RE: Kamukta Story बदला
"आपको तो बस 1 ही बात सूझती है हर वक़्त!",कामिनी ने चंद्रा साहब को
तड़पाने की गरज से परे धकेला.कामिनी अपने दिल मे उठ रहे सवालो के जवाब
ढूँडने के लिए अपने गुरु के घर आई थी.मिसेज़.चंद्रा के इसरार पे वो खाने
के लिए रुक गयी तो चंद्रा साहब ने कहा की काम की बातें खाने के बाद
करेंगे.खाना ख़त्म होते-2 मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी & दोनो मिया-बीवी
ने उसे रात को उनके यहा रुकने के लिए मना ही लिया.चंद्रा साहब की खुशी का
तो ठिकाना ही नही था. उन्हे देर रात तक काम करने की आदत थी & वो जानते थे
की अगर उस वक़्त कामिनी उनके साथ जितनी देर तक रहे उनकी बीवी को ज़रा भी
शुबहा नही होगा.मिसेज़.चंद्रा के सोने जाते ही वो कामिनी को बंगले के
दूसरे हिस्से मे बने अपने दफ़्तर मे ले गये & अंदर से दरवाजा बंद कर
दिया.कामिनी ने मिसेज़.चंद्रा की पुरानी नाइटी पहनी थी जिसका गला थोड़ा
बड़ा था & उसमे से अब उसका मस्त क्लीवेज झाँक रहा था.दरवाज़ा बंद करते ही
चंद्रा साहब ने उसे धर दबोचा था & अपने प्यासे होंठ उसके चेहरे पे घूमने
लगे थे. "तुम्हे देख के कुच्छ और सूझ सकता है भला.",कामिनी बड़े सोफे पे
बैठ 1 किताब के पन्ने पलटने लगी तो वो उसके पीछे आ बैठे & उसके कंधो पे
हाथ रख उसके बाल चूमने लगे.कामिनी ने उन्हे और तड़पाना चाहा & वाहा से भी
उठने लगी मगर इस बार चंद्रा साहब होशियार थे & उन्होने उसे अपनी बाहो मे
कस लिया. "उम्म....क्या करते हैं!छ्चोड़िए ना!",चंद्रा साहब उसकी कमर को
कस के थामे उसके होंठो को अपने होंठो से ढूंड रहे थे. "इतनी मुश्किल से
हाथ आती हो,तुम्हे कैसे छ्चोड़ दू!",उन्होने कामिनी के सर को अपने दाए
हाथ को उसके सीने के पार ले जाते हुए घुमाया & उसके होंठ चूमने
लगे.कामिनी को भी मज़ा आ रहा था.चंद्रा साहब उसकी नाइटी मे नीचे से हाथ
घुसाने लगे तो वो च्चटपटाने लगी मगर उन्होने उसे अपने चंगुल से नही
निकलने दिया & हाथ अंदर घुसा ही दिया.उनका हाथ सीधा उसके सीने पे जा
पहुँचा & उसकी चूचियो से खेलने लगा. चंद्रा साहब का जोश अब बहुत ज़्यादा
बढ़ गया था & वो उसके कपड़े उतारने की कोशिश करने लगे,"..कही आंटी ना आ
जाएँ.",कामिनी ने घबराई आवाज़ मे कहा.उसे घबराया देख उसके गुरु का जोश
दुगुना हो गया. "कोई नही आएगा यहा हम दोनो के मिलन मे खलल डालने.",वो
फुर्ती से उसकी नाइटी खिचने लगे.कामिनी समझ गयी की अब वो मानने वाले नही
हैं.थोड़ी ही देर मे वो अपने गुरु के साथ सोफे पे नंगी बैठी थी.चंद्रा
सहभ की गोद मे बैठी कामिनी उनके सीने के बॉल सहला रही थी & चंद्रा साहब
अपने जिस्म के उपर पड़ी उस हुस्न परी को पाँव से लेके सर तक चूम रहे
थे,सहला रहे थे. उनके लंड को हिलाते हुए कामिनी ने उन्हे सहाय परिवार के
बारे मे सब कुच्छ बताया.शिवा पे शक़ होना & देविका का उस से मिला होने
वाली बात भी उसने उन्हे बताई.उसकी सारी बात सुन के जो बात चंद्रा साहब ने
कही उसे सुन के कामिनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया. "ह्म्म..यानी वीरेन
सहाय भी तुम्हारे हुस्न के तीर से घायल हो चुका है!",कामिनी ने उन्हे ये
नही बताया था की उसने वीरेन की कॉटेज की खिड़की से झँकते साए को जब देखा
था उस वक़्त वो उस कॉटेज मे क्या कर रही थी मगर चंद्रा साहब पहुँचे हुए
वकील थे,उन्हे ये भाँपने मे ज़रा भी वक़्त नही लगा की उनकी शिष्या को 1
नया प्रेमी मिल गया है,"..लगता है इसलिए हमारे लिए वक़्त नही हैं
तुम्हारे पास आजकल?" कामिनी उनसे चुदती थी & उनकी शिष्या नही अब तो
प्रेमिका थी मगर फिर भी थी तो वो 1 लड़की ही & उसे उनकी बात से शर्म आ
गयी थी.उसने अपना उपरी बदन मोड़ उनके गले मे बाहे डाल उनके दाए कंधे पे
अपना सर रख उनकी गर्दन मे चेहरा च्छूपा लिया था. "ऐसे मत बोलिए..",उसने
उनके कंधे पे सर रखे-2 उनका गाल चूमा,"..1 तो काम की मसरूफ़ियत उपर से
आंटी का डर.मेरा जी नही करता क्या आपकी बाहो मे सोने को!..मगर मजबूरी
है." "मैं तो छेड़ रहा था,तुम तो संजीदा हो गयी!",उन्होने कामिनी का
चेहरा अपने सामने किया & उसे चूम लिया.कामिनी ने अपनी ज़ुबान उनके मुँह
मे घुसा दी.षत्रुजीत सिंग,करण & वीरेन तीनो को उसने इतना जता दिया था की
वो अपनी मर्ज़ी की मालकिन है & कोई ये ना समझे की वो उसपे अपना हक़ जता
सकता है..अगर वो उनके साथ सोती है तो उसका ये मतलब नही की वो उनकी बीवी
या फिर रखैल बन गयी जिसपे वो रोब गाँठ सकते हैं..ये दूसरी बात थी की तीनो
वैसे मर्द थे भी नही & उस से जितनी मोहब्बत करते थे उतनी ही उसकी इज़्ज़त
भी करते थे & उसकी ज़िंदगी मे 1 हद्द से ज़्यादा दखल देने की उन्होने कोई
कोशिश भी कभी नही की थी लेकिन चंद्रा साहब वो अकेले मर्द थे जिनकी कामिनी
सबसे ज़्यादा इज़्ज़त करती थी & अभी उसे 1 पल को डर लगा था की कही वो उस
से खफा ना हो जाएँ या फिर कही जलन के मारे कुच्छ उल्टा-सीधा ना बोल दें
मगर उन्होने ऐसा कुच्छ नही किया. इस बात से कामिनी के दिल मे उनके लिए
इज़्ज़त और भी बढ़ गयी & उसे उनपे बहुत प्यार आया.वो उन्हे चूमे जा रही
थी & वो भी उसके जिस्म के उभारो को अपने हाथो मे तोल रहे थे.अचानक
उन्होने उसे अपनी गोद से नीचे करते हुए सोफे पे लिटाया & फिर कमर मे हाथ
डाल उसे उल्टा का पेट के बल लिटा दिया.कामिनी ने भी झट से अपनी कमर थोड़ा
उपर कर दी.चंद्रा साहब ने 1 कुशन उसके पेट के नीचे लगा दिया ताकि वो आराम
से लेट सके & उसकी चूत भी & उभार के उनकी आँखो के सामने आए. वो बेचैनी से
उसकी गंद की भरी फांको को मसालते हुए गंद की दरार पे लंबाई मे जीभ चलाने
लगे.दफ़्तर मे कामिनी की आहे गूंजने लगी. "वो साया तो 1 राज़ है मगर मुझे
बहुत ख़तरनाक लग रहा है.",उनकी जीभ उसके गंद के छेद को सहला रही
थी.कामिनी की चूत कसमसाने लगी थी,उसने अपना दाया हाथ पीछे किया & चंद्रा
साहब के बाल सहलाए,"..देविका पे भी शक़ की तुम्हारी वजह काफ़ी ठोस है &
शिवा को भी शक़ के दायरे से बाहर नही रखा जा सकता." कामिनी की गंद का छेद
जीभ के एहसास से कभी बंद होता कभी खुलता.बेताबी से कामिनी ने अपने पेट के
नीचे दबे कुशन को थोड़ा नीचे सरकाया & अपनी चूत को कमर हौले-2 हिला उसपे
दबाने लगी.चंद्रा साहब समझ गये की पहले उन्हे उनकी शिष्या की चूत को शांत
करना पड़ेगा उसके बाद ही वो इतमीनान से उसकी गंद से खेल पाएँगे.उन्होने
जीभ को थोड़ा नीचे किया & उसकी चूत पे लगा दिया. "..वसीयत करने मे देरी
इस शक़ को और पुख़्ता करती है.",उन्होने अपनी जीभ को उसकी चूत मे घुसा
दिया & तब तक चलते रहे जब तक वो झाड़ नही गयी.सोफा काफ़ी बड़ा था.चंद्रा
साहब ने कामिनी की टाँगो को फैलाया & अपना लंड उसकी चूत मे घुसा
दिया.गीली चूत मे लंड सरर से घुस गया.2-3 धक्को के बाद वो उसकी पीठ पे
लेट गये.कामिनी ने अपनी गर्दन दाई ओर घुमाई & उन्हे चूमने लगी. "..लेकिन
1 बात है जो मुझे परेशान कर रही है.",चंद्रा साहब ने अपनी शिष्या के होंठ
छ्चोड़ उसकी मखमली पीठ पे किस्सस की झड़ी लगा दी.उनके धक्के कामिनी की
चूत को पागल कर रहे थे.वो बेचैनी से अपने घुटनो से मोड़ टाँगो को उपर उठा
रही थी.उसकी चूत मे वही मीठा तनाव बन गया था. "..अगर देविका चाहे अकेले
या फिर शिवा के साथ मिलके सुरेन जी को रास्ते से हटाने के लिए उनकी दवा
से कुच्छ छेड़ चाड करती है तो फिर वो उस डिबिया को फ़ौरन गायब कर
देगी.",चंदर साहब अब अपने हाथो पे अपना भार संभाले उछलते हुए धक्के लगा
रहे थे. "ऊन्ंह.....आनह....ऐसा...हाइईईईईई....ऐसे ही
करिए..बस...तो..दी...देर...आआहह.....!",कामिनी झाड़ गयी थी मगर चंद्रा
साहब का काम अभी बाकी था.थोड़ी देर बाद उन्होने लंड को बाहर खींचा,फिर
अपने थूक से कामिनी की गांद का च्छेद भरा. "..मैं कह रही थी की ऐसा भी तो
हो सकता है..",कामिनी ने अपनी गंद हवा मे उठा दी & अपना उपरी बदन आगे को
झुका के सोफे का हत्था था अपने गुरु के हमले के लिए तैय्यार हो गयी,"..की
कामिनी डिबिया हटाना भूल गयी हो." "नही..",चंद्रा साहब ने गंद के छेद को
अच्छी तरह से गीला किया & फिर धीरे-2 लंड को अंदर घुसाने लगे,"..अगर
सुरेन जी की मौत दवा से छेड़ खानी की वजह से हुई है तो वो डिबिया इस केस
मे मर्डर वेपन है & कोई भी गुनेहगर सबसे पहले जुर्म मे इस्तेमाल हुए
हथ्यार को ही ठिकाने लगाता है." "एयीयैआइयियीईयीईयी..!",लंड का 2 इंच
हिस्सा गंद से बाहर था & चंद्रा साहब ने उसकी गंद मारना शुरू कर दिया
था.थोड़ी देर पहले झड़ने के वक़्त कामिनी की चूत के सिकुड़ने-फैलने की
मस्त हरकत के दौरान बड़ी मुश्किल से उन्होने अपने लंड को काबू मे कर उसे
झड़ने से रोका था.इतनी बार कामिनी को चोदने का बाद भी वो उसके जिस्म के
मादकता के आदि नही हुए थे.उसकी गंद का छेद बहुत ज़्यादा कसा हुआ था &
बड़ी मुश्किल से उन्होने 1 बार फिर अपने को झड़ने से रोका हुआ था.
"ऊहह...तो..हाइईइ..आपका..कह..ना..है..की...कोई...और
भी...है...वाहा....सहाय ख़ान..दान..का...दुश्मन....हाई
राआंम्म्म....!",चंद्रा साहब के धक्के तेज़ हो रहे थे & उनका दाया हाथ
कामिनी की चूत भी मार रहा था. "बिल्कुल सही समझा तुमने.",चंद्रा साहब भी
अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहे थे,"..मेरा ख़याल है की सुरेन सहाय की मौत
के पीछे कोई और है & देविका & शिवा,चाहे वो सुरेन जी की मौत चाहते
हो,उन्हे केवल पैसो से मतलब है." "औउईईई..मान्न्न्न्न्न........मगर
प्रसून का क्या...ऊहह..होगा फिर...ऊऊऊहह.....!",कामिनी के होंठ "ओ" के
आकर मे गोल हो गये थे & उसके गले से आवाज़ भी नही निकल रही थी.उसके झड़ने
मे इतनी शिद्दत थी की उसे कुच्छ होश नही था की वो कहा & किसके साथ है.वो
सोफे पे निढाल हो गयी थी.उसके उपर आहे भरते हुए चंद्रा साहब अपने गाढ़े
रस से उसकी गंद को भर रहे थे मगर वो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी जहा
चारो तरफ बस फूलो की खुश्बू थी & बदन मे मदहोश करने वाला एहसास.
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