RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"क्या?!सच मे!",कामिनी की बड़ी-2 आँखे हैरत मे और बड़ी हो गयी.
"हां.",कामिनी वीरेन के साथ उसके बंगल के लॉन के झूले मे बैठी थी.आज
थोड़ी गर्मी थी तो उसने घुटनो तक की ढीली-ढली शॉर्ट्स & टी-शर्ट पहनी
थी.वीरेन की बाई बाँह के घेरे मे बैठी वो उसके चेहरे को देख रही थी.
"तुम्हे कैसे पता चला?",वीरेन ने उसे अपने करीब किया & उसकी ठुड्डी चूम
ली,".उन्न..बताओ ना!"
"रोमा का फोन आया था.",वो उसकी कमर शर्ट के उपर से ही सहला रहा था.कामिनी
जानती थी की थोड़ी ही देर मे हाथ उसकी शर्ट एक अंदर होगा.
"छ्चोड़ो ना."उसने वीरेन का दाया हाथ कमर से हटाया तो उसने उस हाथ को
उसकी नंगी टाँगो से लगा दिया.कामिनी ने हार मान ली & इस बार हाथ को नही
हटाया,"क्या बोला रोमा ने?"
वीरेन कामिनी को शिवा की धोखधड़ी के बारे मे बताने लगा.बोलते हुए उसका
दाया हाथ कामिनी की शॉर्ट्स के अंदर घुस उसकी मखमली जाँघो पे फिसल रहा
था.कामिनी पे खुमारी छाने लगी थी पर उसका ध्यान वीरेन की बातो पे
था..आख़िर ये कमाल हुआ कैसे?
"तो इंदर को पता लगा सब कुच्छ..",ढीले शॉर्ट्स मे वीरेन का दाया हाथ अब
उसकी दाई जाँघ से उसकी कसी गंद की दाई फाँक पे चला गया था & पॅंटी के
अंदर घुस रहा था,"..ऊव्वव..!",वीरेन गंद की मांसलता देख खुद को चूटी
काटने से रोक नही पाया.कामिनी ने उसका हाथ खींचना चाहा मगर उसने गंद को
और मज़बूती से दबोच लिया & पॅंटी के अंदर उसकी गंद की दरार पे उंगली
फिराने लगा.कामिनी अब और मस्त हो गयी & प्रेमी की शरारत की जवाब मे उसने
भी उसकी टी-शर्ट उपर की & उसके दाए निपल को दन्तो से काट लिया.
"मैं एस्टेट गया था फिर..",वीरेन की उंगली कामिनी के गंद के छेद मे घुसी
तो कामिनी ने चिहुन्क के गंद का छेद कस लिया.वीरेन छेद मे क़ैद उंगली को
अंदर-बाहर करने लगा.अब कामिनी झूले से उठ वीरेन की गोद मे बैठी मचल रही
थी.वीरेन टी-शर्ट के उपर से ही उसकी मस्त चूचियो को चूम रहा था.
"रोमा ने मुझे सारी बात बताई & ये कहा था की देविका बहुत परेशान है.इसलिए
मैं एस्टेट गया & देविका से बात की.",वीरेन का बाया हाथ कामिनी की शर्ट
के अंदर घुस उसकी मोटी चूचियो को मसल रहा था.कामिनी भी अब उस से चिपकी
उसे पागलो की तरह चूम रही थी.उसकी चूत मे कसक उठने लगी थी & उसे अब दोनो
के जिस्मो के बीच पड़े कपड़े बहुत बुरे लग रहे थे.
वीरेन जैसे उसके दिल की बात समझ गया,वो कामिनी की शर्ट मे हाथ घुसा उसकी
दाई चूची को दबाते हुए शर्ट के उपर से ही उसकी बाई चूची को चूम रहा
था.उसने अपना सर उसके सीने से उठाया & उसकी शर्ट को उसके सर के उपर से
खींचते हुए निकाल दिया.कामिनी ने भी उसकी शर्ट निकाल दी & दोनो ने 1
दूसरे को बाँहो मे कस लिया.
"तुम्हे क्या लगा..आहह....दाँत नही....ऊओवव्व....बदतमीज़...ये
लो..!",वीरेन ने कामिनी के बाए निपल को दाँत से काट लिया.जब उसने मना
करने के बावजूद उसने फिर से वही हरकत उसकी दाई छाती पे दोहराई तो कामिनी
ने भी सर झुकते हुए उसके सीने पे काट लिया.
"पहले बताओ ना..आनह..",अब वो अपनी टाँगे वीरेन की कमर पे लपेटे उसकी गोद
मे बैठी थी & वीरेन उसकी नंगी पीठ से सरकते हुए दोनो हाथो को 1 बार फिर
शॉर्ट्स मे घुसा रहा था मगर इस बार हाथ उपर से घुस रहे थे.हाथो ने जैसे
ही कामिनी की चौड़ी गंद को च्छुआ वो उसे मसल्ने & दबाने मे जुट गये.
"तुम नही मनोगे...उऊन्ह..तुम्हे क्या लगता है देविका & शिवा के बीच कुच्छ
था की नही?..ऊहह...!",कामिनी ने अपने महबूब को अपनी बाँहो मे और कस लिया
क्यूकी उसने अपने दाए हाथ की उंगली उसकी गंद से फिराते हुए नीचे से उसकी
पॅंटी मे क़ैद चूत मे घुसा दी थी.
"नही,ऐसा लगता तो नही है.",वीरेन उसके सीने के उभारो को चूमते हुए उसकी
चूत को उंगली से कुरेद रहा था.कामिनी अब पूरी तरह से जोश मे पागल उसकी
गोद मे कूद रही थी.वीरेन की उंगली उसकी चूत से रस की धार निकलवा रही थी &
वो अपने झड़ने के बहुत करीब थी,"..लेकिन अगर कुच्छ था भी तो इस बात के
बाद सब ख़त्म हो गया होगा.अब फ़िक्र की कोई बात नही है.",वीरेन की उंगली
चूत मे कुच्छ ज़्यादा ही अंदर घुसा गयी & चूत बर्दाश्त नही कर पाई & उसमे
से रस की तेज़ धार छूट पड़ी.कामिनी झाड़ चुकी थी.
निढाल कामिनी को वीरेन ने झूले पे लिटाया & उसकी शॉर्ट्स & पॅंटी को
निकाल दिया.बदन पे बस केवल ब्रा था जिसके कप्स उसकी मोटी चूचियो के नीचे
दबे पड़े थे.वीरेन ने अपनी शॉर्ट्स खोली & अपने लंड को बाहर
निकाला.कामिनी की टाँगे फैला के अपनी दाई टांग झूले से नीचे लटकाई & बाई
को आगे कामिनी दाई टांग के बगल मे फैला उस टांग के तलवे को उसके दाई छाती
की बगल मे लगा दिया.
"ऐसा सोचने की ग़लती नही करना वीरेन.अभी तक शिवा आँखो के सामने था अब
नज़रो से ओझल है.पहले हम उसपे नज़र रख सकते थे अब नही.& फिर इतना तो
पक्का है की दवा से छेड़-छाड मे उसका हाथ नही था...ऊहह..!",वीरेन ने अपना
लंड उसकी चूत मे घुसा दिया था.झूले पे वो तेज़-2 धक्के लगा चुदाई तो कर
नही सकता था सो उसने इस तरह बैठके अपनी महबूबा की चूत की सैर करने की
सोची.
"आनह.....उउम्म्म्मम.....पूरा अंदर घुसाओ ना...हन्णन्न्..",वीरेन ने अभी
आधा ही लंड अंदर किया था तो कामिनी ने हाथ से पकड़ कमर हिला पूरे लंड को
अपने अंदर किया.जब वीरेन का लंबा,मोटा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत मे समा
जाता तो वो भरा-2 एहसास उसे बहुत गुदगुदाता था & उसे बहुत मज़ा आता
था.वीरेन का लंड उसकी चूत के 1-1 हिस्से को च्छू रहा था & उसके बदन के
रोम-2 मे बस जोश भर गया था.
"होशियार रहना,वीरेन.ख़तरा अभी टला नही है....आआननह..!",शाम गहरा रही
थी.पन्छि अपने घोंस्लो को लौटने लगे थे,आसमान पे डूबते सूरज ने अपना
सिंदूरी रंग बिखेर दिया था.उस सुहाने आलम मे अपने महबूब की क़ातिलाना
चुदाई ने कामिनी को बिल्कुल मदहोश कर दिया.उसने अपनी बात कह ली थी & अब
वो बस उसके इश्क़ मे डूब जाना चाहती थी.उसने अपनी दोनो टांगो को मोड़
बैठे हुए वीरेन की कमर को जाकड़ लिया & उसकी ताल से ताल मिला कमर हिलाने
लगी.लॉन मे अब एस्टेट से जुड़ी बाते नही बल्कि दोनो के जिस्मो की
जद्दोजहद से पैदा होती झूले के हिलने की आवाज़ & दोनो के 1 दूसरे के
खूबसूरत जिस्मो से आहट होने से पैदा हुई मस्तानी आहो की आवाज़े थी.
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"नमस्ते आंटी!नमस्ते सर!..",अपने बंगल के पोर्टिको मे खड़ी कामिनी ने
चंद्रा साहब & उनकी बीवी का इस्तेक़्बल किया.उसने दोनो को अपने घर रात के
खाने की दावत दी थी.कामिनी ने घुटनो तक की काली स्कर्ट & लाल ब्लाउस पहना
था.चंद्रा साहब ने उतरते ही अपनी शिष्या के हुस्न को आँख भर के
निहारा.कामिनी से उनकी ये हरकत च्छूपी ना रही & उसने उनकी तरफ 1 शोख
मुस्कान फेंकी.उसे ये तो पता था की उसके गुरु उसके साथ कोई गुस्ताख हरकत
करने का मौका छ्चोड़ेंगे नही मगर वो हरकत कितनी गुस्ताख थी बस यही देखना
था.
ड्रॉयिंग हॉल मे बैठ तीनो बाते करने लगे,नौकर शरबत के ग्लास रख गया
था.तीनो ने अपने-2 ग्लास उठा लिए.
"अरे कामिनी,ये तुम्हारी तस्वीर है क्या?",1 दीवार पे कामिनी की वीरेन के
हाथो बनाई गयी सबसे पहली पैंटिंग लगी थी जिसमे उसने लाल सारी पहनी
थी,वीरेन ने ये पैंटिंग उसे तोहफे मे दी थी.मिसेज़.चंद्रा का इशारा उसी
की ओर था.
"हां..",कामिनी ने पैंटिंग कुच्छ ऐसे लगाई थी की हर किसीकि नज़र उसपे ना
पड़े मगर मिसेज़.चंद्रा ने उसे देख ही लिया था & अब दोनो मिया-बीवी
पैंटिंग के सामने खड़े उसे देख रहे थे.
"वीरेन सहाय की बनाई पैंटिंग है भाई!",चंद्रा साहब ने अपनी पत्नी को
तस्वीर के कोने मे वीरेन के दस्तख़त दिखाए.
"वाह..",मिसेज़.चंद्रा कामिनी से पैंटिंग के बारे मे पुच्छने लगी.
"मुझे ये पैंटिंग कुच्छ खास नही लगी.",चंद्रा साहब की बात सुन दोनो चौंक गयी.
"क्यू?"
"ये देखो..वीरेन ने नाक ठीक नही बनाई है.",चंद्रा साहब ने दाए हाथ की
उंगली कामिनी की नाक पे फिराई,"..ये देखो उसने थोड़ी सी चपटी बनाई
है..यहा..",उनकी उंगली नाक की नोक पे थी.कामिनी का बदन अपने बुड्ढे आशिक़
की छुने से सिहर उठा था.वो समझ गयी थी की उन्होने बड़ी चालाकी से अपनी
बीवी की नज़रो के सामने ही उसके जिस्म को छुने का रास्ता निकाल लिया है.
"हां..सही कह रहे हो."
"फिर ये देखो..गर्दन कुच्छ ज़्यादा लंबी बना दी है..",उनकी उंगली अब उसकी
गर्दन की लंबाई पे चल रही थी.कामिनी के बदन के रोए खड़े हो गये थे.
"बाहें भी थोड़ी मोटी कर दी हैं..",आधे बाज़ू के ब्लाउस से निकलती उसकी
गोरी,गुदाज़ बाहो पे उनकी उंगलिया फिरी तो कामिनी ने अपने पैर को बेचैनी
से हिलाया.उसकी चूत इस छेड़ छाड से रिसने लगी थी.
"और कमर तो देखो..",मिसेज़.चंद्रा ने खुद ही पति को मौका दे
दिया,"..कितनी पतली कमर है अपनी कामिनी की & इसने इसे मोटा कर दिया
है.",मिसेज़.चंद्रा ने उसकी कमर पे हाथ फिराया & जैसे ही पैंटिंग की ओर
वापस देखा मिस्टर.चंद्रा ने अपनी बाई बाँह उसकी कमर मे डाल उसके मांसल
हिस्से को दबा दिया & फिर फुर्ती से हाथ वापस खींच लिए.
कामिनी को लगा की उसकी टाँगो मे जान नही है & अगर अब वो थोड़ी देर & यहा
खड़ी रही तो ज़रूर मस्ती मे चूर हो गिर जाएगी,"..अब उसे मैं ऐसी ही लगी
तो क्या किया जा सकता है!आपने मेरा घर नही देखा है ना आंटी!आइए आपको
दिखाती हू.",उसने बात बदली & दोनो को वाहा से हटाया.अपने आशिक़ की ओर
उसने गुस्से से देखा मगर वो बस मुस्कुरा रहे थे.उनकी मुस्कान देख कामिनी
को भी हँसी आ गयी जिसे उसने बड़ी मुश्किल से मिसेज़.चंद्रा से
च्छुपाया.आख़िर उनकी मौजूदगी मे चंद्रा साहब के साथ मस्ताना खेल खेलने मे
उसे भी तो मज़ा आता ही था.
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