रोमा ने झुक के उसके पाँव च्छुए तो उसे उठा उसका माथा चूम वो वाहा से निकल गयी.
कार मे बैठ के देविका ने आगे के बारे मे सोचना शुरू किया.ऐसा नही था की वो जज़्बाती हो गयी थी & उसने रोमा को बहू बनाने का फ़ैसला लिया था.लड़की बहुत ही अच्छी थी & प्रसून के लिए बिल्कुल सही भी मगर वो ऐसे जज़्बाती होकर दोनो भाई बहनो को ये महसूस कराना चाहती थी की वो उन दोनो से बहुत प्रभावित है.अगर उनके दिल मे ज़रा भी खोट होता तो वो इस बात से बहुत खुश होते की देविका उनके जाल मे फँस गयी & फिर जब शिवा उनके बारे मे पता करेगा तो हो सकता है उनकी लापरवाही से उनका राज़ खुल जाए & अगर वो सचमुच सच्चे & ईमानदार हैं तब तो कोई बात ही नही!दोनो सुरतो मे वोही फाय्दे मे रहने वाली थ रहने वाली थी.वो मन ही मन मुस्कुराइ & सोचने लगी की आज रात उसे प्रसून से
कैसे बात करनी है.
"कैसी लगी?",वीरेन की आवाज़ सुन कामिनी ने सामने रखी पेंटिंग्स से नज़र
हटाई & अपने प्रेमी को देखा.सामने 3 पेंटिंग्स रखी थी,पहली मे वो
शरमाई-सकूचाई नयी दुल्हन के रूप मे थी,दूसरी मे जोश से पागल आधी नंगी
बिस्तर पे लेटी अपने प्रेमी के इंतेज़ार करती हुई मस्त लड़की के रूप मे &
तीसरी मे वो पूरी नंगी लेटी थी मगर बिस्तर पे नही बादलो मे & उसके चेहरे
पे सुकून था.
तीनो पेंटिंग्स लाजवाब थी & कामिनी को खुद को उनमे देख थोड़ा गुरूर भी हो
रहा था & उस से भी ज़्यादा खुशी की कोई है जो उसका इतना दीवाना है की
अपनी कला मे भी उसे बस वोही नज़र आती है.
वीरेन को अभी भी अपने सवाल के जवाब का इंतेज़ार था.कामिनी उसके करीब आई &
उसके कंधो पे अपने हाथ रख अपने होंठो को उसके होंठो से सटा उसे जवाब देने
लगी.दोनो 1 दूसरे को बाँहो मे भर अपने प्यार का इज़हार करने लगे.कामिनी
सीधा दफ़्तर से वाहा आई थी & इस वक़्त उसने 1 क्रीम कलर की भूरी धारियो
वाली आधे बाजुओ की शर्ट & बालू के रंग की काफ़ी कसी हुई पतलून पहन रखी
थी.
वीरेन के लब उसके शर्ट के गले से दिखती उसकी गर्दन पे घूमते हुए उसकी कसी
पॅंट मे से उभरती उसकी चौड़ी गंद को हौले-2 दबा रहे थे.कामिनी के हाथ भी
उसकी पीठ पे बेचैनी से मचल रहे थे & थोड़ी ही देर मे वो उसकी शर्ट को
उसकी पॅंट से बाहर खींच रहे थे.
कामिनी ने शर्ट को पॅंट से निकाल उसकी पीठ पे अपने हाथ फिराए तो वीरेन ने
उसकी कमर को पकड़ उसे घुमा दिया,अब कामिनी की पीठ वीरेन के सीने से लगी
थी & उसके हाथ अपने प्रेमी के गले मे थे.वीरेन उसकी शर्ट मे हाथ घुसा
उसकी कमर & पेट को सहलाते हुए उसके दाए गाल को चूम रहा था.अजीब सा नशा था
उसकी उंगलियो मे,कामिनी उन्हे अपने जिस्म पे महसूस करते ही मदहोश हो जाती
थी.अभी भी वो हवा मे उड़ रही थी.उसका दिल वीरेन की हर हरकत का भरपूर
लुत्फ़ उठा रहा था.उसकी चूत मे वही मीठी कसक उठनी शुरू हो गयी थी & दिल
मे,आज की रात के भी वीरेन के साथ बिताई बाकी रातो की तरह नशीली होने की
उम्मीद से बहुत ही उमंग भर गयी थी.
वीरेन के हाथ उसकी शर्ट के बटन खोल रहे थे & कामिनी के हाथ उसकी गर्दन से
नीचे आ पीछे जा वीरेन की पुष्ट जाँघो को सहला रहे थे.सभी बटन्स खोल वीरेन
ने अपने दाए हाथ की पहली उंगली को कामिनी के पेट पे दायरे की शक्ल मे
घुमाने लगा.उंगली का पोर बस कामिनी के चिकने,गोरे पेट को छुता हुआ घूम
रहा था.उसके होठ बड़ी नर्मी से उसके गाल & गले को चूम रहे थे & उसकी गर्म
साँसे कामिनी की स्किन को जला के उसके जिस्म को और मस्त कर रही थी.
वीरेन की उंगली का दायरा धीरे-2 छ्होटा हो रहा था & कामिनी की साँसे तेज़
हो रही थी.उसकी आँखे अधखुली थी & वो दाए तरफ गर्दन घुमा अपने प्रेमी के
होंठो को चूम रही थी.उसके हाथ वीरेन की कलाईयो को थामे थे मगर वो उसके
हाथो की हर्कतो को रोकने की ज़रा भी कोशिश नही कर रहे थे.अब वीरेन की
उंगली कामिनी की नाभि के ठीक बाहर घूम रहा था.
"आहह....!",कामिनी की बेचैनी आह की शक्ल मे उसकी ज़ुबान से बाहर आई &
जैसे ही वीरेन की उंगली उसकी नाभि की गहराई मे उतरी उसने अपनी गंद को
पीछे कर उसके तने हुए लंड को दबा अपनी बेडचनी जताई.वीरेन की उंगली उसकी
नाभि के अंदर की दीवारो पे घूम रही थी & कामिनी की चूत से पानी रिसने लगा
था.उसके चेहरे पे परेशानी के भाव से आ गये जैसे उसे बड़ी तकलीफ़ हो &
तकलीफ़ तो उसे हो रही थी-इंतेज़ार की तकलीफ़,अपने प्रेमी के लंड के
इंतेज़ार की तकलीफ़.उसका दिल कर रहा था की जल्द से जल्द वीरेन उसे अपने
मज़बूत जिस्म तले दबा उसके बदन की अगन को शांत कर दे.
वीरेन हमेशा की तरह ही उसे तड़पाने के मूड मे था.कामिनी की गहरी नाभि को
उसकी उंगली बस कुरेदे जा रही थी.कामिनी की बेताबी इतनी बढ़ी की उसने
वीरेन की कलाई पकड़ उसके हाथ को अपने पेट से अलग कर दिया.उसके ऐसा करते
ही वीरेन ने भी फ़ौरन उसके कंधो पे हाथ रख उसकी खुली कमीज़ को उसके जिस्म
से अलग कर दिया.कामिनी की सफेद ब्रा से ढँकी छातिया मस्ती मे उपर नीचे हो
रही थी.अपनी प्रेमिका की पतली कमर को बहो मे भर,उसकी नंगी पीठ को सहलाते
हुए वीरेन ने उसे खुद से चिपकाया & 1 बार फिर अपने होतो से उसके लरजते
होंठो को चूमने लगा.
कामिनी के हाथ वीरेन के जिस्म को नंगा करने को बेचैन थे.चूमते हुए उसने
वीरेन की शर्ट को उसके कंधो से नीचे किया & उसकी पॅंट का बटन खोल उसमे
हाथ घुसा उसके लंड को ढूँदने लगी.वीरेन के हाथ भी उसके ब्रा के हुक को
खोल उसे उसके कंधो से नीचे सरका रहे थे.पॅंट ढीली होते ही वीरेन ने अपनी
टाँगे उठा उसे अपने जिस्म से अलग किया & कामिनी की कमर के दोनो तरफ बगल
मेअप्ने दोनो हाथो की पहली उंगली से उपर से लेके नीचे तक सहलाने लगा.कोई
और मर्द होता तो चूचिया नंगी होते ही उनपे टूट पड़ता मगर वीरेन पे तो
जैसे उन उभारो का कुच्छ असर ही नही था.
कामिनी अपने दाए हाथ से उसके लंड को हिलाते हुए बाए से उसकी गर्दन को
अपनी ओर खींच उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा दी.वीरेन का बालो भरा सीना उसकी
चूचियो से आ लगा मगर वीरेन ने अभी भी उन्हे नही थामा बल्कि अब उसका बाया
हाथ उसकी कमर को थामे था & दाए की पहली उंगली उसके पीठ के बीचो-बीच नीचे
कमर से उसकी गर्दन तक फिर रही थी.कामिनी की बेताबी अब बहुत ज़्यादा बढ़
गयी थी.
उसने वीरेन का लंड छ्चोड़ दोनो हाथो मे उसके हाथ पकड़ अपने जिस्म को उनमे
कसा & उसके गले मे अपनी बाहे डाल दी,"वीरेन,तुम बहुत तड़पाते हो.प्यार
करो ना मुझे!",वो पागलो की तरह उसे चूमने लगी तो वीरेन भी उसकी किस का
जवाब देने लगा & अपने हाथो मे उसकी गंद की भारी फांके दबाने लगा.उसके
होंठो को छ्चोड़ वो नीचे उसकी ठुड्डी को चूमते हुए उसकी गर्दन पे आ
गया.कामिनी का दिल उमंग से भर गया की अब उसके फूलो जैसे उभारो को वीरेन
अपने होंठो के रस से सींचेगा मगर वीरेन ने उसे फिर से तड़पाते हुए बिना
उसकी चूचियो को च्छुए अपने होंठो को उसके पेट पे रखा & फिर उसकी नाभि पे
आ गया.
कामिनी को लगा की अब वो रो पड़ेगी.वीरेन उसकी नाभि को चाट रहा था & उसके
पूरे जिस्म मे अब बस मस्ती भरा दर्द दौड़ रहा था.वीरेन उसकी गंद को अपने
हाथो तले मसलता हुआ पॅंट के उपर से ही उसकी चूत पे 1 के बाद 1 किस्सस
ठोंक रहा था, "आहान्न..आहँन्न....वीरे..न..उऊन्ह....",कामिनी रुआंसी हो
गयी थी & वीरेन समझ गया की अब और तड़पाना ठीक नही.उसने फटाफट उसकी पॅंट
उतारी.अब कामिनी के जिस्म पे बस उसकी चूत से चिपकी 1 पतली सी सफेद पॅंटी
थी.वीरेन ने उसे अपनी गोद मे उठाया & स्टूडियो से बाहर निकल अपने बेडरूम
मे चला गया.
अपने बड़े से बिस्तर पे अपनी प्रेमिका को लिटा वो उसकी मखमली जाँघो को
चूमने लगा.कामिनी बिस्तर पे मचल रही थी.वीरेन उसकी पॅंटी को निकाल उसकी
गीली चूत से टपकते रस को चाट रहा था.कामिनी ने हाथ नीचे ले जा अपने बाए
तरफ बैठे वीरेन के लंड को पकड़ा & घूम के अपना मुँह उसके तरफ लाने
लगी.वीरेन उसका इशारा समझ गया & फ़ौरन अपना लंड उसके मुँह मे दे लेट
गया.अब दोनो करवट से लेटे 1 दूसरे की गोद मे मुँह घुसाए थे.कामिनी अपनी
दाई करवट पे लेटी उसका लंड चूस रही थी & वीरेन अपनी दाई करवट पे लेटा
उसकी छूट.
काफ़ी देर बाद जब वीरेन ने उसके 2 बार झड़ने के बाद उसकी चूत छ्चोड़ उसे
सीधा लिटा के उसकी चूत मे अपना लंड घुसाया तब कामिनी को थोड़ा चैन
पड़ा.वीरेन ने चुदाई शुरू कर दी & बस कुच्छ ही पॅलो बाद उसके बदन से चिपक
कामिनी 1 बार फिर झाड़ गयी.वीरेन अभी भी धक्के लगाए जा रहा था.वो उसकी
चूचिया चूस रहा था & कामिनी उसके सर को चूम रही थी.कामिनी के चेहरे पे
बहुत ही संतोष का भाव था.वीरेन अपने हाथो पे थोड़ा उठ गया & उसके धक्को
की रफ़्तार और तेज़ हो गयी & उसके साथ ही कामिनी की आहे भी.
वीरेन का लंड उसकी चूत की दीवारो को बड़ी तेज़ी से रगड़ रहा था & अब उसके
उपर 1 बार फिर खुमारी छाने लगी.उसकी चूत मे बहुत ज़्यादा तनाव बन गया &
उस से परेशान हो कामिनी ने अपने नाख़ून वीरेन की गंद मे धंसा दिए.उसकी
चूत अपनी वही मस्तानी सिकुड़ने-फैलने की हरकते कर उसके लंड को पागल कर
रही थी.वीरेन के आंडो मे भी हल्का सा मीठा दर्द हो रहा था.दोनो प्रेमियो
के नाज़ुक अंगो मे उठ रही कसक अब अपने चरम पे पहुँच गयी थी.
दोनो को कुच्छ होश नही था सिवाय इसके की दोनो को अपनी-2 मंज़िल पानी
है.कामिनी के नाख़ून वीरेन की गंद मे कुच्छ और ज़्यादा धँस गये & वो अपनी
कमर बेचिनी से हिलाते हुए बिस्तर से उठने की कोशिश करने लगी.उसकी चूत मे
बन रहा तनाव बेइंतहा मज़े की शक्ल इकतियार कर रहा था.उसके रोम-2 मे मानो
खुशी के फव्वारे फुट रहे थे.ठीक उसी वक़्त वीरेन के आंडो का दर्द भी
ख़त्म होने लगा & उसके लंड से गाढ़ा पानी छूट कामिनी की चूत मे भरने
लगा.दोनो ने अपनी-2 मंज़िल पा ली थी & अब उन्हे किसी बात की परवाह नही
थी.