गतान्क से आगे.. इंदर की बेचैनी अब बढ़ने लगी थी.प्लान अब अपने आख़िरी स्टेज पे पहुँच रहा था...बस 1 बार वीरेन एस्टेट से पंचमहल वापस लौट जाए.सवेरे ही उसे रजनी का फोन आया था,उसके पिता की तबीयत थोड़ी नसाज़ थी & इस वजह से वो कुच्छ दिन और अपने घर रुक रही थी.ये बात भी इंदर के हक़ मे थी.बस अब सही मौके की तलाश थी.
और वो मौका मिला मगर उसके पहले कुच्छ ऐसी मामूली सी बात हुई जोकि अगर ना हुई होती तो शायद सहाय परिवार आने वाले ख़तरे से शायद बच जाता.हुआ यह की शिवा को होटेल के 1 वेटर ने बता दिया की 1 सरदार जी उसपे नज़र रखे हुए है.शिवा को लगा की हो ना हो ये इंदर की कोई चाल है & वो बड़ी चालाकी से सुखी की नज़रो से बच के उस होटेल से निकल गया & उल्टे सुखी पे नज़र रखने लगा.इस वजह से कामिनी & शिवा की मुलाकात ना हो सकी & कामिनी को इंदर की असलियत भी नही पता चली.
जिस तरह से उसे हर कदम पे कामयाबी मिली थी उसे लगने लगा था की ना केवल किस्मत बल्कि उपरवाला भी उसके साथ है.अब जो वो करने वाला था वो था तो घिनोना काम मगर शायद इंसाफ़ के नज़रिए से सही था.वीरेन सवेरे ही पंचमहल लौट गया था लेकिन इंदर ने आज भी खराब तबीयत का बहाना बनाके देविका को रात को उस से मिलने से मना कर दिया था.इस बात से देविका को झल्लाहट तो हुई मगर वो क्या करती!मन मार कर वो किसी तरह सो गयी.
वही दूसरे कमरे मे रोमा & प्रसून सोने की तैय्यारि मे थे.रोमा ने आँखो के कोने से देखा की प्रसून उसे ही नंगा होते देख रहा है.वो मन ही मन मुस्कुराइ....कहने को मंदबुद्धि था..इस मामले मे तो बहुत दिमाग़ चलता था इसका..वो जानती थी की जैसे ही वो बस ब्रा & पॅंटी मे रह जाएगी वो उसे दबोच लेगा.उसे भी उसकी ये हरकते अच्छी लगने लगी थी.रोमा गुनगुनाते हुए ये जताने लगी की उसे प्रसून की नज़रो का ख़याल ही नही है & अपनी सारी उतारने के बाद अपने पेटिकोट को खोलने लगी.
जैसे ही पेटिकोट उसकी कमर से ढालका की प्रसून ने उसे दबोच लिया & उसके चेहरे से अपना चेहरा रगड़ने लगा.रोमा को हँसी आ गयी & हंसते हुए वो अपने पति को दूर करने लगी.प्रसून को रोमा ने जो खेल सिखाया था वो उस खेल का ना केवल दीवाना बन चुका था बल्कि उसका पक्का खिलाड़ी भी बन चुका था.उसके हाथ रोमा की सफेद पॅंटी मे च्छूपी गंद से जा लगे थे & वो उसे बिस्तर की ओर खींच रहा था,"..उउंम...मुझे कपड़े तो बदलने दो..आहह....क्या करते हो!",प्रसून उसके ब्लाउस के उपर के हिस्से पे चूम रहा था & उसके हाथ रोमा की कसी गंद को बहुत ज़ोरो से दबा रहे थे.
प्रसून ने रोमा को बाहो मे भरे हुए बिस्तर पे लिटाया & उसके उपर चढ़ उसके होंठ चूमने लगा.उसका लंड रोमा की चूत के उपर दबा था & उसके हाथ रोमा की पीठ पे.रोमा के मुँह मे घुसी उसकी ज़ुबान रोमा के बदन मे बिजलिया दौड़ा रही थी & थोड़ी ही देर मे जब प्रसून बेचैनी से अपनी कमर हिला अंडरवेर मे च्छूपे अपने लंड को रोमा की पॅंटी मे छिपि चूत पे रगड़ने लगा तो उसका बदन मस्ती के मारे थरथराने लगा & उसकी चूत गीली होने लगी.
प्रसून ने अपने हाथ अपनी बीवी की पीठ के नीचे से निकाले & सामने ला उसकी चूचियो को ब्लाउस के उपर से ही दबाने लगा.रोमा अब काफ़ी गरम हो चुकी थी,उसने अपनी टाँगे अपने पति कमर पे कस दी & नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी.प्रसून को अपनी बीवी की चूचियो से खेलना बहुत अच्छा लगता था.रोमा भी जानती थी की जब तक वो बेचैनी से पागल ना हो जाए वो उसकी चूचियो को नही छ्चोड़ेगा.
प्रसून ने फटाफट ब्लाउस के हुक्स खोले & फिर उसके बार के उपर से ही उसके उरोजो को चूम लिया,"आहह..",रोमा ने उसके सर को अपने सीने पे दबाया तो प्रसून ने 1 बार फिर अपने हाथ उसकी पीठ से लगाए & उसके ब्रा के हुक्स को खोला & कप्स को उपर कर तेज़ सांसो के चलते उपर-नीचे हो रहे अपनी बीवी के उभरो को नुमाया कर दिया.इसके बाद तो कमरे मे बस रोमा की आहे गूँज रही थी.प्रसून उन्हे दबाते हुए चूस रहा था.रोमा की बाई चुचि को मुँह मे भर उसने इतनी ज़ोर से चूसा की उसकी कमर को अपनी टाँगो मे फँसाई रोमा झाड़ गयी.
उसके झाड़ते ही प्रसून ने बाई को छ्चोड़ दाई चूची को मुँह मे भरा & उसके साथ भी वोही हरकत दोहराई.रोमा की चूचियो को कयि पॅलो तक उसकी ज़ुबान & हाथो के रहमोकरम पे रहने के बाद रोमा ने उसे पलटा & उसके उपर सवार हो गयी.अपनी चूत से उपर से उसके लंड को दबाते हुए उसने कमर हिला हल्के धक्के लगाए & उसे चूमने लगी.प्रसून के हाथ अभी भी उसकी छातियो को दबा रहे थे.
थोड़ी देर बाद रोमा अपने पति के होंठो को को छ्चोड़ उपर हुई & अपने जिस्म से अपने ब्लाउस & ब्रा को उतार दिया.उसके सीधा होते ही प्रसून के हाथ उसकी आँखो के सामने छल्छला रहे उसके उरोजो से लग गये,"ऊन्न्ह्ह.....कितनी पसंद है तुम्हे ये?!!.....अब छ्चोड़ो भी...ऊओवव...."
रोमा ने देखा की इंदर उसके सीने पे रहम नही खाने वाला तो उसने भी उसे तड़पाने की सोची & झट से उसके उपर से उतर गयी & उसके अंडरवेर मे हाथ डाल दिया.अब आहे भरने की बारी प्रसून की थी.इतने दीनो के बाद वो अब रोमा के हाथ लगने से झाड़ता तो नही था मगर फिर भी जब भी उसकी प्यारी बीवी उसके लंड से खेलती उसका खुद पे काबू रखना बड़ा मुश्किल हो जाता.