गतान्क से आगे... "वीरेन..",बिस्तर पे पेट के बल पड़ी कामिनी ने अपनी पीठ पे पड़े अपने प्रेमी को पुकारा. "हूँ..",वीरेन कुच्छ ही देर पहले झाड़ा था & उसके सिकुदे लंड से अभी भी थोड़ा पानी कामिनी की चूत मे रिस रहा था. "मुझे लगा की उस खिड़की के बाहर कोई खड़ा था." "क्या?",वीरेन फ़ौरन उठा अपना अंडरवेर पहनते हुए खिड़की के पास पहुँच उसे खोल बाहर देखा,"..यहा तो कोई भी नही है.",वो वैसे ही कॉटेज के बाहर निकल गया.कामिनी ने भी अपने बदन पे चादर डाली & उसके पीछे-2 अंदर के कमरे से बाहर के कमरे मे आई.तब तक वीरेन वापस अंदर आके दरवाज़ा बंद कर रहा था. "मुझे तो कोई नज़र नही आया.तुम्हे यकीन है की तुम्हे वेहम नही हुआ था?" "हां,वीरेन मुझे यकीन है,वाहा कोई तो था." "जो भी था.वो अब चला गया.",उसने उसके कंधे पे हाथ रखा & दोनो वापस बेडरूम मे आ गये & बिस्तर पे लेट गये. "कौन होगा वीरेन?" "पता नही ऐसी बेहूदा हरकत कौन करेगा.हो सकता है कोई रात का चौकीदार हो जिसने हमारी आवाज़े सुन ली हो & छुप के हमारी चुदाई देखने लगा हो.",वीरेन ने 1 बार फिर उसे बाँहो मे भर लिया. "हूँ..",कामिनी ने पहले सोचा की उसे दवा की डिबिया के बारे मे बताडे मगर फिर उसने सोचा की क्यू ना पहले थोड़ी छनबीन करले & उसने वो बात अपने दिल मे ही रखी.जितनी देर वो सोच रही थी उतनी देर मे वीरेन ने अपना अंडरवेर निकाल दिया था & 1 बार फिर उसके जिस्म से खेलने लगा था.कामिनी ने भी उसके बदन पे अपनी बाहे लपेट दी & उसकी हर्कतो का लुत्फ़ उठाने लगी. ------------------------------ ------------------------------------------------- "आआआआहह...प्रसुउउन्न्न्न्न..!",रोमा झाड़ रही थी मगर प्रसून अभी भी उसके उपर चढ़ा धक्के लगाए जा रहा था. "ऊहह..आअहह..!",प्रसून भी बहुत ज़ोर से कराहा & रोमा ने उसका गर्म वीर्या अपनी चूत मे भरता मेशसूस किया.उसे बहुत मज़ा आया था,उसने अपने पति को बाहो मे भर लिया & उसके सर को चूमने लगी. प्रसून के लिए ये बिल्कुल अनोखा एहसास था.ऐसा मज़ा उसे कभी नही आया था.उसे अपनी ये नयी दोस्त बहुत अच्छी लगी थी & उसने सोच लिया था की अब वो रोज़ उसके साथ ये खेल खेलेगा. ------------------------------------------------------------------------------- काफ़ी रात हो गयी थी.कामिनी ने सर घूमके पास मे सोए वीरेन को देखा & फिर बिस्तर से उठ गयी.अपना सूटकेस खोल उसने अपना ट्रॅक्सयूट निकाल के फटफट पहना & पैरो मे जूते डाले.वो जानती थी की वीरेन अब सीधा सुबह होने पे उठेगा & उठते ही 1 बार फिर उसके नशीले जिस्म के साथ खेलने मे जुट जाएगा. जूते के फीते बाँध वो कॉटेज से निकली & आसपास का जायज़ा लेने लगी.खिड़की के नीचे की फूलो की क्यारी किसी जूते के तले मसली हुई थी यानी की उसे कोई वेहम नही हुआ था.उसने उस जगह के आस-पास देखा,जब दावत हो रही थी उस वक़्त थोड़ी बारिश हुई थी & उसकी वजह से मिट्टी गीली थी & उसपे किसी के जुतो के निशान थे. वीरेन तो नंगे पाँव बाहर गया था तो ये निशान आख़िर थे किसके?कामिनी उन निशानो के पीछे जाने लगी तो वो कॉटेज से कुच्छ दूरी पे बनी झाड़ियो के पास जाके ख़त्म हो गये.कामिनी उन झाड़ियो के पार हो गयी & देखा की निशान फिर शुरू हो गये हैं. उनके पीछे चलते हुए वो मॅनेजर'स कॉटेज तक पहुँच गयी..जो भी था वो यही से आया था.उसे डर तो बहुत लग रहा था मगर ये पता करना ज़रूरी था की कौन जासूसी कर रहा है.कॉटेज के पास पहुँच कामिनी हैरत मे पड़ गयी. कॉटेज के दरवाज़े पे 1 ताला लगा था.आस-पास काफ़ी धूल थी जोकि बारिश की वजह से थोडा जम गयी थी मगर उसपे वो जूतो के निशान नही थे.कामिनी ने तले को जाँचा.ताला मज़बूत था & लगता था की काफ़ी दीनो से लगा हुआ है.उसने कॉटेज की खिड़कियो से अंदर झाँका मगर अंदर की हालत देख कर लगा नही की वाहा हाल मे कोई आया था. कामिनी ने कॉटेज की अच्छे तरीके से छन्बिन करने के बाद वाहा से वापस वीरेन की कॉटेज की तरफ आते हुए सर घुमा के देखा तो उसे बुंगला & सर्वेंट क्वॉर्टर्स नज़र आए.उसने क्वॉर्टर्स को चेक करने का फ़ैसला किया.क्वॉर्टर्स 4 2 मंज़िला इमाराते थी.पहली 3 के बाहर खड़ी हो कामिनी ने अंदर की आवाज़ो पे कान लगाया.हर क्वॉर्टर से पंखे के चलने की आवाज़ आ रही थी.तीनो इमारतो की पहली मंज़िलो को भी सर उठा के देखने पे उसे ऐसा ही लगा की अंदर मौजूद लोग सो रहे हैं. कामिनी अब चौथी इमारत के पास थी.उसने निचली मंज़िल के क्वॉर्टर की खिड़की पे कान लगाया तो उसे हल्की चीख सुनाई दी जोकि शायद पीछे की ओर से आई थी.वो भाग के क्वॉर्टर के पीछे पहुँची मगर पिच्छला दरवाज़ा बंद था.पीछे के कमरे की खिड़की थोडा ऊँची थी.कामिनी ने पास पड़ी कुच्छ ईंटो को खिड़की के नीचे लगाया & उनपर खड़े हो अंदर झाँका. अंदर रजनी उसी पोज़िशन मे थी जिसमे थोड़ी देर पहले वो थी जब उसने उस आदमी को खिड़की पे देखा था-यानी की हाथो & घुटनो पे.उसे देखते ही कामिनी को चीख का कारण समझ आ गया.इंदर रजनी क पीछे घुटनो पे खड़ा उसकी गंद मे अपना लंड घुसा रहा था. कामिनी नीचे उतरी & उन ईंटो को वापस उनकी जगह पे रखा.वो इंदर को तो पहचान गयी थी मगर वो लड़की कौन थी?उसे इतना तो समझ आ गया था की उसकी खिड़की के बाहर खड़ा इंसान इंदर नही था.तो फिर था कौन? सवाल का जवाब ढूंडती कामिनी वापस वीरेन की कॉटेज मे आ गयी थी.उसने अपने कपड़े & जूते उतारे.वीरेन अभी भी बेख़बर सो रहा था.नंगी हो वो जैसे ही बिस्तर पे लेटी की उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा.कही शिवा तो नही था वो झाँकने वाला शख्स?..वो बंगल के अंदर से आया होगा & फिर देख के चला गया होगफा?मगर वो क्या देखने आया था?..कही उसी ने तो सुरेन जी की दवा के साथ छेड़ खानी तो नही की थी? कामिनी ने करवट बदली..हां..वही था..& आज रात भी वो ज़रूर वीरेन को नुकसान पहुचने की गरज से यहा आया होगा लेकिन जब उसने देख की वो अकेला नही है तो वाहा से चला गया होगा..मगर वो क्यू उसे नुकसान पहुचाना चाहता था?....आख़िर वीरेन को नुकसान पहुँचा के क्या मिलता उसे? उसने फिर करवट बदली..या फिर ऐसा तो नही की वो किसी के कहने पे ऐसा कर रहा हो?..मगर किसके कहने पे?...देविका!..तो क्या देविका ने ही अपने पति की दवा के साथ कुच्छ छेड़ खानी कर उसे मारा था & अब देवर को भी मारना चाहती थी?..लेकिन वो ऐसा क्यू करेगी?वीरेन को कोई दिलचस्पी नही थी पैसो मे & सुरेन जी के बाद सब कुच्छ तो वैसे भी उसी का होता..तो फिर क्या वजह हो सकती थी?..या कही ऐसा तो नही की शिवा ही सब कुच्छ हड़पने के चक्कर मे हो मगर दोनो भाइयो की मौत से उसे क्या हासिल होगा?..उनके बाद तो सब देविका के पास होगा. और तब कामिनी को जैसे सब समझ मे आ गया.सुरेन जी ने जो सारी वसीयते लिखी थी उन तीनो सुरतो मे ये नही लिखा था की उन दोनो भाइयो की मौत के बाद जब देविका हर चीज़ की अकेली मालकिन होगी,उस वक़्त अगर वो दूसरी शादी कर ले तो क्या होगा?