RE: Kamukta Story बदला
पिच्छले 3 सालो से इंचार्ज था.उसके रहते ना कमाई मे
कमी हुई ना जुर्म मे इज़ाफ़ा.
"मोहसिन भाई.",वो अभी भी हाथो को जोड़ के माथे पे टिकाए था लेकिन अब
कोहनिया मेज़ पे टिकी थी.
"जी,सिंग साहब."
"आपने जो बाते बताई & जिस तरह से ये इंसान यहा होटेल मे रुका है..ये दोनो
बाते साथ नही जा रही."
"ह्म्म."
"अब अगर कोई इंसान कोई जुर्म प्लान कर रहा है या फिर बस उसके इरादे नापाक
हैं तो वो अपना असली नाम बताने से बचेगा,ज़्यादा घुले-मिलेगा नही.1 होटेल
मे 2 दीनो से ज़्यादा नही रुकेगा..लेकिन ये इंसान तो सब कुच्छ उल्टा कर
रहा है.",सतबीर सिंग ने हाथ चेहरे से हटा अपने सर के पीछे बाँध लिए
थे,"..मुझे नही लगता की ये आदमी ग़लत है & अगर है तो फिर उसके पीछे कुच्छ
और ही कहानी है."
"ह्म्म..",मोहसिन बिल्कुल खँसोह था.दरअसल अब उसे भी उलझन हो रही थी.
"देखो मोहसिन भाई,ये इलाक़ा मेरा है & मैं यहा सब कुच्छ काबू मे रखता
हू....मैं डंडा नही चलाता क्यूकी भाई सब पेट के लिए ही लगे हैं लेकिन कोई
अगर हद्द पार करे या फिर मेरे इलाक़े का रेकॉर्ड खराब करने की कोशिश करे
तो उसकी मैं अच्छे से बजाता हू."
मोहसिन थानेदार की बात समझने की कोशिश कर रहा था,"अरे,मेरी बात नही
समझे!..",थानेदार हँसने लगा,"..क्या मोहसिन भाई!मैं तो ये कह रहा हू की
कहो तो उठा लाएँ यहा पत्थे को & बाते करे?"
"अरे नही,सिंग साहब.",मोहसिन हँसने लगा,"..किस बात पे उठाएँगे & अगर किसी
को भनक लग गयी तो बिना बात के आपको आपरेशन करेगा की बेगुनाह को उठा
लिया.मुझे आपकी बात ठीक लगती है की अगर ये शख्स 1 क्रिमिनल है तो फिर
उसकी तरह बर्ताव क्यू नही कर रहा?"
"2 वजह है उसकी,मोहसिन भाई."
"कौन-2 सी?"
"पहली..",बाया हाथ सर के पीछे लगाए डाए को आगे कर सतबीर सिंग ने पहली
उंगली उठाई,"..की ये सुधार गया है & दूसरी..",अब दूसरी उंगली भी उपर
थी,"..कि इसने जुर्म किया ही नही था."
"शुक्रिया सिंग साहब."मोहसिन उठ खड़ा हुआ,"..आपके आदमियो ने & उस से भी
ज़्यादा आपकी सलाह ने मेरी मदद की है."
"क्या मोहसिन भाई!तकल्लूफ भरी बाते करते हो."
"सिंग साहब,आपको बिल्लू याद है?"
"उस हरामी की औलाद को कौन भूल सकता है!",सतबीर सिंग की थयोरिया चढ़ गयी.
"एच-876,भत्तरपुरा.",मोहसिन ने मुस्कुराते हुए कहा & सुखी के साथ कॅबिन
से निकल गया.थानेदार के होंठो पे मुस्कान फैल गयी.बिल्लू ने इलाक़े मे
वारदात की थी जिसमे 1 विदेशी सैलानी को चोट आ गयी थी & मामला मीडीया मे
बहुत उच्छला था & सतबीर सिंग की बड़ी च्छिच्छलेदार हुई थी.आज आएगा पत्ता
पकड़ मे & उसे सतबीर सिंग अपने हाथो से तोड़ेगा,"..ओये इधर आओ ओये काम
करे कुच्छ!"
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"कैसी हो,जानेमन?",वीरेन की आवाज़ सुनते ही कामिनी के होंठो पे मुस्कान फैल गयी.
"अच्छी हू.तुम बताओ.कैसी चल रही है तुम्हारी टीचिंग?",वीरेन रोमा के कहने
पे इस हफ्ते एस्टेट पे ही रुक गया था & प्रसून को पैंटिंग के गुर सीखा
रहा था.
"बहुत अच्छी.कामिनी,मैने तो बच्चो का दिल रखने के लिए रोमा की बात मानी
थी मगर प्रसून मे वाकई हुनर है.मज़ा आता है उसे सिखाने मे.सब कुच्छ समझ
के ऐसी तस्वीर पेश करता है की मैं चौंके बिना नही रह सकता!"
"अच्छा है ना,वीरेन.उसे भी 1 मक़सद मिलेगा तो वो भी हम सबके साथ कदम
मिलाके चलेगा.रोमा सच मे बड़ी भली लड़की लगती है.देविका जी ने जब शादी की
बात की थी तो मुझे लगा था की वो कुच्छ ठीक नही कर रही पर उपरवाले का
शुक्र है की मैं ग़लत थी.",दोनो इसके बाद कोई 15 मिनिट तक बाते करते रहे
& फिर अपने-2 बिस्तरॉ मे तन्हा सोने चले गये.
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तन्हा तो आज देविका भी थी.इंदर ने आज उसे मना कर दिया था क्यूकी वीरेन
वाहा था.दोनो चोरी च्छूपे जब भी मौका मिलता 1 दूसरे के जिस्मो से खेल
लेते मगर दोनो ही जानते थे की जब तक वीरेन यहा है दोनो की राते तन्हा
गुज़रने वाली हैं. देविका ने बिस्तर पे लेट तकिये को अपने सीने से लगाया
& आँखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगी.
रॉयल होटेल के दरवाज़े के बाहर खड़े मोहसिन जमाल & सुखी बाते कर रहे
थे,"सुखी,हमारा काम केवल इसे ढूँढना था.ये मिल गया है तो अब इस्पे नज़र
रखनी है.आगे तो क्लाइंट ही बताएगा की क्या करना है."
"मतलब की आज मेरी ड्यूटी यहा है?"
"बिल्कुल पा जी!",मोहसिन मुस्कुराता हुआ वाहा से निकल गया.अपने ऑफीस
पहुँचते ही उसने कामिनी को फोन लगाया.
"अब बताइए कामिनी जी की क्या करें?"
"मोहसिन,तुम्हारी बातो ने तो पशोपेश मे डाल दिया है.अब बिना इस से मिले
तो ये मामला सुलझने से रहा लेकिन आज तो काफ़ी देर हो चुकी है.कल मैं उस
से खुद मिलूंगी.तब तक उसपे नज़र रखो."
"ओके,कामिनी जी."
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क्रमशः...........
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