...",वीरेन ने खुशी से आह भरी मगर अब वो और इंतेज़ार नही कर सकता था.
उसने कामिनी को सीधा बिठाया & उसके सामने सिल पे बैठ गया.कामिनी उसका इशारा समझ गयी.वीरेन 1 टांग कमरे के अंदर & 1 बाहर लटकाए बैठा था.& उसके सामने वैसे ही कामिनी.कामिनी आगे बढ़ी & अपनी जंघे उसकी जाँघो पे चढ़ाते हुए उसके लंड पे बैठने लगी,"ओईई....माआआआआ....!",लंड की चौड़ाई उसकी चूत को बहुत फैला रही थी & उसके चेहरे पे दर्द की लकीरे खींच गयी थी.
वीरेन ने उसकी गंद के नीचे हाथ लगाया & उसे थाम नीचे से 2-3 धक्के दिए,"..ऊओवव्व..!",लंड अब पूरा घुस चुका था.उसने धक्के रोके & बस लूँ घुसाए बैठ गया.कामिनी की चूत थोड़ी ही देर मे लंड की आदि हो गयी & उसने उच्छल-2 कर चुदाई शुरू कर दी.वीरेन के हाथ उसकी गंद से उपर उसकी पीठ & फिर बालो मे फिर रहे थे & दोनो 1 दूसरे को चूम रहे थे.वीरेन कामिनी की चूत की कसावट से हैरान था..ऐसी कसी चूत उसने आज तक नही मारी थी.
"तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मैने ज़िंदगी मे नही देखी थी..आअहह...& तुम मेरे साथ..चुदाई कर रही हो..मुझे यकीन नही होता,कामिनी!",वीरेन ने सर झुका के उसकी चूचिया मसली & उन्हे चूस लिया.
"ऊहह...वीरेन...तुम्हारे जैसे मर्द से मैं...आईययईए...भी ना..ही मी..ली..आज .तक....आआअनंह...उऊन्ह.......ऊनह..!",उसने उसे अपनी बाँहो मे भींच लिया क्यू की उसके लंड की रगड़ ने उसे फिर से झाड़वा दिया था.वीरेन ने उसकी गंद की फांको के नीचे फिर से हाथ लगाया & उसे गोद मे उठा खड़ा हो गया फिर उसने अपनी बाई टांग उठाई & अपनी प्रेमिका को लिए-दिए कमरे से बाहर हो गया.वीरेन ने उसे कमरे की बाहरी दीवार से लगाया & उसकी गंद थामे धक्के लगाने लगा.
कामिनी फिर से मस्ती मे खोने लगी.वीरेन झुक के कभी उसकी गर्दन चूमता तो कभी सीने के उभार.कामिनी भी मस्ती मे पागल हो उसे उठा उसके होंठ चूम लेती.वो फिर से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रही थी की तभी वीरेन ने उसे दीवार से हटाया & लेके खुले लॉन मे आ गया.तेज़ बारिश ने उन्हे पूरा भींगा दिया.
वीरेन उसे ले नर्म,मखमली घास पे लेट गया.कामिनी को पीठ पे ठंडी घास से सिहरन हुई मगर उसके इस अंदाज़ ने उसे बहुत रोमांचित कर दिया था.लेटते ही उसने अपनी टाँगे उसकी कमर पे & बाहे उसकी पीठ पे कस दी थी & अपनी कमर नीचे से हिलने लगी थी.जवाब मे वीरेन ने भी अपने गहरे धक्के शुरू कर दिए.तेज़ बारिश के शोर मे भी लॉन मे कामिनी की आहे गूँज रही थी.वो वीरेन की पीठ को अपने नखुनो से खरोंच रही थी.उसकी चूत मे अब बहुत तनाव बन गया था & वीरेन भी अब अपने लंड पे महसूस कर रहा था की उसकी चूत और कस गयी है.
"आअहह...कामिनी..आ..ह...कितनी कसी है तुम्हारी..चूत..आअहह....अब मैं नही रुक सकता.."
"बस ...ऐसे ही छो..ते रा..हो..वी..रें...मैं भी..बा.....आआआनंह..आआईईई...ऊऊऊहह....!",बात पूरी करने से पहले ही कामिनी झाड़ चुकी थी.झाड़ते वक़्त उसकी चूत ने फिर वही सिकुड़ने-फैलने की मस्तानी हरकत की जोकि वीरेन के लिए बिल्कुल नया एहसास था.
"आआहह...आहह...आहहह....!",उसकी भी आह निकल गयी & उसका गर्मागर्म गाढ़ा वीर्या लंड से छूट कामिनी की चूत मे भरने लगा.बारिश से बेपरवाह दोनो घास पे पड़े लिपटे हुए 1 दूसरे को चूमते जा रहे थे मानो 1 साथ झड़ने के इस लम्हे को वो क़यामत तक बरकरार रखना चाहते हो.
सुरेन सहाय अपने बाथरूम से नहा कर तौलिया कमर पे बँधे बाहर आए तो सामने का नज़ारा देख के उनका दिल जोश से भर गया.उनकी खूबसूरत बीवी केवल ब्रा & पॅंटी पहने कपबोर्ड से कपड़े निकाल रही थी.उसकी गोरी पीठ उनकी तरफ थी जिसपे ब्रा के काले स्ट्रॅप्स कसे हुए थे.
देविका कपबोर्ड के उपर के शेल्फ से कुच्छ निकालने के लिए अपने पंजो पे उचकी तो उसकी चौड़ी गंद उभर गयी & उसकी गुदाज़ बाहे उपर होने से ब्रा स्ट्रॅप्स भी खींचने लगे.सुरेन जी ने पिच्छले 2 दीनो से खुद पे काबू रखा था,उन्होने सोचा था की 1 बार डॉक्टर से बात कर लें फिर अपनी बीवी को भी चोदेन्गे & शहर जा किसी मस्त कल्लगिर्ल के बदन का भी भरपूर लुत्फ़ उठाएँगे.
बाहर तेज़ बारिश हो रही थी & मौसम भी काफ़ी मस्ताना हो गया था.ऐसे मे सामने देविका इस क़ातिल अंदाज़ मे खड़ी थी,वो सब कुच्छ भूल गये & बस यही याद रहा की ये खूबसूरत बदन जोकि उनकी मिल्कियत है उसकी गहराइयो मे उतरके उन्हे बस वो अनोखी खुशी हासिल करनी थी.वो आगे बढ़े & पहले नारंगी डिबिया से निकाल 1 गोली खाई & फिर उस बेख़बर हसीना को पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ लिया,"हाअ.....",देविका चौंक पड़ी.
"क्या करते हैं..छ्चोड़िए ना!....उउम्म्म्म....!",सुरेन जी ने उसके कंधो से स्ट्रॅप्स को उतार ब्रा को फर्श पे गिरा दिया था & उनकी बाई बाँह उसके सीने के पार पड़ी उसकी दोनो छातियो को अपने नीचे दबाए थी & बाया हाथ उसकी दाई छाती को मसल रहा था.उनका दाया हाथ उसके चिकने पेट को सहलाता हुआ उसकी नाभि को कुरेद रहा था & उनके तपते लब उसकी लंबी गर्दन को अपनी तपिश से जला रहे थे.