दोनो की जद्दोजहद मे देविका की सारी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया था & अब इंदर उसके नुमाया हो चुके क्लीवेज पे लगा हुआ था.देविका की चूचियो से मदहोश करने वाली खुश्बू आ रही थी & इंदर उसमे डूबा चला जा रहा था.शिवा के जाने के बाद ये पहली बार था जब देविका का बदन किसी मर्द की बाहो मे था & वो इस पल का भरपूर मज़ा उठा रही थी.इंदर उसके सीने से भी नीचे जा रहा था.देविका अब अपने पीछे की दीवार से सॅट के खड़ी थी & इंदर अपने घुटनो पे बैठा उसकी कमर को सहलाता उसके गोरे पेट को चूम रहा था.देविका की सांस मानो अटकने लगी.इंदर की गर्म साँसे & तपते लब उसके पेट को च्छू उसके दिल मे हुलचूल मचा रहे थे.इंदर का सर पकड़ उसने बेचैनी मे उसे अपने पेट से लगा करना चाहा मगर इंदर ने उसकी अनसुनी करते हुए उसकी नाभि मे अपनी जीभ घुसा दी & जल्दी-2 चलाने लगा.
देविका पागल हो गयी.उसका सर दीवार से सटे हुए उपर उठ गया.उसका बाया हाथ उसके सर के उपर दीवार से लगा था & दाए से वो इंदर के बालो को पकड़े थी.इंदर उसकी नाभि चाते जा रहा था.इंदर का मक़सद चाहे जो भी हो इस वक़्त देविका के पूर्कशिष जिस्म का नशा उसके सर चढ़ के बोल रहा था & वो भी उस हुसनपरी के साथ मस्ती के सागर की उन गहराइयो तक जाना चाहता था जहा वो किसी & के साथ कभी जा नही पाया था.
इंदर की ज़ुबान देविका की गहरी नाभि से निकली & नाभि के नीचे & बँधी असरी के उपर की कोमल जगह पे घूमने लगी.देविका इतनी मस्ती सहन नही कर पाई & फिर बेचैन हो घूम गयी & दीवार को पकड़ अपना चेहरा च्छूपा लिया.इस से इंदर कहा रुकने वाला था!उसने देविका की कमर की बगलो को पकड़ा & उन्हे हौले-2 दबाते हुए उसकी कमर & निचली पीठ को चूमने लगा.देविका ने काले रंग का स्लीव्ले ब्लाउस पहना था जोकि पीछे से काफ़ी खुला था.दिन भर तो वो सारी के आँचल को अपने कंधो पे लपेटे रही थी तो इंदर को उसकी गुदाज़ बाँहो का दीदार नही हुआ था मगर इस वक़्त पीछे से ऐसा लग रहा था की कमर के उपर देविका जैसे नंगी ही हो.इंदर के गर्म हाथ उसकी कमर की बगलो पे उपर उसके ब्लाउस तक जाते & फिर नीचे सारी तक आते.उसके होंठ उसकी कमर को दीवानो की तरह चूम रहे थे.
देविका का बुरा हाल था.वो दीवार को पकड़े आहे भर रही थी & उसकी चूत मे कसक उठ रही थी.वो बेचैनी मे अपनी जंघे आपस मे रगड़ रही थी.इंदर समझ गया था की वो बहुत मस्त हो चुकी है & आज रात ये हसीन औरत उसे बहुत मज़ा देने वाली है.वो चूमते हुए खड़ा हुआ & अब उसके होंठ ब्लाउस मे से दिख रही देविका की उपरी पीठ पे थे.उसने अपने हाथ देविका के दीवार से लगे हाथो पे रख दिए & अपनी उंगलियो को उसके उंगलियो मे पीछे से फँसा दिया.देविका के जिस्म ने उसे पागल कर दिया था.चूमते हुए वो उसकी गर्दन पे आया & 1 बार फिर उसके होंठ देविका के हसीन चेहरे से लग गये.
देविका ने अपना चेहरा दाई तरफ घुमाया तो 1 बार फिर इंदर ने अपने होंठ उसके लरज़ते होंठो से लगा दिए.उसने देविका के दीवार पे लगे हाथो को वैसे ही पकड़ा हुआ था.चूमते हुए उसके हाथ देविका के हाथो को छ्चोड़ उसकी कलाई पे आए & फिर उसकी गोरी बहो पे.ऐसी गोरी & गुदाज़ बाहें इंदर ने अपनी ज़िंदगी मे नही देखी थी.वो बस अपने उंगलियो के पोरो से उसको कोहनी से लेके कंधे तक उन मस्त बाहो को सहलाए जा रहा था.अपने बदन की तारीफ देविका को इंदर की हर हरकत मे दिख रही थी.उसे अपने हुस्न पे थोड़ा गुमान भी हुआ & बहुत सारी खुशी भी & वो और शिद्दत के साथ अपने नये प्रेमी को चूमने लगी.
थोड़ी देर तक इंदर के हाथ वैसे ही उसकी बाहो पे घूमते रहे फिर इंदर ने अपने हाथ उसकी बाहो से उसके कंधे पे लाए & फिर उसकी पीठ की बगल से होते हुए दोबारा उसकी कमर की बगल मे जा लगे.दोनो अभी भी वैसे ही 1 दूसरे को चूम रहे थे.इंदर के हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए आगे उसके पेट पे गये & उसकी कमर मे अटकी सारी को खींच दिया.देविका के मुँह से आह निकली मगर इंदर ने उसे चूमना नही छ्चोड़ा....अब वो नंगी हो रही थी..इंदर के सामने ..पहली बार...देविका को इस ख़याल से शर्म आ गयी & उसके गालो मे मस्ती की लाली के साथ शर्म का रंग भी घुल गया.इंदर के हाथो ने तेज़ी से सारी को निकाला & फिर उसके पेटिकोट के बगल मे लगे हुक को भी खोल दिया.पेटिकोट अपनेआप ज़मीन पे गिर गया मानो वो भी दोनो बेकरार जिस्मो के मिलन मे आड़े ना आना चाहता हो. क्रमशः..........