RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"वीरेन,प्लीज़..ज़रा रूको तो..",उसके कपड़े उतारते वीरेन को कामिनी ने
रोकने की कोशिश की मगर वो उसके रूप का ऐसा दीवाना हो चुका था की उसे सब्र
कहा था.कामिनी की ड्रेस का ज़िप खोल उसने उसे कंधो से नीचे कर दिया था &
अब ब्रा के बाए स्ट्रॅप को भी कंधे के नीचे सरकाते हुए उसकी बाई चूची को
अपने हाथो मे भर रहा था.
"प्लीज़,वीरेन..तुमसे 1 बहुत ज़रूरी बात करनी है.",वीरेन झुक के उसकी
चूची को चूसने लगा था.उसकी ज़ुबान महसूस करते ही कामिनी की नस-2 मे भी
मस्ती दौड़ गयी मगर वो इस सब से पहले उस से बात करना चाहती थी.बड़ी
मुश्किल से उसने उसके बाल पकड़ उसे अपने सीने से अलग किया.
"आख़िर ऐसी कौन सी बात है जो की हमारे प्यार से भी ज़्यादा ज़रूरी
है?!",वीरेन झल्ला के उस से अलग हो गया.दोनो उसके बेडरूम के बिस्तर पे
बैठे थे.
"ये तुम्हारे परिवार के बारे मे है."
"क्या?!"
"हां.",कामिनी उसके करीब आई,"मेरी बाते ध्यान से सुनो,वीरेन..",कामिनी ने
बात शुरू की कैसे उसे दवा की डिबिया की मॅन्यूफॅक्चरिंग डेट से सुरेन
सहाय की मौत के पीछे किसी साज़िश का शक़ हुआ & फिर कैसे उसे लगा की शिवा
भी कुच्छ खेल खेल रहा है नही तो देविका वसीयत मे देर क्यू कर रही थी.
प्रेमिका की बातें सुन वीरेन के चेहरे का रंग बदल गया.अब वाहा मस्ती की
जगह चिंता & परेशानी थी,"तुम्हारा कहना है की देविका ने भाय्या को मारा?"
"नही.उन्होने बिल्कुल भी वो घिनोनी हरकत नही की नही तो वो मुझे ये कभी
नही बताती की उन्होने दवा कब खरीदी थी बल्कि अगर देविका जी गुनेहगर होती
तब तो वो डिबिया कभी भी मेरे हाथ ही ना लगती!"
"तो क्या शिवा ने ये किया है?"
"हो भी सकता है & नही भी.",कामिनी की बात सुन वीरेन को थोड़ी हैरत हुई.
"देखो,मुमकिन है देविका जी से च्छुपके उसने ऐसा किया हो मगर वो तो बंगल
के अंदर रहता है बड़ी आसानी से वो दवा की डिबिया को गायब कर सकता था."
"हो सकता है उसे मौका नही मिला हो?"
"हो सकता है मगर वो ये भी जानता है की 1 वोही है घर के मेंबर्ज़ के अलावा
जो रात को भी बंगल के अंदर मौजूद रहता है.तो किसी भी गड़बड़ मे सबसे पहले
शक़ उसी पे जाएगा."
"तो फिर किसने किया ये?"
"जिसने भी किया बहुत चालक & ख़तरनाक इंसान है.मैं चाहती हू की तुम भी
सावधान रहो,वीरेन.दौलत की हवस इंसान को अँधा बना देती है & वो उसके लिए
किसी भी हद्द तक गिर सकता है.",उसने अपने प्रेमी को बाहो मे भर लिया,"मैं
नही चाहती तुम पे ज़रा भी आँच आए."
"घबराओ मत.",उसने कामिनी के होंठ चूम लिए,"..लेकिन देविका वसीयत मे देर
क्यू कर रही है?"
"यही तो मेरी समझ मे नही आ रहा.कही शिवा उनसे अपनी मर्ज़ी की वसीयत तो
नही बनवा रहा?",वीरेन ने उसकी ढीली ड्रेस को जिस्म से अलग करना चाहा तो
कामिनी बिस्तर से उठ गयी & उसे उतार दिया.अब वो केवल 1 गुलाबी ब्रा जिसका
1 कप नीचे हो उसकी बाई चूची नुमाया कर रहा था & मॅचिंग पॅंटी मे अपने
प्रेमी की गोद मे बैठी थी जिसने उसके खड़े होते ही खुद के कपड़े भी निकाल
दिए थे & अब पूरा नंगा था.
"देखो वीरेन,शिवा चाहे तो देविका जी को कठपुतली बनाके आसानी से एस्टेट पे
राज कर सकता है."
"हां,ये तो है & देविका भी....",वीरेन ने बात बीच मे ही रोक दी & उसके
ब्रा को हटाने लगा,"..कुच्छ भी हो सकता है.तुम्हे क्या लगता है मुझे
देविका से बात करनी चाहिए क्या?"
"नही.",कामिनी ने उसका लंड थाम लिया था,"..हमे कुच्छ पक्का थोड़े ही ना
पता है.हो सकता है वो भड़क जाएँ & फिर शिवा भी होशियार हो जाए.",उसके
कोमल हाथो मे लंड अपना दानवी आकार ले रहा था.
"ये तो है..",वीरेन ने बया हाथ उसकी कमर मे डाला हुआ था & दाए से उसकी
चूचिया मसल रहा था.उसकी बाई चूची को दबा के उसने उसके गुलाबी निपल को
अपने मुँह मे भर लिया & उसपे जीभ फिराने लगा.कामिनी उसकी गोद मे
च्चटपटाने लगी & मस्त हो लंड को हिलाने लगी.
"देखो,वीरेन.मुझे लगता है की अगर शिवा दौलत हथियाना चाहता है
तो....आहह....",वीरेन उसकी चूचिया चूस्ता हुआ दाए हाथ की 1 उंगली को उसकी
चूत मे घुसा रहा था,"..उऊन्ह..वो अभी किसी को नुकसान नही पहुँचाएगा खास
कर के तब तक जब तक वसीयत नही बन जाती क्यूकी..ओईइ माआ.....क्या करते
हो!!!!!..हाइईईईईईईईईईई.......",वीरेन इतनी तेज़ी से अपनी उंगली से उसकी
चूत मार रहा था की कामिनी अपनी बात भूल बस मस्ती के समंदर मे गोते खाने
लगी.उसकी चूत से रस की धार बहे चली जा रही थी मगर वीरेन था की रुकने का
नाम ही नही ले रहा था.उसके होंठ बदस्तूर उसकी चूचियो को चूसे जा रहे
थे.अपने बदन पे ये दोहरी मार कामिनी ज़्यादा देर तक नही झेल पाई & झाड़
गयी.
झाड़ते ही वीरेन ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया & उसकी टाँगो को 1 साथ सटा
के हवा मे उठा दिया फिर उसके बाए तरफ घुटनो पे बैठ उसकी टाँगो को हवा मे
उठाए वो उसकी चूत से रिस्ता रस पीने लगा.कामिनी अब पूरी तरह से मदहोश जो
चुकी थी & उसी हाल मे उसने बात आगे बढ़ाई,"..ऊहह....अगर देविका जी की मौत
बिना वसीयत लिखे हो जाती है तो सब कुच्छ तुम्हारा हिस्सा तुम्हे देने के
बाद अपनेआप प्रसून की देखभाल वाले ट्रस्ट को चला जाएगा.....आनह..!"
"तो शिवा चाहेगा की देविका कुच्छ ऐसी वसीयत करे की अगर देविका की मौत भी
हो जाती है तो भी उसे नुकसान ना हो?",वीरेन घुमा & उसकी टाँगो को अपने
कंधो पे चढ़ा लिया.कामिनी को हैरत हुई,वो कभी भी इतनी जल्दी तो चुदाई नही
शुरू करता था!जब तक की वो उसके लंड के लिए बिल्कुल पागल नही हो जाती थी
वो उसे उसकी चूत मे नही घुसाता था फिर आज ये क्या था,"..आआआहह..!",आगे
उसे सोचने का मौका नही मिला क्यूकी वीरेन ने उसकी टाँगे कंधे पे चढ़ाए
उसकी चुदाई शुरू कर दी थी & बहुत तेज़ धक्के लगा रहा था.
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