"उउम्म्म्मम....",देविका को भी बहुत अच्छा लग रहा था & उसने अपनी गुदाज़ बाहे पीछे लेजा उनके सर को थाम अपने जिस्म पे और झुका दिया,"..दवा ली आपने?...उउफफफ्फ़..!"
"हां.",सुरेन जी ने उसे घुमा के कुच्छ पल उसके गुलाबी होंठ चूमे & फिर उसे हल्के से धकेला तो देविका पलंग पे गिर पड़ी,उसकी टाँगे नीचे लटकी हुई थी & वो बिस्तर पे लेटी अपने हाथो से अपनी छातियो को दबाते नशीली आँखो से अपने पति को देख रही थी.बीवी की मस्तानी अदा देख सुरेन जी ने फ़ौरन अपना तौलिया उतार फेंका.उनका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था मगर उन्हे अभी देविका के जिस्म के अलावा कुच्छ नही सूझ रहा था.
1 झटके मे उन्होने देविका की पलंग से लटकी टांगो को उठा उसकी पॅंटी उतरी & 1 ही झटके मे अपना पूरा लंड उसमे उतार दिया & खड़े-2 ही उसे चोदने लगे.
"उउम्म्म्म....वीरेन....आहानन्न....अब सोने दो ना....ऊओवव्व....शरीर कहिनके!",कामिनी वीरेन के स्टूडियो मे उसके पलंग पे पड़ी हुई थी & वो उसकी छातियो के गुलाबी निपल्स को बारी-2 से दाँत से काट रहा था.
"इतना तो सो ली.अब और कितना सोयॉगी?4 बज रहे हैं,भोर हो गयी है.",वीरेन ने दाँत को निपल से हटाया & उसकी दाई चूची को पूरा का पूरा मुँह मे भरने की कोशिश करने लगा,"..आआआआआअहह.....!",शुरू मे तो कामिनी की आह निकली मगर बाद मे बस मुँह खुला रह गया & आवाज़ बंद हो गयी.मस्ती मे 1 बार फिर उसकी आँखे बंद हो गयी थी & वो फिर से हवा मे उड़ने लगी थी.रात को लॉन मे चोदने के बाद वो उसे गोद मे उठा अंदर ले आया था.
अपने हाथो से उसने उसके मखमली जिस्म पे लगी मिट्टी & घास के टुकड़ो को बाथरूम मे सॉफ किया था & उसके बाद से लेके अभी तक वो उसे 2 बार और चोद चुका था.हर बार वीरेन उसे इतना मस्त कर देता था की वो उसके लंड के लिए पागल हो जाती थी मगर वो उसे फिर भी तड़पता रहता था & कितना मज़ा था उस तड़प मे..उउफ़फ्फ़!..& जब लंड घुसता तो ना जाने कितनी देर तक उसके अंदर खलबली मचाता रहता.जब तक वो मन भर के नही झाड़ जाती तब तक वो भी नही झाड़ता था.
अभी भी उसने उसे बिल्कुल पागल कर दिया था.कामिनी ने अपनी दाई तरफ करवट से लेटे उसके जिस्म से खेलते वीरेन के उपर अपनी बाई टांग चढ़ा दी & उसके लंड को पकड़ लिया....रात भर चुदने के बाद भी उसकी मोटाई ने उसे हैरान करना नही छ्चोड़ा था.उसने अपने अंगूठे & उंगली का दायरा बनाके लंड को घेरना चाहा मगर नाकामयाब रही.लंड को पकड़ उसने अपनी चूत पे रगड़ना चाहा तो वीरेन ने लंड पीछे खींच लिया.
रात भर के तजुर्बे से कामिनी समझ गयी थी की वो तडपा-2 के उसके नशे को और बढ़ाना चाहता था मगर उसे अभी बिल्कुल सब्र नही था,"..उउंम नाटक मत करो...जल्दी से डालो ना!",वो टाँगे फैलाए लेट गयी & वीरेन को खींच अपने उपर लिया & उसके लंड को पकड़ के फिर से अपनी चूत पे रख दिया.वीरेन मुस्कुराते हुए फिर से रुक गया,"..उउन्न्ह..उऊन्ह...वीरेन..मत तड़पाव ना....प्लीज़!...जल्दी से चोदो मुझे!",उसने अपनी कमर हिला के अपनी बेचैनी जताई.इस बार वीरेन ने उसकी इल्तिजा सुन ली & 1 ही झटके मे आधे लंड को अपनी नयी-नवेली प्रेमिका की चूत मे दाखिल करा दिया,"..ऊव्व...!",कामिनी को अभी भी थोड़ा दर्द हुआ मगर उस से भी ज़्यादा उसे मज़ा आया.
"तिन्न्ग्ग्ग्ग....!",दोनो के मज़े मे वीरेन के मोबाइल ने खलल डाला.वीरेन ने गर्दन घुमा के देखा तो नंबर देख उसने फ़ौरन मोबाइल उठा लिया.कामिनी को बहुत बुरा लगा मगर वो चुपचाप उसे देखती रही.वीरेन ने धक्के लगाने बंद किए & अपना सीना नीचे कर कामिनी की चूचियो को दबा अपना वजन उसके बदन पे टीका फोन कान से लगाया,"हेलो..क्या?!!!!"
कामिनी ने महसूस किया की वीरेन का लंड जो अभी तक लोहे जैसा सख्त था अब बिल्कुल ही कोमल हो सिकुड़ने लगा.वीरेन के माथे पे पसीने की बूंदे चूचुहा आई & वो बस कान से फोन लगाए सुन रहा था.उसके चेहरे का रंग बिल्कुल उड़ चुका था.कामिनी को चिंता होने लगी.उसने उसके चेहरे पे प्यार से हाथ फिराया & आँखो से इशारे मे पुचछा मगर वीरेन वैसे ही कान से फोन लगाए मानो बुत बन गया था.
कामिनी को लगा की जिसने भी फोन किया था उसने अब फोन रख दिया था मगर वीरेन वैसे ही बुत बना हुआ था,"वीरेन..वीरेन..!",कामिनी ने उसे झकझोरा मगर उसपेकॉई असर नही हुआ.कामिनी ने उसके हाथ से फोन लिया & कान से लगाया मगर फोन काट चुका था,"क्या हुआ वीरेन?!!!!कुच्छ तो बोलो!",उसने उसे दोबारा झकझोरा.