RE: Kamukta Story बदला
कामिनी
को शिवा की चाल समझ आ रही थी,वीरेन की मौत के बाद वो देविका से शादी करता
& फिर प्रसून & देविका को भी अपने रास्ते से हटा देता.उसके बाद हर चीज़
उसकी थी. कामिनी को पसीने छूट गये.क्या शिवा इतना ख़तरनाक आदमी
था?..लेकिन अगर उसने अभी कुच्छ कहा तो हो सकता है वो संभाल जाए & उसे
झूठा भी साबित कर दे उसके पास सबूत जो नही था कोई.उसे बहुत संभाल के कदम
उठाने थे.सबसे पहले तो उसे वीरेन को आगाह करना था & फिर ये पक्का करना था
की देविका शिवा के साथ मिली हुई थी या फिर शिवा उसे धोखे मे रख उसका
इस्तेमाल कर रहा था. उसने जमहाई ली,उसे नींद आ रही थी.उसने आँखे बंद कर
ली & इन सारे ख़यालो को दिमाग़ से निकाल सोने की कोशिश करने लगी.सुबह
होने मे कुच्छ घंटे ही थे & उसे पता था की सूरज की पहली किरण के साथ ही
वीरेन 1 बार फिर उसके जिस्म के साथ खेलने मे जुट जाएगा.वो उस से पहले
अपनी नींद पूरी कर लेना चाहती थी.उसने करवट ली & बेख़बर सो रहे वीरेन के
सीने से सर लगा के सोने लगी. "देविका जी,..",कामिनी सहाय परिवार के बंगल
के ड्रॉयिंग रूम मे वीरेन & देविका के साथ बैठी चाइ पी रही थी,"..प्रसून
की शादी हो गयी है,अब मुझे लगता है की आपको अपनी वसीयत तैय्यार कर लेनी
चाहिए." "जी.",देविका अपने कप से चाइ पीती रही.थोड़ी देर की खामोशी के
बाद उसने प्याली मेज़ पे रखी,"..कामिनी जी,क्या मैं कुच्छ दिन रुक के ये
वसीयत कर सकती हू?" "ये तो आपकी मर्ज़ी है.",कामिनी के दिमाग़ मे पिच्छले
रात के ख़याल घूमने लगे & वो देविका की बातो से ये भाँपने की कोशिश करने
लगी की वो & शिवा मिले हुए थे या फिर देविका का इस्तेमाल हो रहा
था,"..लेकिन मेरी राई तो यही होगी की जितना जल्दी करें उतना अच्छा होगा."
"ठीक है.मैं कुच्छ दीनो मे आपके पास आती हू." "बहुत अच्छे.",रजनी चाइ के
झूठे प्याले & बाकी खाने का समान वाहा से हटा रही थी.
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"ये देखो,कामिनी.",वीरेन कामिनी का हाथ पकड़े उसे पेड़ो के झुर्मुट से
निकल 1 खुली सी जगह मे ले आया था.आज सवेरे के नाश्ते के बाद से ही वो उसे
एस्टेट की 1 जीप मे वाहा की सैर करा रहा था. "वाउ!",कामिनी की नज़रो के
सामने 1 पानी की छ्होटी सी झील थी. "सुंदर है ना?",वीरेन उसके पास आ अपनी
बाँह उसकी कमर मे डाल उसके साथ कुद्रत के उस हसीन नज़ारे को उसके साथ
निहारने लगा. "बहुत." "पता है मैने क्या सोचा है की अगली बार जब हम यहा
आएँ तो मैं तुम्हारी पैंटिंग बनाउन्गा." "अच्छा!",कामिनी घूम के उसके
सामने उस से सॅट के खड़ी हो गयी,"..कैसी पैंटिंग बनाएँगे जनाब?जैसी आजकल
आप अपने स्टूडियो मे बनाते हैं?",बड़ी शोखी के साथ उसके सीने पे उसने
अपने हाथ रख दिए & उसके शर्ट के बटन्स से खेलने लगी. "आपने बिल्कुल ठीक
समझा,मोहतार्मा!",वीरेन ने भी उसे उसी अंदाज़ मे जवाब दिया.दोनो अपनी ही
बातों पे आप ही हंस पड़े & 1 दूसरे की बाहो मे समाते हुए चूमने लगे.दोनो
प्रेमी 1 दूसरे मे खोए हुए थे & दोनो मे से किसी का ध्यान पेड़ो के पीछे
छुपे उनकी हर्कतो पे नज़र रखे हुए इंदर पे गया ही नही.
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प्रसून 1 ही रात मे रोमा का दीवाना हो गया था.जिस बात के बारे मे उसे
उसकी मा ने बताया था,उसकी बीवी ने उसे उस खेल की हक़ीक़त से वाकिफ़ कराया
था & उसे वो हक़ीक़त बड़ी ही पूर्कशिष & नशीली लगी थी.रोमा अभी-2 नहा के
निकली थी & उसके बदन पे बस 1 तौलिया बँधा था.उस तौलिए के उपर से प्रसून
को,उसका हल्का सा क्लीवेज & मस्त,मांसल जंघे,बड़ी ललचाती हुई सी लग रही
थी. वो आगे बढ़ा & अपनी बीवी को बाहो मे भर लिया & चूमने लगा,"अरे!अरे!
क्या करते हैं?..औउ...अभी नही..प्लीज़ प्रसून...ऊव्व...!",रोमा ने हंसते
हुए उसे परे धकेला. "उम्म..क्यू नही?",प्रसून ने उसे फिर से बाहो मे भरना
चाहा.प्रसून के हाव-भाव & सोच तो 1 बच्चे जैसी थी मगर हरकते वो बडो वाली
करना चाह रहा था.रोमा को इस बात से बड़ी हँसी आ रही थी.टवल उतार कर उसने
बिस्तर पे रखे ब्रा को अपने कंधो पे चढ़ाया. "हर चीज़ का 1 वक़्त होता
है..",उसने अपनी पीठ प्रसून के आगे की,"..अब बिना शरारत किए मेरे हुक्स
लगाइए.",प्रसून ने हुक्स लगाने के बजाय पीछे से उसे बाहो मे भर उसकी
चूचिया मसल दी & उसे चूमने लगा.अपनी गंद मे चुभता पति का तगड़ा लंड तो
रोमा को भी मदहोश कर रहा था मगर अभी अगर वो प्रसून के साथ चुदाई मे लग
जाती तो उसे देर हो जाती & उसे ये बिल्कुल अच्छा नही लगता की शादी के बाद
पहली ही सुबह वो देर से अपने कमरे से बाहर आए. "ओई मा..!",वो उसकी
गिरफ़्त से किसी तरह निकली & जल्दी से खुद ही हुक्स लगा लिए,"..मैने कहा
ना प्रसून की हर चीज़ का 1 वक़्त होता है.ये सब हम रात को करेंगे.",उसने
जल्दी से अपनी पॅंटी चढ़ाई.प्रसून के चेहरे पे उदासी & गुस्सा दोनो आ गये
थे & वो बच्चो की तरह रूठ कर बिस्तर के कोने पे बैठ गया. रोमा ने फटफट
अपनी सारी पहनी & अपने रूठे हुए पति के आपस आ बैठी,"नाराज़ क्यू होते
हैं?",उसने उसका चेहरा अपनी तरफ किया,"..देखिए अभी मम्मी नीचे हमारा
नाश्ते पे इंतेज़ार कर रही होंगी ना!हूँ?" प्रसून ने हा मे सर हिलाया.
"तो उन्हे इंतेज़ार कराना बुरी बात होगी ना?" उसने फिर से हां मे सर
हिलाया. "इसलिए तो मना कर रही थी.हम रात को ये सब करेंगे.",उसने उसे खड़ा
किया,"..ठीक है ना.अब तो नाराज़ मत रहिए.",उसने उसके गाल पे चूमा,"..चलिए
नीचे मम्मी के पास चलें." "चलो.",प्रसून अपनी बीवी का हाथ थाम कमरे से
निकल गया. -------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः...........
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