RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
देविका ने शिवा की धोखाधड़ी के बाद अपने गम को भूलने के लिए खुद को काम
मे डूबा दिया था.वो 9 बजे दफ़्तर पहुँच जाती & देर शाम तक वही बैठी
रहती.उसने इंदर को नये सेक्यूरिटी मॅनेजर के आने तक उस काम को देखने की
ज़िम्मेदारी दे दी थी & इस वजह से दफ़्तर के सभी लोगो के जाने के बाद भी
बस वही दोनो वाहा बैठे काम करते नज़र आते थे.देविका को इंदर की ईमानदारी
& नएक्दिली के नाटक ने पूरी तरह से अपने झाँसे मे ले लिया था.इंदर भी
हमेशा ये दिखाता की वो बस अपने काम से मतलब रखता है.उसके प्लान का आगला
हिस्सा था देविका के करीब आना मगर इस तरह की देविका को ये ना लगे की इंदर
उसके करीब आना चाहता है बल्कि वो खुद ही इंदर की तरफ खींच गयी है.इंदर के
शातिर दिमाग़ ने सारी तरकीबेन सोच ली थी & उनपे अमल कर रहा था.
देविका को काम करते वक़्त कॉफी पीने की आदत थी & इधर कुच्छ दीनो से वो
कुच्छ ज़्यादा ही कॉफी पीने लगी थी.उस शाम भी 7 बजे उसका नौकर बंगल से
कॉफी का फ़्लास्क ले आया & उसके डेस्क पे रख दी.देविका ने कंप्यूटर पे
नज़र गड़ाए हुए फ़्लास्क खोल सीधा उसे अपने मुँह से लगाया & 1 घूँट भरा &
पीते ही बुरा सा मुँह बनाया,"ये क्या ले आए हो?!",गुस्से & हैरानी से
उसने पुचछा.नौकर घूम के कुच्छ जवाब देता की उसके पहले ही इंदर वाहा आ
पहुँचा & उसे बाहर जाने का इशारा किया.
"इसने मेर कहने से ऐसा किया है..",इंदर ने 2 फाइल्स उसके सामने रखी & 1
कुर्सी पे बैठ गया,"..आप दिन भर बस कॉफी पीटी रहती हैं & ये आपकी सेहत के
लिए नुक़सानदायक हो सकता है इसलिए मैने नौकर को आपको अभी कॉफी की जगह
फ्रूट जूस देने को कहा.इस बात के लिए मैं आपसे माफी माँगता हू,मॅ'म मगर
प्लीज़ आप अपनी सेहत पे ध्यान दीजिए क्यूकी ये एस्टेट की बेहतरी के लिए
बहुत ज़रूरी है.",देविका ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया & उन फाइल्स
पे दस्तख़त कर उन्हे इंदर की ओर बढ़ा दिया.
"आपने फाइल्स पढ़ी नही मॅ'म?"
"तुमने पढ़ ली ना इंदर."
"मॅ'म,आप मुझपे इतना भरोसा करती हैं,ये मेरे लिए खुशी & फख्रा की बात है
मगर प्लीज़ मॅ'म आप बिना पढ़े कही भी दस्तख़त ना किया करें चाहे वो
काग़ज़ कोई बी लेके आया हो.आप प्लीज़ 1 बार इन फाइल्स को पढ़
लें.",देविका ने इंदर को देखा & फाइल्स देखने लगी.इंदर तब तक अपने साथ
लाई 1 तीसरी फाइल पलटने लगा.फाइल पढ़ती देविका ने फाइल के उपर से इंदर को
देखा....ये इंसान बहुत ही ईमानदार & उतना ही मेहनती था...शिवा भी तो ऐसा
ही था मगर उसने कभी भी उसे काम के मामले मे ऐसे सलाह नही दी थी.अपने
डिपार्टमेंट के बारे मे वो उसे बस बताता था की क्या करने वाला था वो,कभी
उस से पुछ्ता नही था जबकि ये इंदर हर बात,हर फ़ैसला बिना उसकी इजाज़त के
नही लेता था..ऐसा नही था की ये ज़रूरी था मगर इंदर का मानना था की ये भी
1 नौकर फ़र्ज़ था की वो अपने मालिक को हर बात चाहे वो कितनी भी मुख़्तसार
क्यू ना हो,के बारे मे इत्तिला दे....बस भगवान उसे ऐसा ही बनाए रखें..जूस
भिजवा के उसने अपनी फ़िक्र जताई थी मगर जहा शिवा उसके इश्क़ या अब जब उसे
सच्चाई पता चली थी उसके जिस्म की हवस मे उसके साथ ये हरकते करता था, इंदर
केवल भलमांसाहत के चलते ऐसा कर रहा था.कोई मतलब नही था इसमे उसका..
"फाइल पढ़ ली मॅ'म?",इंदर ने देविका को खुद को देखता पाया.
"ह-हन..ये लो.",देविका को लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो.इंदर ने
फाइल्स ऐसे ली जैसे उसे कुच्छ एहसास ही ना हुआ हो.वो कॅबिन से बाहर निकला
& उसके होंठो पे शैतानी मुस्कान खेलने लगी.उसका प्लान बिल्कुल ठीक काम कर
रहा था.देविका पे उसकी अच्छाई का असर हो रहा था बस सब कुच्छ ऐसे ही चलता
रहे.
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"देविका जी,आपने बहुत अच्छा किया.",कामिनी ने देविका के हाथ से 1 काग़ज़
लिया.दोनो औरते कामिनी के दफ़्तर मे बैठी थी,"..देखिए,ज़्यादा कुच्छ तो
है नही.ये काम बस आधे घंटे मे हो जाएगा."
"रश्मि..",उसने इंटरकम से अपनी सेक्रेटरी को बुलाया,"..ये लो & मुकुल के
साथ मिलके जल्दी से इस वसीयत को टाइप करके यहा लाओ.",वो रश्मि के जाते ही
देविका से फिर मुखातिब हुई,"बुरा ना माने तो 1 बात पुच्छू देविका जी?"
"ज़रूर कामिनी जी."
"कुच्छ दिन पहले एस्टेट से आपका 1 एंप्लायी आया था अख़बार मे नोटीस
छप्वाने के सिलसिले मे.",देविका का चेहरा संजीदा हो गया.शिवा के जाने के
बाद उसने अख़बार मे कामिनी के ज़रिए 1 नोटीस छप्वाया था की अब उसका
एस्टेट से कोई लेना-देना नही था & अगर कोई उस से किसी भी तरह का कारोबारी
ताल्लुक रखता है उसमे एस्टेट किसी भी तरह से ज़िम्मेदार नही होगी,कामिनी
उसी बारे मे बात कर रही थी.
"देखिए,देविका जी मैने आपको पहले बाते नही मगर जब ये बात हुई तो मुझे लगा
की आपको & वीरेन को आगाह कर देना ज़रूरी है."
"क्या बात है,कामिनी जी?",देविका के माथे पे बाल पड़ गये.
"आपको वो दवा याद है देविका जी जिसकी डिबिया मैने आपके बेडरूम मे देखी
थी.",देविका को याद करने की कोशिश करते देख कामिनी ने उसकी मदद की,"..वो
नारंगी वाली डिबिया."
"हां-2."देविका को याद आया.ये तो वही दवा थी जो उसके पति उसे चोदने से
पहले लेटे थे.कामिनी ने उसे बताया की अगर सुरेन जी लगभग रोज़ दवा ले रहे
थे तो दवा की डिबिया नयी कैसे हो गयी थी?
"आपका कहना है की.."
"जी साज़िश की बू तो है मगर किसकी ये समझ नही आता."
"आपको शिवा पे शक़ है."
"शक़ के दायरे मे तो सभी हैं ,देविका जी..",कामिनी देविका के चेहरे के
भाव को गौर से देख रही थी,"..सुरेन जी को छ्चोड़ सभी."
"आपका मतलब है मैं भी?"
"आप थी देविका जी मगर शिवा के जाने के बाद & ये वसीयत जो बाहर मेरी
सेक्रेटरी & असिस्टेंट आपके लिए तैय्यार कर रहे हैं जिसमे आपने वही किया
है जो आपके मरहूम पति की ख्वाहिश थी,ने आपको उस दायरे से बाहर निकाल दिया
है.",कामिनी ने देखा की देविका का चेहरा गुस्से से तन्तनाया हुआ है.वो
अपनी कुर्सी से उठी & डेस्क के दूसरी ओर आ देविका के बगल मे दूसरी कुर्सी
पे बैठ गयी,"मैं जानती हू आपको कितना गुस्सा आ रहा है.",उसने देविका का
हाथ थाम लिया,"..मुझे आपके पति लाए थे एस्टेट का वकील बनाके,देविका जी.आप
मुझे फीस देती हैं तो मेरा भी फ़र्ज़ है ना कि मैं अपना काम पूरी
ईमानदारी से करू."
"मेरी बात समझ रही हैं ना आप फिर भी आप बुरा मान गयी तो माफी चाहती हू."
"अरे नही कामिनी जी ऐसा मत बोलिए!",देविका ने भी उसके हाथ को थाम
लिया,"गुस्सा तो सच मे बहुत आया की जिस पति को मैने अपना सब कुच्छ माना &
पूरी ज़िंदगी उसी की होके बिता दी अब उसकी मौत का इल्ज़ाम मुझपे लगाया जा
रहा है लेकिन आपकी बात समझ गयी मैं.आगे कहिए तो क्या शिवा ने किया ये
सब?",देविका को लगा की कही शिवा ने उसके जिस्म की हवस मे पागल हो ये काम
तो नही किया था.
"कुच्छ समझ नही आता.देखिए,अगर शिवा करता तो वो दवा की डिबिया पूरी गायब
ही नही कर देता केवल बदलता क्यू?जहा तक मुझे अंदाज़ा है वो आपके पति के
साथ साए की तरह लगा रहता था तो उसे ये भी पता होगा की दवा क्या काम करती
है फिर वो दवा को बदलेगा भी तो बहुत ध्यान से.उसकी खोटी नियत जानने के
बाद भी मुझे पूरा यकीन नही हो रहा की दवा के साथ उसने छेड़-छाड़ की है.अब
अगर वो दवा की डिबिया जो आपके पति इस्तेमाल कर रहे थे तो शायद कुच्छ
सुराग मिले मगर जिसने डिबिया बदली उसने उसे तो ठिकाने लगा दिया होगा."
"मगर दवा बदली क्यू?जैसा आप कह रही हैं वो डिबिया गायब भी कर सकता था."
"शायद इसलिए की वो ये ना चाहता हो की किसी का ध्यान दवा पे जाए भी.अगर
दवा गायब हो जाती तो हो सकता है किसी का ध्यान उसपे चला जाता.अब जब दवा
उसी जगह पे रखी रहती तो किसी का भी ध्यान नही जाता की उस दवा का भी कुच्छ
लेना-देना है सुरेन जी की मौत से."
"तो फिर कौन हो सकता है इसके पीछे कामिनी जी?"
"ये बात तो मुझसे बेहतर शायद आप पता लगा लें.",रश्मि दस्तक दे वसीयत का 1
ड्राफ्ट लेके आई जिसमे कामिनी ने कुच्छ ग़लतिया सही की & रश्मि को उसे
फिर से तैय्यार करके लाने को कहा,"..देविका जी,ज़्यादा घबराईए मत बस
सावधान रहिए.अब जब ये वसीयत तैय्यार है तो आपको नुकसान पहुचने की वजह भी
ख़तम हो जाती है क्यूकी किसी को कुछ हासिल नही होने वाला आपको नुकसान
पहुँचा के.मैं आपके साथ हू & हम दोनो ज़रूर ही उस इंसान का पता लगा लेंगे
जो आपके परिवार पे बुरी नज़र डालता है.",रश्मि वसीयत का फाइनल ड्राफ्ट ले
आई थी जिसे देविका ने दस्तख़त कर कामिनी के पास हिफ़ाज़त से रखवा दिया.
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क्रमशः..............
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