RE: Kamukta Story बदला
बंगल के अंदर उसकी मुलाकात कामिनी से नही हुई,"वीरेन जी,आप सोच-समझ के
बताईएएगा क्या सच मे आपके परिवार का कोई दुश्मन नही?"
"नही,ऑफीसर.बिल्कुल नही."
"ह्म्म..",चौबे सोच मे पड़ गया,"खैर..आप इतमीनान से सोचिए & हो सके तो
दोनो औरत से भी पुच्हिए..",वीरेन कुच्छ कहता इस से पहले ही चौबे ने उसे
रोका,"..हमको पता है उनकी हालत,वीरेन जी लेकिन आपके भतीजे के क़ातिल को
सज़ा दिलाना भी ज़रूरी है की नही & आपको 1 बात बता दू.जुर्म होने के बाद
जितनी देर करेंगे उतना ही मुजरिम को भागने का मौका मिलता है.मेरा बात पे
ज़रा गौर कीजिएगा.अच्छा अब चलते हैं.कल आएँगे."
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"क्या बात है,मोहसिन?क्या कहना चाहता है वो मुझसे?",कामिनी मोहसिन के
दफ़्तर पहुँची.
"आप खुद ही पुछिये,मेडम.",मोहसिन उसे 1 दूसरे कमरे मे ले गया जहा शिवा 1
कुर्सी से बँधा था.
"बोलो शिवा."
"आपको लगता है मैने किया है प्रसून का क़त्ल?"
"हां."
"आप ग़लत हैं,कामिनी जी."
"अच्छा,तो ये बताओ की तुम फ़र्ज़ी बॅंक खाते के ज़रिए पैसे क्यू चुरा रहे
थे?",जवाब मे शिवा ज़ोरो से हँसने लगा.तीनो उसे हैरत से देखने लगा.
"कामिनी जी,अगर चुराना ही चाहता तो मैं पूरी एस्टेट हथिया लेता & किसी को
पता भी ना चलता.उन चंद रुपयो मे क्या रखा था!",शिवा की ह्नसी रुक गयी &
वो बहुत संजीदा हो गया,"..अफ़सोस ये नही की मुझे चोर समझा,ये भी नही की
मुझे प्रसून का क़ातिल समझा....अफ़सोस तो ये है की उसने मुझे ऐसा समझा
जिसे मैं अपनी ज़िंदगी से भी ज़्यादा चाहता था."
"तुम देविका जी की बात कर रहे हो?"
"हां."
"देखो,शिवा तुम्हारी ये आक्टिंग कुच्छ साबित नही करती?"
"आपको सबूत चाहिए.वो भी है मेरे पास.",शिवा ने गर्दन घुमाई,"सरदार
जी,आपने मेरी तलाशी मे जो भी समान बरामद किया ज़रा मेडम को दिखाइए.",सुखी
ने 1 बास्केट कामिनी के सामने रखी.उसमे 1 मोबाइल,1 वॉलेट,कुच्छ काग़ज़ &
1 डिबिया पड़े थे.डिबिया देख कामिनी जैसे सब समझ गयी,"ये क्या है?"
"आपके चेहरे से लगता है की आप इस डिबिया के बारे मे जानती हैं,कामिनी
जी.",शिवा मुस्कुराया.
"वो ज़रूरी नही ये ज़रूरी है की तुम क्या जानते हो इसके बारे मे?"
"ये मेरे बॉस सुरेन सहाय की दवा है कामिनी जी.आप इस दवा की जाँच
कराईए,इसमे ज़रूर कुच्छ गड़बड़ है.मुझे पूरा यकीन है कि इस दवा की असलियत
से ना सिर्फ़ प्रसून बल्कि उसके पिता के क़त्ल पे से भी परदा उठ जाएगा."
"क्या?!!",मोहसिन & सुखी चौंक पड़े मगर कामिनी पे कोई असर नही हुआ.
"ये भी तो हो सकता है शिवा की तुमने इस दवा से छेड़-खानी की हो & अब
पकड़े जाने पे चालाकी दिखा रहे हो."
"हो सकता है.आप मुझे यहा बंद रखिए.मेरे कपड़े तक उतार लीजिए.मैं इस कमरे
मे नंगा बंद रहूँगा जब तक आपको मुझपे यकीन नही हो जाता.",शिवा की आँखो मे
तो सच्चाई झलक रही थी मगर कामिनी को अभी भी पूरा यकीन नही था.
"तुम्हे ये डिबिया कैसे मिली?"
"जो आदमी सहाय परिवार को बर्बाद कर रहा है वोही इस डिबिया को फेंक रहा था."
"तुमने उसे पकड़ा क्यू नही?कौन था वो?मेरे पास पहले क्यू नही आए?पोलीस के
पास क्यू नही गये?",कामिनी ने सवालो की झड़ी लगा दी.
"उस शख्स का नाम है इंदर धमीजा..",& शिवा सारी बात तफ़सील से कामिनी को बताने लगा.
कामिनी ने शिवा से दवा ले ली & उसे मोहसिन जमाल के आदमियो की निगरानी मे
1 फ्लॅट मे रख दिया.कामिनी ने पंचमहल सिविल हॉस्पिटल के लब मे उस दवा को
जाँच के लिए भेजा.उसकी रिपोर्ट आने मे 2 दिन लगने थे.करीब इतना ही वक़्त
प्रसून की पोस्ट-मोर्टें रिपोर्ट & बाकी सबूतो की फोरेन्सिक रिपोर्ट आने
मे लगना था.क्षोटन चौबे भी उस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था.
प्रसून की बॉडी हॉस्पिटल से छूटने पे वीरेन ने उसका सारा क्रिया-कर्म
किया.श्मशान घाट पे शायद ही कोई आँख उस वक़्त सुखी थी.कामिनी ने अभी तक
वीरेन को इंदर के बारे मे नही बताया था क्यूकी उसे डर था की जज़्बाती
वीरेन कही इंदर को खुद सज़ा ना देने लगे.ऐसे मे बहुत ज़्यादा चान्सस थे
कि इंदर क़ानून के हाथो से निकलने मे कामयाब हो जाता.
कामिनी ये भी जानती थी की अब इंदर के निशाने पे देविका होगी मगर साथ ही
ये भी एहसास था उसे की इतनी जल्दी इंदर उसे कोई नुकसान नही
पहुचाएगा.आख़िर रोमा भी तो थी घर मे.शिवा का सोचना था की इंदर पहले
देविका & फिर रोमा को किनारे करेगा जयदाद को पाने के लिए मगर कामिनी का
मानना था की इंदर उसके पहले वीरेन को रास्ते से हटाएगा ताकि वो उन दोनो
औरतो की हिफ़ाज़त ना कर सके.
कामिनी कितनी सही थी उसे ये बस 2 दीनो बाद पता चलने वाला था.प्रसून की
मौत के बाद से वीरेन एस्टेट मे ही रुका था & उस दिन भी वो बंगल के
ड्रॉयिंग रूम मे बैठा किसी मॅगज़ीन के पन्ने पलट रहा था जब क्षोटन चौबे
वाहा दाखिल हुआ.
"नमस्ते,वीरेन बाबू!कैसे हैं?"
"बढ़िया,ऑफीसर.आप कैसे हैं?"
"हम भी अच्छे हैं & आज आपसे कुच्छ पुच्छने आए हैं?"
"क्या?"
"ई च्छुरी के बारे मे कुच्छ जानते हैं?"
"हां,ये तो मेरी पॅलेट नाइफ है जोकि गुम गयी थी."
"अच्छा,गुम गयी थी.हां भाई,खून करने के बाद हथ्यार तो गुम करना ही पड़ता है."
"आपका मतलब क्या है ऑफीसर?",वीरेन की थयोरिया चढ़ गयी.
"यही की आप मारे हैं प्रसून को."
"क्या बकवास करते हो?!!!!",वीरेन ने चौबे का गिरेबान पकड़ लिया,"..मैं
मारूँगा अपने भतीजे को..उस मासूम को!",साथ आए हसन & अबकी हवलदरो ने उसे
अलग किया.
"अब आप चिल्लाइए चाहे रोइए हमको तो आपको शक़ के बेसिस पे अरेस्ट तो करने
पड़ेगा.",चौबे पे जैसे वीरेन की हरकत का कोई असर ही नही हुआ था,"..पहनाओ
रे सरकारी कंगन चाचा जी को."
"ऑफीसर,तुम भूल कर रहे हो....किसी की चाल है..कोई फँसा रहा है
मुझे!",ड्रॉयिंग रूम के दरवाज़े पे खड़ी देविका पे वीरेन की नज़र गयी तो
वो चुप हो गया,देविका की आँखो मे गम के अलावा सिर्फ़ नफ़रत
थी,"..देविका..ये सब ग़लत है..मैने नही किया ये सब!"
देविका बस उसे घुरती रही.चौबे ने उसे जीप मे डाला & थाने ले गया.बाहर
खड़ा इंदर ये सब देख मन ही मन मुस्कुरा रहा था.हसन जीप चला रहा था & चौबे
उसकी बगल मे बैठा पान चबा रहा था....कुच्छ भी सही नही था..मुजरिम हमेशा
हथ्यार पहचानने से इनकार करता है....वीरेन सही था..कोई तो फँसा रहा है
मगर कौन?
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"देखा,कामिनी जी..",शिवा बैठा था जबकि कामिनी बेचैनी से चहलकदमी कर रही
थी,"..कितना शातिर है वो.उसने वीरेन जी को भी फँसा दिया.अब तो आपको मुझपे
यकीन हो गया होगा की मैं सच कह रहा हू.",थोड़ी देर पहले हॉस्पिटल से दवा
से छेड़-छाड की बात को सही साबित करती रिपोर्ट मिलने की सारी खुशी काफूर
हो गयी थी & अब उसे बस वीरेन की चिंता सता रही थी.
"आप बस मुझे 1 मौका दीजिए उस कामीने को मैं अपने हाथो से सज़ा
दूँगा.",शिवा ने दाए हाथ के मुक्के को बाई हथेली पे मारा.
"नही शिवा,वो बहुत चालक है,उसे हम उसी के खेल मे हराएँगे.देविका जी को
उसपे बहुत भरोसा है,1 बार ये भरोसा टूट गया तो आधा काम हो गया समझो."
"मगर ये होगा कैसे?"
"थोड़ी जासूसी करनी पड़ेगी."
"तो अब मुझे सहाय एस्टेट जाना होगा?",मोहसिन मुस्कुराया.
"नही,मोहसिन तुम नही,इस बार ये काम मैं करूँगी.",वो शिवा से मुखातिब
हुई,"शिवा,इसमे मुझे तुम्हारी मदद चाहिए."
"ज़रूर कामिनी जी."
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
रात के 11 बज रहे थे जब इंदर ने बंगल के पीछे रसोई के दरवाज़े को अपनी
ड्यूप्लिकेट चाभी से खोला & दबे पाँव अंदर हुआ.रोमा का भाई संजय भी आजकल
आया हुआ था & उपरी मंज़िल के गेस्ट रूम मे ही ठहरा था.देविका & रोमा के
कमरो के बीच 2 कमरे और थे जोकि मेहमआनो के लिए ही थे.इंदर दबे पाँव
सीढ़िया चढ़ने लगा.वो सीधा देविका के कमरे तक पहुँचा & उसका दरवाज़ा
धकेला.दरवाज़ा खुला था & फ़ौरन खुल गया.अंदर देविका बिस्तर पे लेटी
थी.दरवाज़ा खुलते ही उसने इंदर को देखा मगर उसकी आँखो या चेहरे पे कोई
भाव नही आया.
इंदर आगे बढ़ा & बिस्तर पे उसके बगल मे लेट गया & उसके बालो को सहलाने
लगा.देविका भी भी जैसे बुत बनी हुई थी.इंदर उसकी दाई तरफ लेटा था.इंदर ने
उसे उसकी दाई करवट पे किया & बाहो मे भर लिया & उसके बाल सहलाने लगा.दोनो
ने अभी तक 1 लफ्ज़ भी नही बोला था.इंदर बस उसे प्यार से थपकीया देता जा
रहा था.थोड़ी ही देर मे देविका नींद के आगोश मे थी.इंदर सवेरा होने तक
वैसे ही उसके साथ लेटा रहा.पौ फटने से पहले उसने देविका के बदन से अपनी
बाहे अलग की & जाने लगा की तभी देविका ने उसका हाथ पकड़ लिया.
इंदर चौंक पड़ा,उसे तो लगा था की देविका गहरी नींद मे है,"मत
जाओ.",प्रसून की मौत के बाद शायद देविका पहली बार कुच्छ बोली थी.इंदर
उसके करीब आया & प्यार से उसके माथे को सहलाने लगा.
"फ़िक्र मत करो कुछ दीनो बाद तुम्हे 1 पल के लिए भी खुद से जुदा नही
करूँगा.मगर आज नही.",देविका बिस्तर से उठी & उसके गले से लग गयी & उसके
सीने मे चेहरा छुपा फुट-2 के रोने लगी,"यहा से ले चलो
मुझे,इंदर.प्लीज़!!!!मैं यहा नही रहूंगी अब."
"ज़रूर देविका.बस थोड़ा इंतेज़ार करो.",इंदर उसे बाँहो मे भरे उसके बॉल
सहला रहा था.देविका अब उसपे और भी भरोसा करने लगी थी.उसके होंठो पे 1
शैतानी मुस्कान खेलने लगी & उसने देविका & ज़ोर से अपनी बाँहो मे कस
लिया.
-------------------------------------------------
|